20 May, 2017

विशाखापट्नम से ...!


समन्वित होने से पहले स्वयं को तैयार करना होता है ,क्योंकि कठिन और कठोर नियम के पालन से ही उपजता है समन्वय ! यह बात कब से जानती हूँ किन्तु उसे चरितार्थ होते यहां देखती हूँ ,विशाखापट्णम  में ! प्रत्येक शहर की एक संस्कृति ,एक सभ्यता होती है जो उसकी  भौगोलिक संरचना के कारण बनती है !  वहां रहने वाले व्यक्ति उसे कब जीने लगते हैं ,ये उन्हें पता भी नहीं चलता !संभवतः बदलाव सभी को अच्छा लगता है इसीलिए  बाहर से आये हुए व्यक्ति भी  उसी शहर के आचरण को निभाने लगते हैं और वहीँ जैसे होने भी लगते हैं !!वहां की भाषा सीखने लगते हैं ,खान पान अपनाने लगते हैं ,रीत-रिवाज़ अपनाने लगते हैं ! इस प्रकार प्रारंभ होता है एक नया जीवन ,एक नयापन !
विशाखापटनम आने  के बाद दिन प्रतिदिन मेरा इस शहर से लगाव बढ़ता ही रहा  है !!सबसे पहले यहाँ की हरियाली मेरे बहुत मन भाई । पिता के जंगल विभाग में होने की वजह से अनायास ही इस हरियाली से मुझे बेहद प्रेम है । इसका वैभव विरासत में मिला है मुझे । हुद  हुद  जैसी विपदा के बाद भी यहाँ के नागरिकों नें एक जुट होकर खूब वृक्ष लगाए !खोई हुई हरियाली को किसी हद तक वापस लाकर ही माने  !! उम्मीद है आने वाले समय में  वो हरियाली भी पूर्णतः वापस आ जाएगी !! हम ने भी "योग विलेज " में वृक्ष लगा कर तथा वहां के पूरे परिसर में  सफाई करवा कर  अपना योगदान दिया ।
मुझे ये देख कर बहुत ख़ुशी होती है कि छोटे से छोटे त्यौहार को भी यहाँ  बहुत उत्साह से ,पूरे परिवार के साथ मनाया जाता है ।
वैसे भी शनिवार-इतवार प्रातः  जैसे पूरा शहर ही ,पुलिन तट  (समुन्दर के किनारे )अलग अलग गतिविधियों में संलिप्त रहता है ।सुबह छह से नौ बजे तक यहाँ रोड पर वाहन चालन  मना  है । कहीं  स्केटिंग ,कहीं फ़ुटबाल ,कहीं क्रिकेट , कहीं योग ,कही मैराथन , कहीं साईकिल चालन  , कहीं सैंड आर्ट ,कहीं शास्त्रीय संगीत, कहीं लोक नृत्य ! कुछ न कुछ कला आयोजन से पूरी सड़क भरी रहती है और सुबह का पूरा आनंद लेने लोग सपरिवार आते हैं ! कहीं चाय की दूकान तो कहीं गरम गरम सिकते भुट्टे !! एक सुहानी सुबह के लिए इतना कुछ बहुत है न ?
समन्वित हो इस तरह आनंद लेना यहाँ की खासियत है ।
संस्कृति से जुड़ाव यहाँ की विशेषता  है । बहुत पुराने पुराने मंदिर हैं यहाँ और बहुत शौक से लोग मंदिर दर्शन को जाते हैं । घरों घर स्त्रियां भी विविध पूजा-पाठ का आयोजन रखती हैं और सम्मिलित हो अनेक  मंत्रोच्चारण भली भांति करती चली जातीं हैं । पूजा बहुत श्रद्धा भाव से की जाती है ।
आचरण में कर्मठता यहाँ की विशेषता है ।
संस्कृति का विराट वैभव यहाँ परिलक्षित होता है !

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (21-05-2017) को
    "मुद्दा तीन तलाक का, बना नाक का बाल" (चर्चा अंक-2634)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी,आज चर्चामंच पर अपना लेख देख कर बहुत प्रसन्नता हुई !यथासमय आपसे प्रोत्साहन मिलाता ही रहा है | स्नेह बनाये रहिएगा !!

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  2. वाह ! विशाखापत्तनम के सुंदर प्राकृतिक और धार्मिक वातावरण में सुखद वास आपको बहुत रास आ रहा है, एक कलाकार को संस्कृति और कर्मठता से सहज ही प्रेम होता है.

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  3. विशाखापत्तनम के बारे में बहुत ही सुखद
    अनुभव कराया है आपने....हार्दिक आभार.

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