नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!
नमष्कार..!!!आपका स्वागत है ....!!!

05 April, 2015

अनुग्रह मेरा स्वीकार कीजिये .......

यही थे मन के विचार आज से पांच वर्ष पूर्व और आज भी यही है जीवन    …… कितना सुखद लग रहा है आज ,आप सभी के साथ का यह पांच वर्ष का सफर   .... 
अर्थ की अमा 
समर्थ की आभा है ,

अनुग्रह मेरा स्वीकार कीजिये ,
आज दो शब्द अपने ज़रूर मुझे दीजिये    …


मन की सरिता है
भीतर बहुत कुछ 
संजोये हुए ..
 कुछ कंकर ..
कुछ पत्थर-
कुछ सीप कुछ रेत,
कुछ पल शांत स्थिर-निर्वेग ....
तो कुछ पल ..
कल कल कल अति तेज ,
 मन की सरिता है ,



कभी ठहरी ठहरी रुकी रुकी-
निर्मल दिशाहीन सी....!
कभी लहर -लहर लहराती-
चपल -चपल चपला सी.....!!
बलखाती इठलाती .. ...
मौजों का  राग सुनाती ....
मन की सरिता है.

फिर आवेग जो आ जाये ,
गतिशील मन हो जाये -
धारा सी जो बह जाए ,
चल पड़ी -बह चली -
अपनी ही धुन में -
कल -कल सा गीत गाती  ...
राहें नई बनाती ....,    
मन की सरिता है -

लहर -लहर घूम घूम--
नगर- नगर झूम झूम
छल-छल है बहती जाती ..
जीवन संगीत सुनाती -----
मन की सरिता है !!!


…………………………………………। 

अनुग्रहित हूँ ,अभिभूत हूँ 

अनुपम त्रिपाठी 
सुकृती