24 August, 2012

बूंदों का रंग ...

बुरा मत बोलो ,बुरा मत देखो,बुरा मत सुनो ...


नकारत्मक को नकार कर सकारत्मक को साकार कर पाना मुश्किल तो है ...किंतु ज्ञान ही हमारे मन को समृद्धी देता है ...!!हम कहीं  भी जायें हमरा मन हमसे आगे आगे ही चलता है ,दिशा दिखाता हुआ ......जो दिखाता है ....वही देखते हैं हम ....जो समझाता है वही समझते हैं हम ....
 सावन के आते ही लालित्य से धरा सराबोर ....जहाँ देखो वहाँ ...प्रकृति का सौंदर्य जैसे अटा पड़ा है ...!!वही सौंदर्य का,वही बरसात का वर्णन कर पाया मन ...!!

बीत  गया सावन ......ऐसी बरसात के बस बूंदों की आवाज़ खनखनाती है कानों मे ...... ...एक शाश्वत सत्य सा .....कुछ संदेश है ...निश्छल बूंदों में.....

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बरस रहा था ...
पुरज़ोर सावन ...
निश्छल निर्झर ...
सोचा ..देखूँ तो कैसा है ...
बूंदों का रंग..
अंजुरि भर हाथ मे ..!!
जब  देखा ...तब जाना ..
कोइ रंग नहीं...?
बस ...
 मन के भावों मे छुपा हुआ ...
एक  ही रूप जाना पहचाना .. ..
मेरे  भावों  का रंग ही  तो  है ...
 इस बरसात मे ...

उछाल देती हूँ भरी अंजुरि ..
भीग जाती हूँ उन्हीं बूंदों मे फिर ...
उमड़ घुमड़ घन ..
गरज-गरज बरस रहे ...
खन खन कुछ कहती हैं  बूंदें..
कानो में.....
राग गौड़ मल्हार के सुर आज छेड़े  हैं ..
हृदय से ...
पहुंच ही गई  श्रुति मुझ तक ...
इन्हीं संचित पावन  बूंदों से ....
भिगो गयी अंतस ...
सच मे ...
मेरे भावों में भीगा ...
सप्त स्वरों का ....
सतरंगी ..रंग ही तो है ...इस बरसात में ...!!


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गौड़ मल्हार -राग का नाम है ,



42 comments:

  1. हर शब्‍द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।

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  2. प्रकृति के कुछ रंग यदि हम पकड़ पायें या अपने रंगों को उसमें मिला पायें तो ज़िन्दगी का रंग बिलकुल चटख होगा !

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  3. भीगा भीगा, झीने जल सा..

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  4. राग गौड़ मल्हार के सुर के साथ सप्त स्वरों का सतरंगी रंग ही तो है इस बरसात में,,,,,एक बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,,,

    RECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,

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  5. बूंदों का नहीं भावों का रंग ही होता है ....और भावों से ही कल्पना में इंद्रधनुष खिलता है .... बहुत सुंदर भाव मयी रचना ....

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  6. वाह..! चित्र भी सुन्दर है ..

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  7. मन भावों सी बरसती बूंदें....... बहुत सुंदर

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  8. मेरे भावों में भीगा ...
    सप्त स्वरों का ....
    सतरंगी ..रंग ही तो है ...इस बरसात में ...!!
    अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ..आभार

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  9. बहुत अच्छी रचना


    उछाल देती हूँ भरी अंजुरि ..
    भीग जाती हूँ उन्हीं बूंदों मे फिर ...
    उमड़ घुमड़ घन ..
    गरज-गरज बरस रहे ...

    बहुत सुंदर

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  10. बेहद सुन्दर लगी पोस्ट।

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  11. prakriti ka sundar chitran ..........rag-raginiyon ka anubhav aapke sangeet prem ko darshata hai

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  12. बूंद बूंद अर्थ भरे और जीवंत

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  13. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (25-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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    1. बहुत बहुत आभार शास्त्री जी ...!!

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  14. सच मे!निश्छल बूंदें भिगो गयी अंतस...

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  15. बहुत खूब ... आभार


    मेरा रंग दे बसंती चोला - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे शामिल है आपकी यह पोस्ट भी ... पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी मे दिये लिंक पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !

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    1. बहुत बहुत आभार शिवम भाई इस जानदार बुलेटिन में मेरी रचना को स्थान मिला ....!!

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  16. बेहतरीन अभिवयक्ति.....

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  17. क्या कहूँ अनुपमा जी ........सराबोर कर दिया सावन की बूंदों ने

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  18. इन बूंदों में हमें वही रंग दिखता है जो रंग उस पल हमारी भावनाओं का होता है।

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  19. सुन्दर भावनाओ की सप्तरंगी
    अभिव्यक्ति...
    बहुत सुन्दर...
    :-)

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  20. पुरी कविता रससिक्त भावों के सावन से सिंचित है । रूप-रस गन्ध सब कुछ समेटकर । बहुत बधाई अनुपमा जी ! ये पंक्तियाँ माधुर्य उडेल दे रही हैं- एक ही रूप जाना पहचाना .. ..
    मेरे भावों का रंग ही तो है ...
    इस बरसात मे ...

    उछाल देती हूँ भरी अंजुरि ..
    भीग जाती हूँ उन्हीं बूंदों मे फिर ...
    उमड़ घुमड़ घन ..
    गरज-गरज बरस रहे ...
    खन खन कुछ कहती हैं बूंदें..
    कानो में.....
    राग गौड़ मल्हार के सुर आज छेड़े हैं ..
    हृदय से ...

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  21. sahi bat jaisa man vaise man ke bhav....

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  22. मन के खूबसूरत एहसास

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  23. बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति...

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  24. आपकी किसी पुरानी बेहतरीन प्रविष्टि की चर्चा मंगलवार २८/८/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी मंगल वार को चर्चा मंच पर जरूर आइयेगा |धन्यवाद

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    1. हृदय से आभार राजेश कुमारी जी ....!!

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  25. खूबसूरत एहसास,भावमयी अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर अनुपमा जी आभार..

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  26. सतरंगी बूँदें...सतरंगे एहसास !! बहुत सुंदर रचना !!

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  27. बारिश की बूंदों में इंद्रधनुष के ही तो रंग होते हैं सात सुरों के सात रंग ।
    बेहद कोमल प्रस्तुति ।

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  28. गौड़ मल्हार आपकी कविता के भावों को साकार कर देता है।
    भावपूरित रचना।

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  29. बूंदों की सहजता और अल्हड़ता जिंदगी का दर्शन सिखाती है . हमारे भाव अगर बूंदों के पथगामी बन सके तो शायद इन्द्र धनुषी जीवन साकार हो उठेगा . बहुत सुन्दर कविता . मन भीगा .

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  30. सच कहा है रंग भावनाओं में होता है ... जो अल्हड बारिश की बूंदों में इन्द्रधनुष बना देती हैं ...

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  31. सतरंगी ..रंग ही तो है ...इस बरसात में ..
    बहुत सुन्दर कविता ..

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  32. भाव तो अंत:स में होते हैं और रंग, भावों में .....जैसे भाव वैसे ही रंग ..ख़ुशी में इन्द्रधनुषी और दुख में श्वेत श्याम मटमैले ....मन के भावों को बड़ी सुन्दरता से दर्शाती ...बूंदों में भिगोती ...सुन्दर प्रस्तुति ...!!!!

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  33. भाव तो अंत:स में होते हैं और रंग, भावों में .....जैसे भाव वैसे ही रंग ..ख़ुशी में इन्द्रधनुषी और दुख में श्वेत श्याम मटमैले ....मन के भावों को बड़ी सुन्दरता से दर्शाती ...बूंदों में भिगोती ...सुन्दर प्रस्तुति ...!!!!

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  34. मन ही दिशा दिखाता है..बूंदों का रंग हो या जीवन संगीत ..बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना !

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  35. 'बीत गया सावन... ऐसी बरसात
    के बस बूंदोँ की आवाज खनखनाती है
    कानोँ मेँ... एक शास्वत सत्य सा... कुछ संदेश देती है....
    निश्छल बूंदोँ मेँ '
    बहुत सुन्दर रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  36. अत्यंत भावपूर्ण एवं भीगी भीगी सी उत्कृष्ट रचना ! मन को भी सराबोर कर गयी ! बहुत सुन्दर !

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  37. बहुत सुदर लिखा है आपने। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।

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  38. बरस रहा था ...
    पुरज़ोर सावन ...
    निश्छल निर्झर ...
    सोचा ..देखूँ तो कैसा है ...
    बूंदों का रंग..
    अंजुरि भर हाथ मे ..!!
    जब देखा ...तब जाना ..
    कोइ रंग नहीं...

    अपने से ही सारी दुनिया बनती और बिगड़ती है दी ... बहुत ही अच्छी रचना है यह !

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!