10 May, 2015

एक माँ को नमन .....

एक माँ को नमन…

जिसकी  मासूम उदास आँखों से भी,
 झांकती है एक हँसी   …!!
वो अभी भी देखती है कुछ ख़ाब,
सूनी सी आँखों में रंग भर देते हैं जो ,
और फिर उसके पौधों का रंग हो उठता है ,
और भी हरा ,
उसके बाग़ की हर क्यारी में होते हैं
फूल ही फूल ,
उसकी कविता में होते हैं
शब्द ही शब्द
उसकी बातों में होते हैं भाव ही भाव ,
उसकी अल्पना में होता है ,
पलाश का रंग .....
इस तरह खिलती है
खिलखिलाती है ...
और फिर से,
उसकी मासूम उदास आँखों में से
झांकती है एक हँसी ...



4 comments:

  1. माँ का हर बात ही निराली है..वह देना जानती है..लुटाना भी..वह अन्नपूर्णा है..

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  2. बहुत ही सुंदर रचना

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  3. शुभ प्रभात जी

    राम राम जी

    बहुत ही सुंदर लिखा है

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!