06 July, 2021

स्नेह दीप्ति



स्नेह दीप्ति सा
प्रज्ज्वलित हृदय 
सूर्य  से लिए कांती ,
चन्द्र से लिए शांति,
दृढ़ता मन में ,
कोमलता आनन में
नारी की पहचान
दिशा बोध संज्ञान
पग अपना धरे चलो ,
ऐसे ही बढ़े चलो ...

शोभित सुशोभित होते रहें
संवेदनाओं के सभी किस्से
दाल चावल घी अचार में बसे
मेरे तुम्हारे वो सभी हिस्से !
कल्पना को साकार करना ,
संघर्षों में तपते जाना ,
सुख में मिलकर हँसते जाना
दुःख में जग से छिपकर रोना
ऐसे ही जीवन को जीना ,
संस्कृति संपृक्त 
पग अपना धरे चलो
ऐसे ही बढ़े चलो ...!!

अनुपमा त्रिपाठी
 "सुकृती "



17 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (०७-०७-२०२१) को
    'तुम आयीं' (चर्चा अंक- ४११८)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. नमस्ते अनीता जी ,
      मेरी रचना को चर्चा अंक पर स्थान देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आपका |

      Delete
  2. ऐसे ही बढ़े चलो , नारी ही सबमें बसी रहती फिर भी उतनी अहमियत क्यों नहीं ।
    सुंदर सृजन

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद दी ! नारी अब तो हर क्षेत्र में अपनी कल्पना साकार कर रही है |

      Delete
  3. संघर्षों में तपते जाना ,
    सुख में मिलकर हँसते जाना
    दुःख में जग से छिपकर रोना
    ऐसे ही जीवन को जीना ,
    संस्कृति संपृक्त
    पग अपना धरे चलो
    ऐसे ही बढ़े चलो ...!!
    ...बहुत सुंदरता से आपने नारी मन को सम्भाल लिया। कुछ भी हो पर सहर्ष बढ़े चलो।सुंदर सृजन।

    ReplyDelete
    Replies
    1. संघर्ष का फल मीठा होता है!!

      Delete
  4. सुंदर कविता

    ReplyDelete
  5. आपकी कविता निश्चय ही प्रशंसनीय है अनुपमा जी। अभिनंदन।

    ReplyDelete
  6. नारी की पहचान
    दिशा बोध संज्ञान
    पग अपना धरे चलो ,
    ऐसे ही बढ़े चलो ...

    नारी है तो जग है......भावपूर्ण सृजन ,सादर

    ReplyDelete
  7. शोभित सुशोभित होते रहें
    संवेदनाओं के सभी किस्से
    दाल चावल घी अचार में बसे
    मेरे तुम्हारे वो सभी हिस्से !---बहुत ही अच्छी और गहन कविता। खूब बधाई अनुपमा जी।

    ReplyDelete
  8. सुंदर गहन हृदय स्पर्शी भाव, जो नारी के स्वाभाविक गुणों को गूंथकर वेदना उजागर करते हैं ।

    ReplyDelete
  9. सुन्दर भावासिक्त रचना ।

    ReplyDelete
  10. काश इस दीप्ति से सारा जगत प्रकाशित होता रहे। सुन्दर पंक्तियाँ।

    ReplyDelete
  11. वाह! इस सुंदर सी कामना को परम का आशीष सदा ही मिलेगा

    ReplyDelete
  12. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  13. बेहतरीन सृजन

    ReplyDelete

नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!