26 August, 2014

हर साल इसी तरह ....!!


बूंद बरसती ,
भर आह्लाद  ,
अमोघ प्रेम मीमांसा बरसाती ,
धरा पर बूंद बूंद
शब्दातीत भावातीत
श्रवणातीत,
(कहने सुनने से परे)
और लहलहा उठता है प्रेम,
सृष्टि की हरीतिमा में
हरित मन की हर्षित प्रतिमा में
मेरे अंगना में
मेरी बगिया मे ,
मेरी हरी चूड़ियों में,
कुछ तुम्हारे शब्दों  में,
बज उठी हो जैसे बूंदों की ताल,
धिनक धिन
किंकिणी झंकार
जीवंत  है प्रेम
पावन सा ...
पावस ऋतु की वर्षा में भीगा ,
हर वर्ष  इसी तरह ....!!


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बारिश का रास्ता देखते देखते अब ब्लॉग पर ही बारिश डाली है .........शायद ईश्वर दिल्ली में कुछ बरसात भेज दें .....!!

16 comments:

  1. शब्द मेघ
    ख्यालों की बारिश
    रिमझिम फुहारों का गीत

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  2. बहुत सुंदर रचना..,
    बज उठी हो जैसे बूंदो की ताल...,

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  3. बढ़िया सुंदर रचना , पर बारिश का समय अब नहीं हैं वो तो निकल चुका , लेकिन ब्लॉग पर हो सकती है जी , आ. धन्यवाद !
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    ~ I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ ~ ( ब्लॉग पोस्ट्स चर्चाकार )

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट खामोश भावनाओं की ऊपज पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है। शुभ रात्रि।

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट खामोश भावनाओं की ऊपज पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है। शुभ रात्रि।

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  6. सच में दीदी !! एकदम बारिश बारिश टाइप फीलिंग आ रही है कविता में, बारिश हो जाती तो और मज़ा आता !!

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  7. बहोत सुन्दर अनु .....बूंदों की लय सी...

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  8. आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 29 . 8 . 2014 दिन शुक्रवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !

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  9. sunder bhaaw...jald hi barish hogi..kintu yahan jo barish hui man ko khush kar gayi

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  10. वर्षा की रुनझुन सुनाती सुंदर कविता... अब तो बादल आपकी पुकार अनसुनी नहीं कर सकते...अनुपमा जी !

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  11. आनंद से सराबोर मन की सुखद अनुभूति।
    बहुत खूब

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!