26 May, 2013

तुम्हारा गुलमोहर ....

देखो तो कैसा दहक रहा है ...
  गुलमोहर ....सुर्ख लाल ....!!

बिलकुल  तपते  हुए उस सूर्य  की तरह ...

मेरे प्यार से ही  ...
लिया  है उसने ये रंग ...!!

और ....

उससे ही  लिया है मैंने ...
जीवन जीने का ये  ढंग ...!!

सूर्य की तपिश हो ...
या हो ...
जीवन की असह्य पीड़ा ...
क्या रत्ती मात्र भी कम कर पाई है ...
मेरे प्रेम को ........????

प्रभु तुम साथ हो तो
इस ज्वाला में भी जल जल कर ...
स्वर्णिम सी  होती गई मैं ....!!

दहक रहा है  भीतर मेरे ...
हे ईश्वर ...तुम्हारा ही गुलमोहर ....

34 comments:

  1. दहक रहा है भीतर मेरे ...
    हे ईश्वर ...तुम्हारा ही गुलमोहर ....
    वाहह...
    कल्पनातीत ,
    अपूर्व-सुंदर ,


    सादर

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  2. सच कहा है, गुलमोहर इस मौसम में इतना मुखर हो सूर्य को भी आश्चर्यचकित कर देता है।

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  3. दहक रहा है भीतर मेरे ...
    हे ईश्वर ...तुम्हारा ही गुलमोहर ....अनुपम भाव

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  4. आपकी यह रचना कल सोमवार (27 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  5. इस मौसम में गुलमोहर वाकई सूर्य की मानिंद दहकता सा लगता है, आपने बहुत ही खूबसूरत प्रार्थना गीत रच दिया, बहुत ही सुंदर.

    रामराम.

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  6. kitni energy deti hain aapki kavita...waah:)
    gulmohar ka chitr shandar hai!!

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  7. बहुत ही बेहतरीन सुंदर रचना,,,

    RECENT POST : बेटियाँ,

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  8. सूर्य की तपिश हो ...
    या हो ...
    जीवन की असह्य पीड़ा ...

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  9. बहुत गहरे पर कोमल भाव ........

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  10. दहक रहा है भीतर मेरे ...
    हे ईश्वर ...तुम्हारा ही गुलमोहर ....
    शानदार कथ्य

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  11. हे ईश्वर ...तुम्हारा ही गुलमोह,अच्छी रचना बहुत सुंदर भाव

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  12. रक्ति जब उससे हो जाए तो मन में खिला कौन गुलमोहर मुरझाये. बहुत प्यारी रचना. मन खिल उठा.

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  13. बहुत ही सुन्दर, भावपूरण और सशक्त लेखनी | पढ़कर अच्छा लगा | सादर आभार |

    आप भी कभी यहाँ पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  14. दहक रहा है भीतर मेरे ...
    हे ईश्वर ...तुम्हारा ही गुलमोहर ....sacchi bat kah di aapne anupama jee ......gulomhar bina kahe aise hi jeene ka sandesh deta hai .....pyaari rachna ...

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  15. दहक रहा है भीतर मेरे ...
    हे ईश्वर ...तुम्हारा ही गुलमोहर ..
    वाह ... बहुत खूब

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  16. अद्भुत प्रेम और समर्पण पराकाष्ठा को पार करती

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  17. दहक रहा है भीतर मेरे ...
    हे ईश्वर ...तुम्हारा ही गुलमोहर ....
    बेहतरीन........

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  18. वाह:हमेशा की तरह बहुत ही खुबसूरत रचना...ाभार

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  19. Hi,
    m es blog duniya m naya hu plz mari help kar na
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  20. यही तो शाश्वत गुलमोहर है .. जो हमें भी खिलाये रखता है ..अति सुन्दर..

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  21. बेहतरीन रचना !!

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  22. दहक रहा है भीतर मेरे ...
    हे ईश्वर ...तुम्हारा ही गुलमोहर ....
    वाह सुन्दर भाव ...!

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  23. गुलमोहर की तरह ही लालिमा लिए हुये प्रेम .... बहुत सुंदर रचना

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  24. हे ईश्वर. तुम्हारा ही गुलमोहर. यही तो है जो हमारे जीवन को खिलाता है । अति सुन्दर रचना ।

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  25. बहुत खूब ,ये प्रकृति ही है जो हमें नित नए पाठ पढ़ाती है
    जीवन का एक फलसफा यह भी ...बहुत सुंदर...

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  26. ह्रदय से आभार आप सभी का ....मेरी रचना को पढ़ कर अपने भाव भी दिए .....!!स्नेह बनाये रखें .....

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  27. आप सभी का ह्रदय से आभार ....

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  28. दहक रहा है भीतर मेरे ...
    हे ईश्वर ...तुम्हारा ही गुलमोहर ..
    वाह ... बहुत खूब

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!