11 June, 2013

कौन है ये ...????


तमस प्रमथी ....
अदम्य शक्ति ...

अशेष भक्ति ...
रूप सरूप अरूप दिखाती ...
दुर्गा रूपिणी ...
दुर्गति दूर करती ....
दुआओं की  धनी ...
माटी  की बनी ...
दूर सुदूर तक फैला है ...
इसकी दुआओं का साम्राज्य ...
न कोई आदि न कोई अंत ..
सन्तति की रक्षा हेतु ...
सदा करती है साधना ...
मांगती है सुरक्षा कवच ...

जहाँ चाहो वहां दृष्टिगोचर है ...
प्रभास ...
प्रात  की प्रभा में ...
पाखी की उड़ान में ...
सुरों  के स्पंदन में ...
शीतल वायु के आलिंगन में ...
जल के प्रांजल प्रवाह  में ....
सूखी दग्ध ..उड़ती हुई धूल के कण में ...
या ...भीगी सी ....
सोंधी माटी की महक में .... ...
सुकून देता ...एक एहसास ...माँ के स्पर्श सा ...!!


आँख खोलो तुम्हारे समक्ष ....
बंद नयन तुम्हारे भीतर ...
सुचारू  परिदर्शन ...
एक शक्ति दिव्य सी ...
माँ जैसी ...

कौन है ये ...????
सुदृष्टि ...?

*********************************************
सुदृष्टि साथ हो .....हर पल खिला खिला  ....मुस्काता सा ....वर्ना जीवन और मृत्यु में कोई भेद नहीं .......

41 comments:

  1. दर्शन, अध्यात्म और भावो की अविरल शब्द गंगा बहा दी है अग्रजा. पढ़कर अद्भुत संतुष्टि मिली .

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  2. आँख बंदकर आपका लिखा दुहराया .दिव्य अनुभूति !

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  3. कितनी सुन्दर बात छिपी है इस रचना के भीतर. पहले भी कुछ चुका हूँ .... फिर से कहता हूँ आपकी रचनाओं में एक अनूठी ताजगी होती है.इस सुन्दर सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई.

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  4. अहा......
    सुबह सुबह इस रचना को पढना....
    feeling blessed!!

    सस्नेह
    अनु

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  5. दुआ चंदन
    बस रहे पावन
    जहाँ भी रहे !

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  6. प्रार्थना जैसी, अदम्य उत्साह का सृजन करती रचना, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति .इस सुन्दर सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई,,

    recent post : मैनें अपने कल को देखा,

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  8. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार.

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  9. सुदृष्टि जिसे मिल जाये जीवन का पथ उजाले से भर जाता है...मधुर भाव !

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  10. वाह ..सुकून सा मिल गया पढ़ कर.

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  11. सब कुछ स्पष्ट सा दिखता है सुदृष्टि से।

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  12. सार्थक प्रस्तुति

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  13. बेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (11-06-2013) के अनवरत चलती यह यात्रा बारिश के रंगों में .......! चर्चा मंच अंक-1273 पर भी होगी!
    सादर...!
    शशि पुरवार

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  14. कौन है ये ...????
    सुदृष्टि ...? kismat wale ko hi milti hai ye sudristi ......

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  15. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार.

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  16. सच कहा ..आँखें तो सबके पास होती है पर देखने की कला भी होनी चाहिए..अन्यथा दृश्य भी भ्रमित होकर रह जाता है..

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  17. सच कहा ..आँखें तो सबके पास होती है पर देखने की कला भी होनी चाहिए..अन्यथा दृश्य भी भ्रमित होकर रह जाता है..

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  18. आँख खोलो तुम्हारे समक्ष ....
    बंद नयन तुम्हारे भीतर ...
    सुचारू परिदर्शन ...
    एक शक्ति दिव्य सी ...
    माँ जैसी ...

    कौन है ये ...????
    सुदृष्टि ...?
    बहुत सुंदर ...

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  19. बहुत सुंदर रचना
    बहुत सुंदर


    मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
    हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
    http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html

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  20. सुदृष्टि मन को उजास से भर देती है .... बहुत सुंदर और एक पवित्र प्रार्थना सी रचना ...

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  21. वाह ...
    आनंद दायक !!

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  22. दर्शन, आध्यात्म और भाव को शब्द शक्ति द्वारा अति सुन्दर संप्रेषित किया गया बधाई

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  23. अद्भुत उर्जा, उत्साह से भरी रचना... मन आनंदित हो गया ... शुभकामनायें

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  24. एक नयी ऊर्जा और अंतर्दृष्टि को परिभाषित करती दर्शन और आध्यात्म को रेखांकित
    कर किसी अन्य लोक में ले जाती है अनुपमा तुम्हारी यह रचना ,बहुत सुंदर ....
    साभार .....

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  25. सुदृष्टि साथ हो .....हर पल खिला खिला ....मुस्काता सा ....वर्ना जीवन और मृत्यु में कोई भेद नहीं .......

    सच यह सुदृष्टि ही है जो जीवन को सही मायने व दिशा देती है ! जिसके पास यह नहीं उसका जीना जीने जैसा नहीं सिर्फ साँसों का गिनना भर है ! बहुत ही उत्कृष्ट रचना !

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  26. आँख खोलो तुम्हारे समक्ष ....
    बंद नयन तुम्हारे भीतर ...
    सुचारू परिदर्शन ...
    एक शक्ति दिव्य सी ...
    माँ जैसी ...

    सबके हिस्से .... इसी विश्वास में जीवन पूर्ण है

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  27. प्रार्थना के भाव से कविता सबकी दृष्टि खोलने में भी सक्षम है। बधाई

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  28. सुकून देता ...एक एहसास ...माँ के स्पर्श सा ...!!
    आभार आपका ऐसी रचना पढवाने के लिए ...
    स्वस्थ रहें!

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  29. अनु...प्रकृति को नमन करती ..इस अद्भुत रचना से मन पवित्र हो गया ....वाह !

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  30. उत्कृष्ट रचना...उत्कृष्टता महसूस करने के लिए सुदृष्टि आवश्यक...तभी बने जीवन मनोरम...सुंदर शब्द, सुंदर भाव...बधाई !!

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  31. आभार ...बहुत आभार ..आप सभी का ....

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  32. वाह.......अति सुन्दर ......

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  33. कितना सुन्दर मंगल का विधान !

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  34. बहुत आभार रश्मि दी ....इतने महत्वपूर्ण बुलेटिन में मेरी रचना को स्थान दिया ....!!हृदय से आभारी हूँ ....!!

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  35. सुबह सुबह ये रचना पढ़कर दिल खुश हो गया | लाजवाब

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  36. well said!!!

    It has been wonderful reading your posts...,
    missed you too...!

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  37. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!