04 May, 2022

नदिया में बहते पानी सा मन !!!

नदिया में बहते पानी सा मन


विचारों सा प्रवाहित जीवन

 











उसपर बहती जीवन की नाव 

रे मन

सबका अपना अपना ठौर 

सबकी अपनी अपनी ठाँव !!


कोई धारा कोई किनारा

कोई ले आता मजधार

फिर भी कोई पेड़ों सी देता
 ठंडी ठंडी छाँव 
सबका अपना अपना ठौर 

सबकी अपनी अपनी ठाँव !!


अनुपमा त्रिपाठी 

"सुकृति "

14 comments:

  1. बहुत सुन्दर और सार्थक सृजन ।

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  2. कोमल भावपूर्ण रचना

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(०६-०५-२०२२ ) को
    'बहते पानी सा मन !'(चर्चा अंक-४४२१)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. नमस्ते अनीता जी ,
      सादर धन्यवाद आपने मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान दिया |

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  4. गहन भाव लिए सुंदर रचना।

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  5. सुंदर भाव, आशा का संचार।

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  6. बहुत सुंदर रचना

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  7. बहुत सुंदर रचना

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  8. बहुत सुंदर सृजन ।
    भाव प्रवाह और जीवन।

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  9. बहुत सुंदर

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  10. बहुत सुंदर रचना।

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  11. मेरी कविता को पसंद करने हेतु सभी सुधि पाठकों का ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद !!

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  12. पर सबका एक ही है गाँव... सुन्दर सृजन।

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  13. सबका भले ही ठौर ठिकाना अपना हो पर मन तो नदिया से बहता जाता है न ।
    सुंदर सृजन ।

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!