07 July, 2012

बनरा मोरा ब्याहन आया .....!!

री सखी ...
देख न ..
सुहाग के बादल छाये ....
उमड़ घुमड़ घिर आये ...
सरित मन तरंग उठे....
हुलसाये ...!!


झड़ी सावन की लागि ...
माथे लड़ियन झड़ियन  बुंदियन सेहरा ...
गले मुतियन बुंदियन हार पहन .....
बनरा मोरा ब्याहन आया ...!

मन उमंग लाया ....
जिया हरषाया ...
सलोना सजन 
धर रूप सावन आया ....!!
धरा पलक पुलक छाया ..
हिरदय हर्षाया ....!!
बनरा मोरा ब्याहन आया ....!


संगीत मे बंदिशों के बोल इसी प्रकार के होते है .......जिनको गाते गाते अनुभुति की एक माला सी बनने लगती है .....जिनका अर्थ शाब्दिक रह ही नहीं जाता ....!!भाव का समुंदर बन जाता है और हम गाते गाते ना जाने कहाँ  बह जाते हैं .... ............बस श्रुति ही ध्यान रहती है ...!!बनरा की प्रतीक्षा कर रही बनरी ....या वर्षा की प्रतीक्षा कर रही धरा .....या राग के सधने की प्रतीक्षा कर रहा है मन ....या ...कविता के और निखरने की प्रतीक्षा कर रहा है कवि ....या ....अरे अब इस अनुभुति मे ना जाने क्या क्या जुड़ जाये .....
यही अनुभुति .....यही स्पंदन तो संचार है जीवन का .....


स्नेही  पाठकगण ...यदि आप मेरा काव्य संग्रह अनुभुति खरीदना चाहें तो फ्लिप कार्ट पर निम्नलिखित लिंक पर जा कर खरीद सकते हैं ...!
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बहुत आभार .....अगर पढें तो उसके विषय मे दो शब्द कहना ना भूलें ......!!मेरे लिये वही प्रभु प्रसाद है ....!!!!

43 comments:

  1. बहुत सुन्दर अनुपमा जी.....
    प्रतीक्षा की घडी बड़ी मीठी होती है....जैसे आपके बोल...
    :-)

    सस्नेह

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  2. धर रूप सावन आया ....!!
    धरा पलक पुलक छाया ..
    हिरदय हर्षाया ....!!
    बनरा मोरा ब्याहन आया ....!
    बिल्कुल सही कह रही हैं आप्
    किसकी बात करें-आपकी प्रस्‍तुति की या आपकी रचनाओं की। सब ही तो आनन्‍ददायक हैं.....शानदार
    अभिव्यक्ति के लिए आभार,अनुपमा जी

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  3. बदरा बारिश और बनरा क्या बात है आनुप्रासिक छटा की भाव की अनुभाव .मानवीकरण प्रकृति का ,.राग का .जितनी सुन्दर बंदिश उतनी ही रागात्मक व्याख्या .क्या बात है .आनंद वर्षण कर दियो आपने .आंचलिक शब्द संयोजन और बंदिश के बोल ,संगीत हावी रहता है आपकी सभी प्रस्तुतियों पर .बधाई क्या बढ़ाया .आज तो बधाई गाओ रंग महल में ..

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  4. क्या बात है,आपके ब्लॉग पर तो आजकल बारिशों के मौसम का असर छाया हुआ है!!!
    बेहतरीन!! :) :)

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  5. और तस्वीर से तो लग रहा है सच में ब्लॉग बारिश में भींग रहा है :)

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  6. वाह!
    बहुत ही सुन्दर है आपकी यह कविता.
    भाव बिभोर करती,मन को हर्षाती.

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  7. पढ़ के मन हर्षित होता है. बरसात की हर बूंद धरा के हर्ष में समृद्धि का कारण बनती है और आपकी कविता हम संगीत विहीन लोगों के लिए ज्ञान का सीढ़ी .

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  8. waah ...anupmaji adbhut abhivyakti

    ek puraana giit
    jab baal vivah hota tha ...

    hariyala banra laadla godi ko machal raha re ....

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  9. बहुत सुंदर रचना
    ऐसी कविताओं में गोता लगाने के लिए शांतचित मन हो जो एक एक शब्दों के अनुरुप खुद ही ढलता जाए...


    झड़ी सावन की लागि ...
    माथे लड़ियन झड़ियन बुंदियन सेहरा ...
    गले मुतियन बुंदियन हार पहन .....
    बनरा मोरा ब्याहन आया ...!

    क्या कहने

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  10. बनरा मोरा ब्याहन आया.....सुंदर पारंपरिक-गीत !

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  11. भाव में करते शब्‍दों का अनुपम संगम ... इस उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति के लिए आभार

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  12. सच कहा अनुपमा जी ..वर्षा की प्रतीक्षा कर रही धरा .....या राग के सधने की प्रतीक्षा कर रहा है मन ....या ...कविता के और निखरने की प्रतीक्षा कर रहा है कवि ....या ....आप की पोस्ट की प्रतीक्षा करता पाठक..ये अनुभूति सचमें बहुत ही अनुपम और अद्भुत होते है ..बहुत सुन्दर....आभार

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  13. बहुत सुंदर रूपक के साथ रची रचना .... बारिश कि बूंदों के समान झर रहे हैं भाव

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  14. भीगे मौसम में ऐसे भाव पढ़ के मन हल्का हो जाता है..

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  15. अहसासों की एक सुन्दर रचना.....

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  16. बहुत सुन्दर मनभावन रचना...
    :-)

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  17. anupam as your name :-)

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  18. बनरा मोरा ब्याहन आया...बहुत सुंदर मुखड़ा और आगे तो गीत सुंदर होना ही था...गीत और संगीत जब मिल जाते हैं तो सोने पर सुहागा...

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  19. बहुत सुन्दर गीत...आपके पुस्तक (अनुभूति) प्रकाशन की शुभकामनाये.. पाठक वर्ग कैसे , कहाँ से खरीद सकते हैं..बताने का कष्ट करें.

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  20. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (08-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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    1. बहुत आभार शास्त्री जी ...!!

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  21. ज्योतिपर्व प्रकाशन के सौजन्य से आपकी यह रचना आजकल पढ़ रहा हूँ !
    आपको बधाई अनुपमा जी !

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    1. बहुत आभार सतीश जी ...!!कौन सी कविता अच्छी लगी बताइयेगा .....!!

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  22. प्रशसनीय.... मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।

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  23. bahut hi sunder geet sawan ka.............

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  24. वाह दी बहुत बहुत आभार आपका ...नयी-पुरानी हलचल से मन जुड़ा हुआ है ...!!

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  25. धर रूप सावन आया ....!!
    धरा पलक पुलक छाया ..
    हिरदय हर्षाया ....!!
    बनरा मोरा ब्याहन आया ...

    मनमोहक सुंदर लयकारी श्रावणी गीत,,,,,,अनुपमा जी बधाई

    RECENT POST...: दोहे,,,,

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  26. एक सुंदर रचना की प्रतीक्षा कर रहा पाठक ..
    को अगर मनभावन बादल की झरी सी रस बरसाती रचना मिल जाए तो बहना ही क्या। रचना के शिल्प से ही लग रहा है कि इसे यदि शास्त्रीय गायन की शैली (तकनीकी शब्द न दे पा रहा हूं) में गाया जाए तो बस चारों ओर बारिश के वातावरण का सृजन हो जाएगा।

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    1. बहुत आभार मनोज जी आप निश्चित रूप से स्वरोज सुर मंदिर के नियमित पाठक हैं !!आज के प्रोग्राम मे बड़े खयाल के बोल हैं ...''बनरा मोरा आयो री सखी प्यारा ...इसी को कविता में आगे बढ़ा दिया है ...!!

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  27. बहुत
    भावपूर्ण रचना |
    आशा

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  28. आहा ...इसे कभी आपकी आवाज में सुनने की तमन्ना है.

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  29. बहुत मनभावन प्रस्तुति..

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  30. धर रूप सावन आया ....!!
    धरा पलक पुलक छाया ..
    हिरदय हर्षाया ....!!
    बनरा मोरा ब्याहन आया ....!

    सुनाने सुनने में भी मोहक होगा ......

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  31. बनरा मोरा ब्याहन आया वाह कितने मनमोहक शब्द मनमोहक अंदाज गीत की फुहार जैसे वर्षा की फुहार चित्र में तन मन भीग गया आपके ब्लॉग पर आकर

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  32. अहा! बड़ी सुन्दरता से अनुभूति के समन्दर में उताड़ दिया है..

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  33. आपकी अनुभूतियों ने मन मोह लिया.
    mallar.wordpress.com

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  34. आप सभी गुनी जनों का हृदय से आभार ....!!

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  35. उमंग भरती सुंदर रचना....
    सादर।

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  36. खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित
    है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद और
    बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं,
    पंचम इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें अंत में पंचम
    का प्रयोग भी किया
    है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
    ..

    हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है.

    .. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती है.
    ..
    My webpage > संगीत

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!