24 November, 2012

श्याम तोरी बांसुरी नेक बजाऊँ ....


प्रेम की राहें ..
जानी अनजानी सी ..
नेह बरसे ..


छाई बहार ...
फूली बेलरिया है ..
मनवा झूमें  ..

परछाईं सी  ...
तुम साथ चलो तो ..
जीवन खिले  ..


जीवन डोर ..
तुमसे बंध  गई ..
उड़ती फिरूं ..


घूँघट  पट
बैरी पवन खोले ....
जिया डराए ..




जाने न दूंगी ...
अपने पिया को मैं ...
उर  धरूंगी ..

आली छा गयो  ...
मोरे मन में श्याम ...
मन आनंद ..

नील निलय ..
प्रभु मन में  मेरे  ...
नीलकमल



जोगन बनी ...
अपने पिया की मैं ..
प्रेम दीवानी ...



श्यामा तोरी ...
बांस की बाँसुरिया ..
मन रिझाए ..


जीवन सूना ...
पिया के बिना मोरा ..
नींद न आये ,

बांवरी हुई ..
पिया मिलन ऋतु ..
मन सुहाई ..


सखी का करूँ  ...?
संदेसवा न आये ..
याद सताए ..

मनभावन ..
रस भरी  बतियाँ ..
मनवा भाईं ...

नन्द कुँवर ....
बोले मीठे बैन रे ...
जिया चुराये ....

जसोदा तोरा ..
लाल माखन चुराए ..
रार मचाये  ..


मन लगाऊँ ..
श्याम तोरी बांसुरी
        नेक बजाऊँ .......??

25 comments:

  1. चहुँ ओर आनंद छायो ...कृष्ण प्रेम में विरह भी आनंद सम !
    सभी एक से बढ़कर एक !

    ReplyDelete
  2. घूँघट पट
    बैरी पवन खोले
    जिया डराये .........सुंदर अनुपमा जी ,आपकी चित्र सहित प्रस्तुति बहुत बढियां लगती है ।

    ReplyDelete
  3. शब्दों को बार बार हल्का सा झोंका..

    ReplyDelete

  4. मनभावन ..
    रस भरी बतियाँ ..
    मनवा भाईं ...
    ... सभी एक से बढ़कर एक ... बहुत ही बढिया ।

    ReplyDelete
  5. सभी के सभी सुन्दर और साथ में मनमोहक तस्वीरें........वाह।

    ReplyDelete
  6. आनन्दमयी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  7. वाह. पढ़ के आनंद अनुभूति हुई . सारे हायकू बहुत सुन्दर और भावप्रबल . .

    ReplyDelete
  8. प्रेम के रंग में रंगे सुंदर हाइकू !
    मुबारक ! सुंदर रचना रचने के लिए ....

    ReplyDelete

  9. सुन्दर व् सार्थक अभिव्यक्ति .आभार
    हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

    ReplyDelete
  10. कृष्ण का रंग
    चहुं ओर दीखता
    रस बरसा .....

    बहुत प्यारे हाइकु

    ReplyDelete
  11. बहुत प्यारे कृष्ण के स्नेह रस में डूबे हाइकु एक से बढ़कर एक --जय श्री कृष्ण बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  12. सुन्दर चित्रों के साथ सुन्दर कवितायेँ [क्षणिकाएं ]यह पोस्ट पठनीय के साथ दर्शनीय भी है |

    ReplyDelete
  13. आली छा गयो ...
    मोरे मन में श्याम ...
    मन आनंद ..

    वाह..सब एक पर एक. आभार स्वीकार करें अनुपमा जी.

    सादर,
    निहार

    ReplyDelete
  14. जो साँवरिया बसे हृदय में, दूजे कहाँ हो उनकी ठौर।
    जो मैं जोगन बनी कृष्ण की,नाम जपूँ क्यों और ।
    सुंदर रचना ।
    मेरे ब्लॉग पर नयी पोस्ट-
    विचार बनायॆ जीवन

    ReplyDelete
  15. जसोदा तोरा ..
    लाल माखन चुराए ..
    रार मचाये...

    bahut hi sundar..

    ReplyDelete
  16. अत्यंत भावपूर्ण व सुन्दर प्रस्तुति ..

    ReplyDelete

  17. सखी का करूँ ...?
    संदेसवा न आये ..
    याद सताए ..
    सारे हाइकू सुन्दर!
    सादर
    मधुरेश

    ReplyDelete
  18. बहुत सुंदर हाइकु...

    ReplyDelete
  19. आपके हर हाइकु की क्गुशबू मन-प्राण को सींचने में समर्थ है । बहुत बधाई अनुपमा जी !

    ReplyDelete
  20. सभी एक से बढ़कर एक ....

    ReplyDelete
  21. आप सभी का हृदय से आभार ...!!

    ReplyDelete
  22. जीवन-डोर ,तुमसे बध गई ,उड़ती फिरूं
    बहुत सुंदर हाइकू ,सभी एक से बढ़ कर एक
    प्रेम का तो हर रूप सलोना है वैसे ही अनुपमा
    तुम्हारे ये हाइकू मन को भा गए

    साभार


    ReplyDelete
  23. उठते भावों को कैसे शब्द दूँ ? बस...अति सुन्दर..

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!