05 October, 2013

माँ मुझे आने तो दो ....

आद्या  शक्ति माँ सुखदायिनी ...!!
हे माँ मुझे आने दो ....
अपने  संसार में ...
नव राग प्रबल गाने दो ....

शक्ति दायिनी...
 माँ तुम  हो मेरी ...
आस मेरी ...मुझमें  उल्लास भरो ....!!

भाई जैसा ...
मेरी शिराओं में भी ....
चेतना का  संचार करो .....
माँ मुझसे भी तो प्यार करो ....!!

छल छल कर दुनिया छलती है ....
तुम तो न जग का हिस्सा बनो .....
मुझे जीवन दो पालो-पोसो ....
नव-शक्ति का किस्सा बनो ...


जब तुम जग से भिड़ पाओगी .....
अपनी छाया फिर देखो तुम ...
जग से मैं भी लड़ जाऊँगी ...
पोसूंगी तब अपने सपने .....
और एक उड़ान पा जाऊँगी ....!!

माँ मुझे आने तो दो ....
अपने संसार में ....
नव राग प्रबल गाने तो दो ...!!
************************************** 

30 comments:

  1. मार्मिक पुकार ..... बहुत ही सुंदर रचना

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार - 06/10/2013 को
    वोट / पात्रता - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः30 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra


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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (06-10-2013) हे दुर्गा माता: चर्चा मंच-1390 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. रचना चयन हेतु हृदय से आभार शास्त्री जी ।

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  4. बहुत सुन्दर......
    माँ अपनी बेटी की इस पुकार को कैसे अनसुना कर सकती हैं......
    नवरात्र शुभ हों..

    सादर
    अनु

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  5. रचना चयन हेतु हृदय से आभार दर्शन जी ...!!

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  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति.!
    नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-

    RECENT POST : पाँच दोहे,

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  7. बहुत खूब ....माँ को वंदन

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  8. ह्रदय से आयी पुकार...अश्रुत कैसे हो....

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  9. माँ मुझे आने तो दो ....
    Labels: अभिलाषा, कन्या, जन्म, हिन्दी कविता ।
    आद्या शक्ति माँ सुखदायिनी ...!!
    हे माँ मुझे आने दो ....
    अपने संसार में ...
    नव राग प्रबल गाने दो ....


    शक्ति दायिनी...
    माँ तुम हो मेरी ...
    आस मेरी ...मुझमें उल्लास भरो ....!!

    भाई जैसा ...
    मेरी शिराओं में भी ....
    चेतना का संचार करो .....
    माँ मुझसे भी तो प्यार करो ....!!

    छल छल कर दुनिया छलती है ....
    तुम तो न जग का हिस्सा बनो .....
    मुझे जीवन दो पालो-पोसो ....
    नव-शक्ति का किस्सा बनो ...


    जब तुम जग से भिड़ पाओगी .....
    अपनी छाया फिर देखो तुम ...
    जग से मैं भी लड़ जाऊँगी ...
    पोसूंगी तब अपने सपने .....
    और एक उड़ान पा जाऊँगी ....!!

    माँ मुझे आने तो दो ....
    अपने संसार में ....
    नव राग प्रबल गाने तो दो ...!!
    **************************************
    Posted by Anupama Tripathi

    मत मारो मुझे पूतना बन ,
    क्योंकि यहां न कोई कृष्ण
    अब -

    सिर्फ बचे हैं कंस।

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  10. हम सभी ईश्वर के रूप में शक्ति पूजक हैं .....दुर्गा हों या कृष्ण ....शक्ति के दो भिन्न रूप ....कृष्ण तो वो प्रबल शक्ति हैं जो स्वयं तो बचेंगे ही ....साथ ही हम सब की भी रक्षा करेंगे .....कृष्ण से ही संसार है .....!!

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  11. नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें .....

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  12. भक्ति भरी पुकार ..नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-

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  13. निश्चल वंदन - बहुत सुंदर

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  14. माँ की स्तुति में बहद सुन्दर शब्दों का गुलदस्ता ... नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें ...

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  15. माँ से ही करे पुकार , दुनिया जो अनसुनी हो !
    मार्मिक !

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  16. बहुत सुन्दर ..

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  17. माँ मुझे आने तो दो ....
    अपने संसार में ....
    नव राग प्रबल गाने तो दो ...!!
    भावमय करते शब्‍दों का संगम ....

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  18. नवराग निकलेगा और जगत को गुंजित करेगा।

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  19. प्रांजल भाषा में अप्रतिम भावाभिव्यक्ति।

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  20. आप सभी का हृदय से आभार इस कृति पर अपने विचार दिये ....माँ दुर्गा दुर्गति दूर करती हैं ....उन्हीं से ये प्रार्थना है कि हम स्त्रियॉं को ऐसी शक्ति दें कि अपने ही भ्रूण को नाश करने का विचार भी कभी न आए ....और हम गर्व से कन्या को जन्म दे सकें ....!!उसे सगर्व पाल पोस कर बड़ा कर सकें ....!!

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  21. करुण पुकार किसी भी मां के ह्रदय को आर्द्र बना देती है . बहुत सुन्दर दी.

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  22. माँ मुझे आने तो दो ....
    अपने संसार में ....
    नव राग प्रबल गाने तो दो ...!!--------

    माँ दुर्गा को प्रतीक मानकर नारी शक्ति को
    बड़ी गहनता से उजागर किया है----
    बहुत सुंदर
    उत्कृष्ट प्रस्तुति

    सादर

    आग्रह है- मेरे ब्लॉग में भी समल्लित हों
    पीड़ाओं का आग्रह---
    http://jyoti-khare.blogspot.in


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  23. बधाई हो
    अच्छी कविता बन पडी है

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  24. क्या बात है कि कोई कविता नहीं डाल रही हैं ?

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    Replies
    1. अच्छा लगा अमृता जी आपने याद किया …। कुछ दिनों से यात्रा ही यात्रा चल रही है। ....बस अब शीघ्र ही डालती हूँ। …।!!

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!