21 June, 2013

तुम बिन .......कुछ हाइकु ....

चारों ओर तबाही का मंज़र .......बहुत उदास कर रहा है मन .....जाने कितने ही  परिवारों पर बिपदा पडी है ....ईश्वर सबकी रक्षा करें ....

तुम बिन हैं ....
सूनी सूनी सी राहें ...
भीगी निगाहें ...


 मनः पटल ....
हैं स्मृति की  रेखाएं ...
मिट न पाएं....

पलकों मेँ है  ......
मोती से अनमोल ...
 छुपे रतन ....

गूंजे सदा ही ...
कानो में अनमोल ...
तुम्हारे बोल ...

ढलक जाएँ ...
आंसू रुक न पायें ...
...छलके पीर ...

झरना बहे ... ...
मन बहाए नीर ...
न धरे धीर ....

असह्य पीर ...
निर्झर बहे नीर ...
व्यथा पिघले ...

सजल नेत्र ....
भरी जीवन पीर ....
डबडबाएं........

झरना झरे ....
ज्यों मन व्यथा झरे ...
झर झर सी ...


बंद पलक .....
गहराती है पीड़ा ...
उदास मन ...

मन सागर ....
वेदना असीम है ..
सूखे नयन ...


सूरज डूबे ...
ढेरों  रश्मियाँ लिए ....
डूबती आशा...


बर्फ सी ठंडी ....
संवेदनाएं हुईं ....
शिथिल  मन .....


अथाह पीड़ा ....
बस मौन ही रहूँ ....
किससे  कहूँ ....?



सुनो न तुम .....
मेरी मन बतियाँ ...
नैना बरसें ....


तुम्हारे बिन .....
सूने ये रैन दिन ...
नेहा बरसे ..............

मन सिसके .....
जो तुम चले आओ ...
मन बहले ...

41 comments:

  1. आभार यशोदा हलचल पर ये हाइकु लेने पर .....

    ReplyDelete
  2. गहन पीड़ा को व्यक्त करते हाइकु .....

    ReplyDelete
  3. वाह....सभी बढ़िया लगे।........कभी आपको गाते हुए सुनना चाहेंगे.....अगर आप दिल्ली में कभी अपना गायन प्रस्तुत करें तो हमे ज़रूर बताएं।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर हाइकू, बरसात वाला चित्र तो इनको और भी सुंदर बना रहा है, शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  5. bahut sundar hikoo mn ki peeda ko darshaati ...pta nahi kitne log is trasadi ke shikar ho gaye honge ....

    ReplyDelete
  6. पीड़ा...पीड़ा...पीड़ा...

    ReplyDelete
  7. मन की पीर बयाँ करते हाइकू .भावसौंदर्य से संसिक्त मीठे राग से .मनभावन बंदिश से .

    ReplyDelete
  8. हम सबकी संवेदना समवेत रूप से इस कविता में झलक रही है।

    ReplyDelete
  9. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन इस दुर्दशा के जिम्मेदार हम खुद है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  10. आभार शिवम भाई ....ब्लॉग बुलेटिन में मेरे हाइकु को स्थान दिया ....!!आपका ब्लॉग बुलेटिन सदा उत्कृष्ट और सार्थक लिंक्स लिए रहता है ...!!अपने हाइकु देख कर कुछ शांत सा है मन .....हालकि बड़ी बिपदा की घड़ी है समस्त मुल्क पर ....!!

    ReplyDelete
  11. दर्द भरे शब्द .

    ReplyDelete
  12. बहन अनुपमा जी आपके इन हाइकु में से किस पर अपनी टिप्पणी लिखूँ? समझ नहीं पा रहा हूँ; क्योंकि हर हाइकु को आपने अनमोल मोती की तरह विविध भावों का पानी पिलाकर रससिक्त कर दिया है । आपने ये हाइकु लिखे नहीं , रचे हैं यानी पूरी भाव-सम्पदा जब दिल में रच- बस जाती है , तभी काव्य सहृदय को आप्लावित करता है । आपका रचनाकर्म आपको उन लोगों की भीड़ से अलग करता है, जो हाइकु के नाम पर कुछ भी उगल देते हैं । विधा का सम्मान अच्छे रचनाकार के कारण होता है। आप इसी तरह मधुर काव्य-धारा बहाती रहें ! मेरी कोटिश: शुभकामनाएँ ।
    रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ rdkamboj@gmail.com
    सम्पादक- http://www.laghukatha.com/
    सह सम्पादक-http://issuu.com/hindichetna
    सहयोगी सम्पादक डॉ हरदीप सन्धु जी के साथ)

    http://www.hindihaiku.net/
    http://trivenni.blogspot.in/

    ReplyDelete
  13. मन की गहराइयों में ले गयी आपकी यह रचना और जोड़ गयी सबके दुखों से. ईश्वर उनलोगों को शक्ति दे जिनपर यह विपदा गुजरी है. जिस क्रम में आपके हाइकू हैं; दर्द का एक प्रवाह सा बन पड़ा है. उत्कृष्ट.

    ReplyDelete
  14. कोमल मन की बहती धारा..

    ReplyDelete
  15. बहुत सुंदर हाइकू ...

    ReplyDelete
  16. अथाह पीड़ा ... आह!

    ReplyDelete
  17. मन की पीड़ा शब्दों में ढल संवेदनाओं की धारा बन गयी,मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति
    अनुपमा ...

    ReplyDelete
  18. तुम्हारे बिन .....
    सूने ये रैन दिन ...
    नेहा बरसे ..............

    मन सिसके .....
    जो तुम चले आओ ...
    मन बहले ...

    बहुत सुन्दर भावमयी हाइकु

    ReplyDelete
  19. अथाह पीड़ा ....
    बस मौन ही रहूँ ....
    किससे कहूँ ....?

    चरों तरफ पीड़ा ही पीड़ा है. अपने इन हायकू के माध्यम से सार्थक सन्देश देने का सुंदर प्रयास.

    ReplyDelete
  20. शब्दों में गुंथी यह पीड़ा मन की गहराई तक उतर गयी ...

    ReplyDelete
  21. घनीभूत व्यथा , पीड़ा छलक रही है हर पंक्ति से . बहुत सुन्दर दी .

    ReplyDelete
  22. उदास कर जाती है तबाही की ख़बरें , जीवन को चलते ही जाना है !
    दर्द की खूबसूरत बयानगी !

    ReplyDelete
  23. बहुत गहन और सुन्दर रचना.बहुत बहुत बधाई...

    ReplyDelete
  24. Pranay ka adbhud udagar ......bahut hi sundar ....badhai

    ReplyDelete
  25. मन सिसके .....
    जो तुम चले आओ ...
    मन बहले ...
    बहुत खूबसूरत हाइकु

    ReplyDelete
  26. वाह अनुपमाजी...हर हाइकू की अपनी व्यथा...हर व्यथा बोलती हुई....

    ReplyDelete
  27. अंतस की पीड़ा समेटे .. सभी हाइकू अपनी बात स्पष्ट रख रहे हैं ...
    बहुत खूब ...

    ReplyDelete

  28. बेहतरीन रूपाकृति फॉर्म लिए हैं सभी हाइकु अर्थ में भाव गाम्भीर्य में भी .ॐ शान्ति .शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .

    ReplyDelete
  29. पीडा भी मुखर हुई है
    नयनों को शब्द मिले हैं
    आंसुओं के ।

    ReplyDelete
  30. बहुत कोमल, भावपूर्ण ।

    ReplyDelete
  31. असह्य पीर ...
    निर्झर बहे नीर ...
    व्यथा पिघले .
    बहुत सुंदर हाईकू हैं अनुपमा जी ! हर मन की गहन व्यथा कथा इन चंद शब्दों में कितनी कुशलता से उतार दी आपने ! किस-किस को उद्धृत करूँ ! सभी एक से बढ़ कर एक हैं !

    ReplyDelete
  32. ह्रदय से आभार आप सभी का ...!!

    ReplyDelete
  33. बहुत ही सुन्दर , कोमल भाव लिए मनभावन हाइकु ...

    ReplyDelete
  34. मर्म को छूते बहुत ही भावपूर्ण और सुन्दर हाइकु । आपके ब्लॉग के नाम को सार्थक करते हैं ।

    ReplyDelete
  35. ओह...शानदार!!!!!
    हर एक हाईकू ला-जवाब है!!

    ReplyDelete
  36. झरना बहे ... ...
    मन बहाए नीर ...
    न धरे धीर
    सुन्दर हाइकू। ये वाली ज्यादा ही अच्छी लगी ..

    ReplyDelete
  37. सम्पूर्ण व्यथा कथा कह गयीं हाइकु कवितायेँ!

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!