15 June, 2012

कारे मतवारे घुँघरारे बदरवा ....!

धरा पर छाते हैं ...मन को लुभाते हैं ..
घूम घूम घिरते हैं ...मतवारे   बदरवा ...
कैसे उड़ते है ......कारे बदरवा ....
कारे मतवारे घुँघरारे बदरवा .. ...... .....!!

उड़ते हवा के संग-संग ..
उलझी-उलझी लटों जैसे...
कुछ   उलझे-उलझे  .......
उड़ते--उड़ते ...लट उलझाते ...
मन छू  जाते ...!!

उमड़ते  ..घुमड़ते ....
जैसे नयना नीर भरे ...
भर-भर नीर भर लाते ..
कारे मतवारे कजरारे बदरवा ....!!

अखियन से मन  तक उतराते ...
नैनन बन जाते  कजरवा ...
मन में बजाते कहरवा ...
जीवन से सुर-ताल मिलाते ...
कुछ कह जाते ...कुछ सुन जाते ...
कुछ दे जाते ...कुछ ले जाते ..
भरमाते ...उड़ जाते ...
कारे मतवारे कजरारे बदरवा ....!!


छाये मोरे देस  आज ....कारे कारे  बदरवा ....!
बरसन   आये मोरे देस आज  ...
कारे कारे  बदरवा ....
कारे मतवारे घुँघरारे बदरवा ....!

47 comments:

  1. सावन से पहले ही सावन का समा बाँध दिया.सुन्दर गीत.

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    1. शिखा जी जब सावन आये तब आये ...मुम्बई मे मौसम बहुत सुहाना है :))...बरिश शुरु है ...!!

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  2. अखियन से मन तक उतराते ...
    नैनन बन जाते कजरवा ...
    मन में बजाते कहरवा ...
    जीवन से सुर-ताल मिलाते ...
    कुछ कह जाते ...कुछ सुन जाते ...
    भरमाते ...उड़ जाते ...baadlon kii sair achhi lagi

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  3. अखियन से मन तक उतराते ...
    नैनन बन जाते कजरवा ...
    मन में बजाते कहरवा ...
    जीवन से सुर-ताल मिलाते ...
    कुछ कह जाते ...कुछ सुन जाते ... भीगी भगी सी कविता मन को माह गयी

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  4. कुछ कह जाते ...कुछ सुन जाते ...
    भरमाते ...उड़ जाते ...
    कारे मतवारे कजरारे बदरवा ....!
    ....बहुत सच कहा है...बहुत सार्थक और सुन्दर प्रस्तुति..!!!

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  5. सचमुच ऐसा लग रहा है सावन आ गया... सुन्दर रचना

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  6. puri tarah bhinga diya aapne ..............

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  7. आजकल ये बाद्ल उमड़-घुमड़ ही रहे हैं। बरस नहीं रहे।

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    1. इसलिये ये रचना जल्दी पोस्ट की क्योंकि यहाँ मुम्बई मे आसाढ़ की मेहरबानी है ...बादल छाते कम हैं ,बरसते ज्यादा हैं |अब शीघ्र ही झमाझम बारिश पर लिखना पड़ेगा ...!:)

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  8. अखियन से मन तक उतराते ...
    नैनन बन जाते कजरवा ...
    मन में बजाते कहरवा ...
    जीवन से सुर-ताल मिलाते ...
    कुछ कह जाते ...कुछ सुन जाते .

    बहुत सुंदर .... दिल्ली की भीषण गर्मी में यह रचना फुहार जैसी लग रही है :)

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    1. सच मे दी... दिल्ली की बरसात और मुम्बई की बरसात मे बहुत अंतर है ..:))...

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  9. वाह, वर्षा का उल्लास छलक रहा है।

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  10. अति सुन्दर भाव विभोर करती हुई अनुपम प्रस्तुति.
    आप के गीत में मधुर अलौकिक संगीत झंकृत होता है.

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  11. आपके ब्लॉग की चर्चा। यहाँ है, कृपया अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएं

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  12. मेघ मल्हार से भाव तरंगित हो रहे

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  13. मेघ मल्हार गाइये, रिमझिम फुहार से तृप्त हो जियें , यहाँ तो अभी इन्द्र देव की कृपा का टुकड़ा भी नहीं पंहुचा .कृत्रिम फुहारों से मन को बहला रहे है हम लोग . भेजिए जल्दी से हम लोगो की तरफ कुछ काले घुंघराले बदरवा .

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    1. आशीश जी ...आप काले घुंघराले बदरवा कह रहे हैं इसलिये नहीं आ रहे हैं ....कारे घुंघरारे बदरवा कहिये ...जल्दी आ जायेंगे ...:))

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  14. घनन घनन घिर घिर आये बदरा..

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  15. घिर घिर आये रे बदरिया....सावन के आने का आभास..

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  16. ये बोल किसी शास्त्रीय संगीत में निबद्ध गीत के लिए आपने बनाया लगता है. बहुत सुंदर ध्वनियाँ उभरी हैं.

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  17. बहुत बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  18. अखियन से मन तक उतराते ...
    नैनन बन जाते कजरवा ...
    मन में बजाते कहरवा ...
    जीवन से सुर-ताल मिलाते ...
    कुछ कह जाते ...कुछ सुन जाते ...
    कुछ दे जाते ...कुछ ले जाते ..
    भरमाते ...उड़ जाते ...
    कारे मतवारे कजरारे बदरवा ....!!

    अभी अभी रामगढ से घूमकर आया हूँ. आपकी रचना में भी मेघदूत की खुशबू का एहसास मिला .कथन और कथ्य वही ........

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  19. शीघ्र बरसात हो जाए,यहा तो गर्मी के मारे बुरा हाल है,

    बहुत बेहतरीन सुंदर गीत ,,,,,

    RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,

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  20. वाह ... बहुत खूब ।

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  21. बहुत खुबसूरत.....यहाँ दिल्ली में तो बुरा हाल है ।

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  22. वर्षा ऋतु का स्वागत करती मोहक रचना।

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    बेहतरीन रचना


    दंतैल हाथी से मुड़भेड़
    सरगुजा के वनों की रोमांचक कथा



    ♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥

    ♥ पढिए पेसल फ़ुरसती वार्ता,"ये तो बड़ा टोईंग है !!" ♥


    ♥सप्ताहांत की शुभकामनाएं♥

    ब्लॉ.ललित शर्मा
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  24. आसमान में बदल छाते ही हमारे सूखे पड़े मन नाच उठते हैं !

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  25. सावन आये न आये जिया जब झूमे सावन है......सावन के आने का आभास..
    सुंदर प्रस्तुति.
    _______________
    पी.एस. भाकुनी
    _______________

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  26. बहुत सुन्दर रचना...

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  27. सांगीतिक अभिव्यक्ति श्रृंगार की संयोग में से झांकते वियोग की .बादल की मार्फ़त भावनाओं का उमडन घुमडन अभिव्यक्त हुआ है ,प्रीतम के परदेशवा होने की छिपी सी हूक भी है कहीं तो .

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  28. वाह...!
    सम्पूर्ण दृश्य जी उठा आपके शब्दों में!

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  29. मोह लिया मन को काले बदरवा ने..तनिक बरस भी गया...

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  30. वाह ये मतवारे बदरा ......

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  31. सुन्दर ...भीगी भीगी रचना..................

    सराबोर हो गए हम...............

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  32. बरसन आये मोरे देस आज ...
    कारे मतवारे घुँघरारे बदरवा ....!

    वारिश का मौसम होता ही है सबको प्रसन्न कर देने वाला.

    बहुत सुंदर कविता.

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  33. हृदय से आभार आप सभी का .......प्रभु से प्रार्थना है ...ये बदरा खूब छायें और पुरज़ोर बरसें ....

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  34. खूबसूरत!!
    मुंबई में तो बारिश शुरू हो गयी, लेकिन दिल्ली अब भी गर्म है..
    जल्दी से बारिश हो यहाँ तब ये कविता फिर से पढ़ने आऊंगा, अभी तो कविता पढ़ के जलन ही हो रही है और बारिश का इंतज़ार कर रहा हूँ :) :)

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  35. अब बस बरसे ये बेधड़क... कि कोई भी मन प्यासा न रहे... आती मानसून को इंगित सुन्दर रचना..
    सादर

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  36. kare kare badal,sawan ke aana ka sandesh la reha hain. jhoola, thumri, geet gane ke liya hume bula rahe hain.

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!