28 November, 2012

मन की कोमल पंखुड़ी पर ....फिर बूँद बूँद ओस.....!!



सुषुप्ति छाई ....गहरी थी निद्रा ....
शीतस्वाप  जैसा  .. .. ....सीत  निद्रा में  था श्लथ मन ........!!
न स्वप्न कोई .....न कर्म कोई ...न पारितोष ......
अचल सा था .....मुस्कुराने  का भी चलन ....
तब ....शांत चित्त  ...
बस जागृत रही आस ......
है छुपा हुआ कहाँ प्रभास ....?
जपती थी  प्रभु नाम ....
गुनती थी गुन ...गहती थी तत्व ....और ...
टकटकी लगाए राह निहारती थी .......शरद की ....!!
हर साल की तरह ......कब आये शरद और  ...
हरसिंगार फिर झरे मेरी बगिया में ...बहार बनके ....



अब पुनः  ....शरद  आया है .....
अहा .....लद कर  छाया है .....
चंदा सूरज सा ....
श्वेत और नारंगी रंग लिए ...


हरसिंगार अबके ......!!!!
नवल ऋतु .....
नवल पुष्प ....
नित-नित झर-झर फूल झरें अक्षर के ....!!!!












आ ही गयी शरद की हल्की गुलाबी ....
शीतल हेमंत की बयार ......
मन किवाड़ खटकाती .....
दस्तक देती  बारम्बार  ...
देखो तो .....
बगिया  मे मेरे .....टप ...टप ...टपा टप .....
झरने लगा है हरसिंगार    ..........................
 और ......









अंबर  से वसुंधरा  पर ......
रिसने लगी है ...जमने लगी है .........
जैसे   मेरे मन की कोमल पंखुड़ी पर ..........
तुम्हारे अनुनेह सी अनमोल .........
पुनः ..... बूँद बूँद ओस.....!!

32 comments:

  1. प्रकृति झर निर्झर बहती,
    मचलती, मन की कहती।

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  2. खूबसूरत काव्य अनुपना जी. शब्द शब्द कसीदे किये हुए. एक खुशबू की तरह तर कर गया... मन शाद शाद.

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  3. खूबसूरत शब्द भाव

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  4. शरद के पुष्पों जैसे ही खूबसूरत शब्दों से सजी रचना !!

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  5. आह ..झर झर झरता कोमलता से भावों का झरना ...

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  6. वाह ...


    नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाने सरबत दा भला - ब्लॉग बुलेटिन "आज गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व और कार्तिक पूर्णिमा है , आप सब को मेरी और पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से गुरुपर्व की और कार्तिक पूर्णिमा की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और मंगलकामनाएँ !”आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. बहुत बढ़िया बुलेटिन ......आभार शिवम भाई मेरी रचना को स्थान दिया ....!!गुरुपुरब की शुभकामनायें ....!!

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  7. खूबशूरत शब्द संयोजन बेहतरीन काव्य,,,

    resent post : तड़प,,,

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  8. बहुत बहुत सुन्दर

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  9. वाह...
    बहुत सुन्दर....
    कितने दिनों बाद इन फूलों का यूँ झरना शुरू हुआ फिर :-)

    सस्नेह
    अनु

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  10. http://blog4varta.blogspot.in/2012/11/4_29.html
    संध्या जी बहुत आभार ब्लॉग वार्ता पर मेरी रचना लेने के लिए ....

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  11. हर शब्द लाजवाब हैं। प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।

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  12. चंदा सूरज सा ....
    श्वेत और नारंगी रंग लिए ...
    हरसिंगार अबके

    और फिर

    शीतल हेमंत की बयार ......
    मन किवाड़ खटकाती .....
    दस्तक देती बारम्बार ...
    देखो तो .....
    बगिया मे मेरे .....टप ...टप ...टपा टप .....
    झरने लगा है हरसिंगार

    शब्दों का सुंदर चयन और अप्रतिम बिम्ब !!

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  13. अंबर से वसुंधरा पर ......
    रिसने लगी है ...जमने लगी है .........
    जैसे मेरे मन की कोमल पंखुड़ी पर ..........
    तुम्हारे नेह सी अनमोल .........
    पुनः ..... बूँद बूँद ओस.....!
    वाह !!! नि:शब्‍द हूँ आपकी इन पंक्तियो पर

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  14. वाह , हरसिंगार के पुष्प सदृश ही सुंदर भाववृष्टि है आपकी कविता में। ्ति सुंदर।
    सादर-
    देवेंद्र
    मेरी नयी पोस्ट- कार्तिकपूर्णिमा

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  15. शरद ऋतू पर ये अनुपम रचना है...बधाई.

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  16. बहुत ही सुन्दर और प्यारी रचना..
    अति सुन्दर...
    :-)

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  17. अति सुंदर

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  18. shuru ki panktiyon ne hi dil ko chhoo liya...:)
    सुषुप्ति छाई ....गहरी थी निद्रा ....
    शीतस्वाप जैसा .. .. ....सीत निद्रा में था श्लथ मन ........!!
    न स्वप्न कोई .....न कर्म कोई ...न पारितोष ......
    अचल सा था .....मुस्कुराने का भी चलन ....
    behtareeen..

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  19. कोमल अहसासों में गुथी एक कोमल रचना ...
    शुभकामनायें!

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  20. वाह! बहुत ही सुन्दर !! शब्दों को श्रृंगार में बेजोड़ बुना है ... मौसम के सारे रंग, सारी खुशबू समाई हुई है यहीं!
    सादर
    मधुरेश

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  21. आपका बहुत बहुत धन्यवाद खुबसूरत रचना के लिए . जलन सी होती है इतने सुन्दर भावों के लिए .

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  22. हारसिंगार रूपी अक्षर यूं ही झरते रहें ..... बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  23. बहुत सुन्दर कविता |आभार
    www.sunaharikalamse.blogspot.com
    हरिवंश राय बच्चन की कविताएँ और मधुशाला |

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  24. पढ़कर आपने अपने विचार दिये .....आप सभी गुणी जनों का हृदय से आभार ....

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  25. भींगती-भिंगोती बूंदें.. सुन्दर काव्य..

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  26. शरद के आगमन में खिले सुन्दर फूल ... सुन्दर शब्द ...
    फिर बूँद बूँद ओस ... क्या बात है ... लाजवाब अभिव्यक्ति ...

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!