प्रेम की राहें ..
जानी अनजानी सी ..
नेह बरसे ..
छाई बहार ...
फूली बेलरिया है ..
मनवा झूमें ..
परछाईं सी ...
तुम साथ चलो तो ..
जीवन खिले ..
जीवन डोर ..
तुमसे बंध गई ..
उड़ती फिरूं ..
घूँघट पट
बैरी पवन खोले ....
जाने न दूंगी ...
अपने पिया को मैं ...
श्यामा तोरी ...
बांस की बाँसुरिया ..
मन रिझाए ..
जीवन सूना ...
पिया के बिना मोरा ..
नींद न आये ,
बांवरी हुई ..
पिया मिलन ऋतु ..
मन सुहाई ..
सखी का करूँ ...?
संदेसवा न आये ..
याद सताए ..
मनभावन ..
रस भरी बतियाँ ..
मनवा भाईं ...
नन्द कुँवर ....
बोले मीठे बैन रे ...
जिया चुराये ....
बोले मीठे बैन रे ...
जिया चुराये ....
जसोदा तोरा ..
लाल माखन चुराए ..
मन लगाऊँ ..
श्याम तोरी बांसुरी
नेक बजाऊँ .......??
नेक बजाऊँ .......??
चहुँ ओर आनंद छायो ...कृष्ण प्रेम में विरह भी आनंद सम !
ReplyDeleteसभी एक से बढ़कर एक !
घूँघट पट
ReplyDeleteबैरी पवन खोले
जिया डराये .........सुंदर अनुपमा जी ,आपकी चित्र सहित प्रस्तुति बहुत बढियां लगती है ।
बहुत सुंदर उत्कृष्ट हाइकू ,,,,
ReplyDeleterecent post : प्यार न भूले,,,
शब्दों को बार बार हल्का सा झोंका..
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ReplyDeleteमनभावन ..
रस भरी बतियाँ ..
मनवा भाईं ...
... सभी एक से बढ़कर एक ... बहुत ही बढिया ।
सभी के सभी सुन्दर और साथ में मनमोहक तस्वीरें........वाह।
ReplyDeleteआनन्दमयी प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह. पढ़ के आनंद अनुभूति हुई . सारे हायकू बहुत सुन्दर और भावप्रबल . .
ReplyDeleteप्रेम के रंग में रंगे सुंदर हाइकू !
ReplyDeleteमुबारक ! सुंदर रचना रचने के लिए ....
ReplyDeleteसुन्दर व् सार्थक अभिव्यक्ति .आभार
हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
कृष्ण का रंग
ReplyDeleteचहुं ओर दीखता
रस बरसा .....
बहुत प्यारे हाइकु
बहुत प्यारे कृष्ण के स्नेह रस में डूबे हाइकु एक से बढ़कर एक --जय श्री कृष्ण बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteसुन्दर चित्रों के साथ सुन्दर कवितायेँ [क्षणिकाएं ]यह पोस्ट पठनीय के साथ दर्शनीय भी है |
ReplyDeleteआली छा गयो ...
ReplyDeleteमोरे मन में श्याम ...
मन आनंद ..
वाह..सब एक पर एक. आभार स्वीकार करें अनुपमा जी.
सादर,
निहार
जो साँवरिया बसे हृदय में, दूजे कहाँ हो उनकी ठौर।
ReplyDeleteजो मैं जोगन बनी कृष्ण की,नाम जपूँ क्यों और ।
सुंदर रचना ।
मेरे ब्लॉग पर नयी पोस्ट-
विचार बनायॆ जीवन
जसोदा तोरा ..
ReplyDeleteलाल माखन चुराए ..
रार मचाये...
bahut hi sundar..
अत्यंत भावपूर्ण व सुन्दर प्रस्तुति ..
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ReplyDeleteसखी का करूँ ...?
संदेसवा न आये ..
याद सताए ..
सारे हाइकू सुन्दर!
सादर
मधुरेश
बहुत सुंदर हाइकु...
ReplyDeleteआपके हर हाइकु की क्गुशबू मन-प्राण को सींचने में समर्थ है । बहुत बधाई अनुपमा जी !
ReplyDeleteshaandaar haigaa:)
ReplyDeleteसभी एक से बढ़कर एक ....
ReplyDeleteआप सभी का हृदय से आभार ...!!
ReplyDeleteजीवन-डोर ,तुमसे बध गई ,उड़ती फिरूं
ReplyDeleteबहुत सुंदर हाइकू ,सभी एक से बढ़ कर एक
प्रेम का तो हर रूप सलोना है वैसे ही अनुपमा
तुम्हारे ये हाइकू मन को भा गए
साभार
उठते भावों को कैसे शब्द दूँ ? बस...अति सुन्दर..
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