29 September, 2013

झरने लगे हैं पुष्प हरसिंगार के....................!!

पुनः शीतल चलने लगी  बयार  ....
झरने लगे हैं पुष्प हरसिंगार ...........
आ गए फिर दिन गुलाबी ....
प्रकृति करे  फूलों से  श्रृंगार ………….!!

नवलय भरे किसलय पुटों में........
सुरभिमय रागिनी के ....
प्रभामय नव छंद लिए कोंपलों में.............
अभिज्ञ  मधुरता हुई दिक् -शोभित….
सिउली के पुष्पों से पटे हुए वृक्ष .............!!

सुरभि से कृतकृत्य हुई  धरा..............
पारिजात  संपूर्णता  पाते जिस  तरह ......
जब खिलकर झिर झिर झिरते हैं ...
धरा का ..प्रसाद स्वरूप आँचल भर देते हैं ..
और अपना सर्वस्व समर्पित कर देते हैं ....
पुनः धरा को ही ....इस तरह ....!!!

....................................................................................................


29 comments:

  1. दीदी
    शुभ संध्या
    प्यारी कविता पढ़वाई आपने
    सादर
    यशोदा

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  2. आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [30.09.2013]
    चर्चामंच 1399 पर
    कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
    सादर
    सरिता भाटिया

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    1. हृदय से आभार सरिता जी .....!!

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  3. सच में अपना सब कुछ समर्पित कर देते .... भावपूर्ण रचना

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  4. पारिजात ,हरसिंगार ,सिउली ,नाम अनेक
    इसपर मोहित है बाल वृद्ध ,वनिता हर एक l
    नई पोस्ट अनुभूति : नई रौशनी !
    नई पोस्ट साधू या शैतान

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  5. अद्भुत वर्णन। प्रकृति की निराली छटा का चित्रांकन आपकी रचनाओं में बेहद सुन्दर होता है. बहुत दिनों बाद आना हुआ ब्लॉग जगत में , इसके लिए खेद है, परन्तु आकर हमेशा अच्छा ही लगता है.

    सादर,
    मधुरेश

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  6. प्रकृति नटी के अप्रतिम सौन्दर्य को भरसक समेटती अद्भुत रचना। शुक्रिया आपकी टिपण्णी का।

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  7. बहुत सुन्दर, सुगन्ध बिखेरने का एकमेव कर्तव्य

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  8. कविता कुछ यूँ गुजरी जैसे प्रातः समीरण. अति सुन्दर.

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  9. सुगन्ध बिखेरती हुई सुन्दर रचना

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  10. बहुत सुंदर रचना.....

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  11. हर्सिंदार के यस मनमोहक पुष्प अपने आप में कविता बन जाते हैं ... शब्द बन के मुखर हो जाते हैं ...

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  12. इस पोस्ट की चर्चा, मंगलवार, दिनांक :-01/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -14 पर.
    आप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा

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    1. हृदय से आभार राजीव जी ...

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  13. हृदय से आभार राजेश जी ....

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  14. हरसिंगार .. मेरा पसंदीदा फूल .. अधि रात को चटकता और खुसबू मदमस्त .. सुन्दर रचना .. बधाई :)

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  15. मनोहारी

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  16. बहुत सुंदर गीत ... हरसिंगार मन को प्रेम से भर देता है
    वाह

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  17. अहा!अति सुन्दर ..अति सुन्दर ..

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  18. अहा!अति सुन्दर ..अति सुन्दर ..

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  19. पुनः शीतल चलने लगी बयार ....
    झरने लगे हैं पुष्प हरसिंगार ...........

    आ गए फिर दिन गुलाबी ....
    प्रकृति करे फूलों से श्रृंगार ………….!!

    यौवन पे आ गया निखार।

    फागुन के दिन चार।

    सुन्दर प्रस्तुति।

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  20. आभार बताने का सुमन जी ...!!

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  21. सुगन्ध बिखेरती हुई सुन्दर रचना
    My Recenp Post ....क्योंकि हम भी डरते है :)

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  22. रचना पर अपने विचार दिये ..........आप सभी का हृदय से आभार .....!!

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!