19 July, 2011

जीवन नदिया झूम रही है ....!!

बुंदियन बरसे लूँम-झूँम   अब ....
जीवन नदिया पूर 
रहा  है   ..
धारा मन-बन घूम रहा है ...
हृद की ताल-तलैयों में है ...
कल-कल करता निश्छल पानी ..



डम-डम डमरू बोल रहा है ..
मिश्री जैसे घोल रहा है ..




कहीं शब्द की कविता  बनती ..
कभी सुरों की सरिता .. ..
बहता बहता कल-कल करता ...
गुन- गुन सावन गाता ..
 नहीं अमंगल भाता मन को ..                 
शुभ  गुण  मंगल दाता .....!!
...
धारा  जैसा बढ़ता  जीवन ... !!
गीत ख़ुशी के मन में रुनझुन ..
धारा बन-बन घूम रही है .....!!
मन के घुँघरू बजते छुन -छुन ....
मधु रस जब-जब तू  बरसाता....
फिर सब करमों की  है गाथा  .. 
शिव की गौरा ..पारवती तुम ...
श्रेय्मयी माँ  कल्याणी बन ..
संग रहना बन भाग्य विधाता ..!!

जीवन नदिया झूम रही है ..
धारा बन-बन घूम रही है .....!!


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41 comments:

  1. धारा जैसा बढ़ता जीवन ... !!
    गीत ख़ुशी के मन में रुनझुन ..
    मन के घुँघरू बजते छुन -छुन ....
    मधु रस जब-जब तू बरसाता.

    बहुत सुन्दर भाव , सुन्दर प्रस्तुति , बधाई

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  2. यही उत्साह निर्झर सा बहता रहे बस।

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  3. सुन्दर कविता.... सादर...

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  4. सुन्दर प्रवाह भावों का ||
    बधाई ||

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  5. जीवन रूपी नदिया सावन में ऐसी ही झूमती है ..सावन में शिव का स्मरण सहज है शायद यह सृजन और संहार दोनों का पर्व है इसलिए .

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  6. sunder runjhun chun chun ras barsaati kavita.atisunder.

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  7. bahut sunder runjhun karati hui rimjhim phuaron ke saath jeevan main anand barsaati hui pyaari rachanaa.badhaai aapko.

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  8. ''जीवन नदिया ''चुनने के लिए ..संगीता जी बहुत बहुत आभार ...

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  9. शिव की गौरा ..पारवती तुम ...
    श्रेय्मयी माँ कल्याणी बन ..
    संग रहना बन भाग्य विधाता ..!!
    माँ कल्याणी सदा कल्याण करें !! अति सुन्दर भक्ति भावपूर्ण रचना ..शुभकामनाएं !!!

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  10. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  11. लोक गीत सा आनंद दिया आपकी इस कविता ने...बधाई!!

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  12. मन का निरझर झरना यूँ ही बहता रहे ...सुन्दर अभिव्यक्ति..आभार..

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  13. सुन्दर भावो की सरिता बह रही है।

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  14. कहीं शब्द की कविता बनती ..
    कभी सुरों की सरिता .. ..
    बहता बहता कल-कल करता ...
    गुन- गुन सावन गाता ..
    नहीं अमंगल भाता मन को ..
    शुभ गुण मंगल दाता .....!!

    बहुत सुंदर भावनाएँ ! सदा ही सबका मंगल हो !

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  15. कहीं शब्द की कविता बनती ..
    कभी सुरों की सरिता .. ..
    बहता बहता कल-कल करता ...
    गुन- गुन सावन गाता ..
    नहीं अमंगल भाता मन को ..
    शुभ गुण मंगल दाता .....!!

    बहुत सुंदर भाव के साथ लिखी गई रचना।
    आभार

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  16. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ सुन्दर रचना लिखा है...सावन सा बहता ....

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  17. जीवन नदिया सी
    कल-कल बहती सुमधुर पंक्तियाँ
    सुर और ताल की अनुपम बंदिश में बँधा
    बहुत सुन्दर गीत .... वाह !

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  18. गुन- गुन सावन गाता ..
    नहीं अमंगल भाता मन को ..
    शुभ गुण मंगल दाता .....!!

    .........बहुत सुंदर भावनाएँ !

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  19. आहा..इस वर्षा गीत से मन मुग्ध हो गया...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  20. काफी अच्छी लगी कविता आपकी. आभार.

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  21. पूरी रचना पढ़ दो बार की हिमाचल प्रदेश की यात्रा का स्मरण हो आया वह भी व्यास नदी की कल कल ध्वनि का……अभी पुन: उधर की यात्रा का कार्यक्रम बना है बच्चे के दाखिले के लिये……सुंदर मनभावन रचना……॥

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  22. चित्र और रचना बहुत खूबसूरत हैं!

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  23. Aaya savan yahan jhum ke..aabhar

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  24. Aaya savan yahan jhum ke..aabhar

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  25. कहीं शब्द की कविता बनती ..
    कभी सुरों की सरिता .. ..
    बहता बहता कल-कल करता ...
    गुन- गुन सावन गाता ..
    नहीं अमंगल भाता मन को ..
    शुभ गुण मंगल दाता ....

    सुन्दर भाव ... सुन्दर शब्द संचयन ... सुन्दर प्रस्तुति ... सरिता की तरह प्रवाहित होता हुवा ...

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  26. संगीता जी ..बहुत सुंदर शीर्षक के अंतर्गत आपने मेरी कोई कविता चुनी है ...!कल का इंतज़ार कर रही हूँ ...!!
    बहुत बहुत आभार आपका ...!!

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  27. मन के भावों की सुंदर प्रस्तुति अच्छी लगी। कभी-कभी मेरे पोस्ट पर भी आने का कष्ट करें।
    धन्यवाद।

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  28. जीवन को इतने खुबसूरत भावो से प्रस्तुत करने के लिए बहुत-बहुत आभार....

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  29. अति सुंदर, बहुत बहुत बधाई,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  30. जीवन नदिया झूम रही है ..
    धारा बन-बन घूम रही है .....!!..बहुत सुन्दर भाव , सुन्दर प्रस्तुति

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  31. जीवन नदिया झूम रही है ..
    धारा बन-बन घूम रही है ...

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

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  32. सुन्दर एहसास के साथ लाजवाब रचना! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गयी! आपकी लेखनी को सलाम!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  33. जीवन नदिया की इस धार को पसंद करने पर आप सभी का आभार ...

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  34. जीवन नदिया झूम रही है ..
    धारा बन-बन घूम रही है .....!!
    बहुत अच्छी लगी आपकी ये रचना । शुभकामनाएँ ।

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  35. बेहतरीन...सुन्दर!!

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!