ज़िंदज़गी तुझे गुनगुनाना चाहती हूँ मैं
भावों की अनंत रश्मियाँ
शब्दों का प्रकाश बन
लुटाना चाहती हूँ मैं
ह्रदय कमल खिलाना चाहती हूँ मैं
नदी की चंचल लहरों के संग
भावों की बन तरंग
शब्दों के बहाव में
अनंत आकाश के विस्तार में
भावों की बन उमंग
भावों की बन उमंग
शब्दों के पंख लगा
चिड़िया सी उड़ जाना चाहती हूँ मैं
चहचहाना चाहती हूँ मैं
चहचहाना चाहती हूँ मैं
किसी वृद्ध की भावनाओं का
सम्बल बन
शब्दों का हाथ थाम
वक़्त के साथ
बस वहीँ रुक जाना चाहती हूँ मैं
सम्बल बन
शब्दों का हाथ थाम
वक़्त के साथ
बस वहीँ रुक जाना चाहती हूँ मैं
भावों की बंजर ज़मीन सी
सूखी आँखों में
शब्दों की कुछ हरियाली लिए
एक पात सी खिल जाना चाहती हूँ मैं
जीवन चाहती हूँ मैं
सूखी हुई रेत पर भावों के आँसू बो
शब्दों की मुस्कुराहटों के
फूल खिलाना चाहती हूँ मैं
हाँ मुस्कुराना चाहती हूँ मैं
ज़िंदज़गी तुझे गुनगुनाना चाहती हूँ मैं.......................... !!
सिर्फ सांस लेना ही तो जीवन नहीं।हम सभी के मन में पलती हैं ऎसी ही छोटी छोटी अनेक इच्छाएं। …!! यही छोटी छोटी इच्छाएं लिए अब 2014 में प्रवेश कर रहा है हम सभी का मन। …!!
नव वर्ष २०१४ की आप सभी को अनेकानेक शुभकामनायें !!ईश्वर करे यह नया वर्ष आप सभी के जीवन में अनेक अनेक खुशियां लाये। उज्जवल प्रकाश से भरा रहे मन.....जिंदगी सदा गुनगुनाये …… मुस्कुराये
सूखी आँखों में
शब्दों की कुछ हरियाली लिए
एक पात सी खिल जाना चाहती हूँ मैं
जीवन चाहती हूँ मैं
सूखी हुई रेत पर भावों के आँसू बो
शब्दों की मुस्कुराहटों के
फूल खिलाना चाहती हूँ मैं
हाँ मुस्कुराना चाहती हूँ मैं
ज़िंदज़गी तुझे गुनगुनाना चाहती हूँ मैं.......................... !!
सिर्फ सांस लेना ही तो जीवन नहीं।हम सभी के मन में पलती हैं ऎसी ही छोटी छोटी अनेक इच्छाएं। …!! यही छोटी छोटी इच्छाएं लिए अब 2014 में प्रवेश कर रहा है हम सभी का मन। …!!
नव वर्ष २०१४ की आप सभी को अनेकानेक शुभकामनायें !!ईश्वर करे यह नया वर्ष आप सभी के जीवन में अनेक अनेक खुशियां लाये। उज्जवल प्रकाश से भरा रहे मन.....जिंदगी सदा गुनगुनाये …… मुस्कुराये