28 February, 2015

वो है ज़रूर .....!!

नहीं ,
कोई आवाज़ नहीं है उसकी ,
न ही कोई रंग है ,
नहीं ,
कोई रूप नहीं है उसका ,
पर वो बुलंद है ...!!
मेरी आस में
मेरी सांस में
सोया जागा 
एक तार
विद्यमान है ...
हाँ है ज़रूर ,
मुझमें शांत एकांत 
उतना ही ...
जितना तुममे चंचल प्रबल ...
हाँ
वो है ज़रूर ....!!

7 comments:

  1. मुझमें शांत-एकांत, मेरा शून्य-मेरा शिखर सब तुझमें ही है। मैं मंद-तेज से परे नैसर्गिक, अबोध आलोक तुझमें हूँ।

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  2. जितना चंचल प्रबल तुममें, उतना शांत प्रशांत मुझमें
    हाँ वह है ज़रूर।
    बहुत सुंदर।

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  3. निराकार इश्वर तो सब में है ... चंचल, शांत या हर रूप में ...
    बहुत ही भावपूर्ण रचना ...

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  4. बहुत ही सुन्दर

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  5. बहुत सुंदर दिव्य भावों का सृजन...यह विश्वास ही उस तक ले जाता है...

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  6. Bahut sunder aur bhavpurna rachna
    thanks.

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!