''ज़िंदगी एक अर्थहीन यात्रा नहीं है ,बल्कि वो अपनी अस्मिता और अस्तित्व को निरंतर महसूस करते रहने का संकल्प है !एक अपराजेय जिजीविषा है !!''
18 August, 2014
हे कृष्ण कृष्णा.....!!
हे कृष्ण कृष्णा,
नेक सम्हालो मेरी तृष्णा,
विभूषित प्रमुदित मन करो,
अभिनीत हृदय वीणा को स्वरों का
अलंकार दो,
संवेदना का जीवन में
संचार दो ,
इक बूंद गिरे
मुझ चातक का,
सोया जीवन
झंकार दो ....!!
जय श्रीकृणा!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!
जय श्रीकृणा!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!
सुंदर रचना...क़ष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं।।।
ReplyDeleteअति सुंदर प्रार्थना..कृष्ण जन्माष्टमी पर शुभकामनायें..अनुपमा जी !
ReplyDeleteजय श्री कृष्णा .... शुभकामनायें आपको भी
ReplyDeleteसुंदर रचना..सुंदर भाव
ReplyDeleteकृष्ण ही पुरुष रूप में विष्णु के रूपों की त्रिवेणी हैं कारणोदकशायी -गर्भोदकशायी -क्षीरोदकशायी (भागवतपुराण )
ReplyDeleteकविता प्राथना का सबसे सुन्दर रूप है
ReplyDeleteसुन्दर रचना पर बधाई