16 April, 2012

धरा को ही दे दूं ...!!

भुवन  में भवन  मेरा ..
हरित हरिमय हरा   हरा ..
धरा की धरोहर ...
धरा का रूप मनोहर...

ये रंग धरा का ..
प्रारूप धरा का ...
धारिणी,धरित्री बन ..
 ...काश कुछ तो  सहेजूँ.....
बिखरा है जैसे ...
दूर्वा सा मुलायम भावों का स्पर्श यहाँ .......
छनी हुई धूप की हलकी मुस्कान यहाँ  ...
खिल गए असंख्य पुष्प,नए कीर्तिमान जहाँ ...
मूक ..कुछ कहती है ये धरा वहाँ ....
हरी हरी खिली खिली हमसे ......
आच्छादित जैसे हरियाली यहाँ ...
हर पल हो खुश हाली भी यहाँ ......
यही भाव सहृदय   भर लूं ..
हरियाली कि छटा नैन हर ...
शुद्ध वायु से प्राणवायु भर ...
कुछ  मन हरा कर लूं ......!!

चलूं ...चलूँ चलूँ ......
एक संकल्प लूं ....
हरी-हरी ...कुछ तो मैं भी ...हरा -हरा कर दूं ...!!
धरा ने दिया है जीवन यहाँ पर ....
कुछ हरियाली मैं भी ...
धरा को ही दे दूं ....!!

हमारी धरा कि हरियाली का संरक्षण हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य है ... ....!!किन्तु ...ऊंची अट्टालिकाओं में...इस जगमगाती रौशनी में ...इस विकास के अपनी ही बनायीं हुई धारणा में ...हम अपने को ही खोते जा रहे हैं .....!!प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं ....!मायूस होते जा रहें हैं ....!!
आप जानते हैं न  ....किसी को इस वापसी का इंतज़ार है ....!!
चलें ...?.....स्वयं के घर ,अपने ही घर ......कोई हमारी राह देख
रहा है .........................................................................

इस बरसात में प्रण लें कुछ वृक्ष लगाने का ........!!!!!!!!



37 comments:

  1. . मानवता के कल्याण और प्राण वायु की भविष्य की जरुरत को पूरा करने के लिए वृक्ष लगाओ अभियान के लिए ये सार्थक आह्वान है , कविता तो मन को हरी-भरी कर गई अत्यंत सुँदर

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  2. चलूं ...चलूँ चलूँ ......
    एक संकल्प लूं ....
    हरी-हरी ...कुछ तो मैं भी ...हरा -हरा कर दूं ...!!
    बहुत सही कहा है आपने ... उत्‍कृष्‍ट लेखन ।

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  3. हरित हरिमय हरा हरा ..॥रचना पढ़ते हुये संगीत का सा आनंद आता है ... बहुत सटीक संकल्प के साथ सुंदर रचना

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  4. मुलायम भावों को प्रवाहित करती प्यारी सी रचना के लिए बधाई..साथ में संकल्प भी कराती हुई..

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  5. सुन्दर रचना...
    सार्थक सन्देश!

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  6. छनी हुई धूप की हलकी मुस्कान यहाँ ...
    खिल गए असंख्य पुष्प,नए कीर्तिमान जहाँ ...
    मूक ..कुछ कहती है ये धरा वहाँ ....
    हरी हरी खिली खिली हमसे ......
    आच्छादित जैसे हरियाली यहाँ ...
    हर पल हो खुश हाली भी यहाँ ......
    यही भाव सहृदय भर लूं ..
    हरियाली कि छटा नैन हर ...
    शुद्ध वायु से प्राणवायु भर ...
    कुछ मन हरा कर लूं ......!!... हरीतिमा से आच्छादित

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  7. बहुत ही प्यारे भाव..बहुत ही सहजता से पिरो देये अपने शब्दों में.

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  8. जीवन के आधार वृक्षों को बचाने का संकल्प हर किसी को लेना ही चाहिए।


    सादर

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  9. behad umda likha aap ne,bdhaai....

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  10. bahut, bahut, bahut hi badhiya post.....

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  11. उत्कृष्ट संगीतमय संकल्प।

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  12. झंकृत करती रचना प्रकृतिमय

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  13. हमने तो इस ओर कदम अग्रसर कर दिए हैं
    बहुत सुन्दर रचना !
    kalamdaan

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  14. prakarti ke sundar ehsaason ko samet ti atiuttam bhavabhivyakti.ek sandeshparak rachna pryaavaran ko bachaao hare hare taru lagaao.

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  15. चलूं ...चलूँ चलूँ ......
    एक संकल्प लूं ....
    हरी-हरी ...कुछ तो मैं भी ...हरा -हरा कर दूं ...!!

    बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर सार्थक अभिव्यक्ति,बेहतरीन संकल्प भाव की रचना,...

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

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  16. कविता में प्रयुक्त अनुप्रास कविता की छटा को निखारते हैं।
    कविता का संदेश पर्यावरण के प्रति आपकी सचेष्ट अभिलाषा को व्यक्त करता है।

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  17. सार्थक सन्देश .....बेहद सुंदर रचना

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  18. utkrisht post....aur satik sandesh.

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  19. बहुत सुंदर आवाहन करती हुई कृति...आओ वृक्ष लगाएं, जग को कुछ दे जाएँ !

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  20. jag ko kuchh dekar jana ,dhra ke dard ko mahsus karna shandar abhivyakti hae .bdhai

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  21. प्रकृति ने दिया है सब कुछ
    हम भी तो कुछ देना सीखें
    आओ आज निश्चय करलें
    धरती को वृक्षों से भर दें

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  22. बहुत आभार अतुल जी ...!!

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  23. यही भाव सहृदय भर लूं ..
    हरियाली कि छटा नैन हर ...
    शुद्ध वायु से प्राणवायु भर ...
    कुछ मन हरा कर लूं ......!!
    सुन्दर भावमयी प्रेरणादाई रचना
    कृपया अवलोकन करे ,मेरी नई पोस्ट ''अरे तू भी बोल्ड हो गई,और मै भी''

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  24. बढ़िया आवाहन है ...मैं अवश्य करूंगा !
    शुभकामनायें !

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  25. haan dhara ke lie bhi hamare kuch kartavya hai...bahut sundar rachana hai aapki.main poori koshish karungi ped na sahi to gamle main hi podhe lagaungi

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  26. हरी हरी खिली खिली हमसे ......
    आच्छादित जैसे हरियाली यहाँ ...
    हर पल हो खुश हाली भी यहाँ ......
    यही भाव सहृदय भर लूं ..
    हरियाली कि छटा नैन हर ...
    शुद्ध वायु से प्राणवायु भर ...
    कुछ मन हरा कर लूं ......!


    दृश्यात्मकता से परिपूर्ण सुन्दर रचना....

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  27. :) बहुत ही खूबसूरत सन्देश और उतनी ही सुन्दर ये कविता!! :)

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  28. सस्य श्यामला धरती की हरीतिमा बनाए रखना हमरा कर्तव्य हो ...

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  29. Harit dharati si hariyali liye sundar sandesh deti saarthak rachana ...

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  30. आप सभी का बहुत बहुत आभार .......
    इस वर्ष मैंने यह प्रण लिया है हर बरसात में वृक्षारोपण ज़रूर करूंगी ......आप सभी से साथ की अपेक्षा है ....!!
    अपनी धरा को हरा-भरा करें ......
    वृक्ष लगाएं .....!!
    पुनः आभार एवं शुभकामनायें ...!!

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  31. सुन्दर व्रत! सफल हो, यही कामना है

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  32. नई दृष्टि और सन्देश देती कविता.. बहुत सुन्दर...

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!