आपका मेघ मल्हार और मनुहार , इन्द्रदेव के पास पंहुचा , कारे कजरारे मेघा घिर आये है , उम्मीद है भिगो कर ही जायेंगे , आपके सुर संगीत बद्ध रचना की तरह . आप की कवितायेँ इतनी सोलफुल होती है की पाठक अपने आप को भौतिकता से कुछ क्षणों के लिए अपने को दूर पाता है
तुम हृदय हीन ...
ReplyDeleteमैं न मानूँ ...
जहाँ आस्था हो वहां ऐसे विचार भी कहाँ आते हैं....सुंदर
बिलकुल बरसेंगे जी,बदरा भी और बालम भी !
ReplyDeleteअब तो बरसेंगे ही...............
ReplyDeleteइतने स्नेह से जो बुलाया है....
:-)
ऐसी कवितायेँ ही मन में उतरती हैं ॥
ReplyDelete....शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।
सजन तो बरस ही जायेंगे बिन बदरा के भी..इतनी प्यारी मनुहार पर...भींग उठेगा तन-मन..
ReplyDeleteखुश्क नयन ...
ReplyDeleteबाट तके ....
अब नेह बरसाओ ....
ओ सजन .. ...बरस भी जाओ ...!!
:):) नेह की भी बारिश हो खूब धूमधड़ाके से ...शुभकामनायें
आपका मेघ मल्हार और मनुहार , इन्द्रदेव के पास पंहुचा , कारे कजरारे मेघा घिर आये है , उम्मीद है भिगो कर ही जायेंगे , आपके सुर संगीत बद्ध रचना की तरह . आप की कवितायेँ इतनी सोलफुल होती है की पाठक अपने आप को भौतिकता से कुछ क्षणों के लिए अपने को दूर पाता है
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति |
ReplyDeleteशुभकामनायें ||
अद्भुत शब्द निनाद, वाह, कई बार पढ़ा..
ReplyDeleteनेह और मेघ दोनों जरुर बरसेंगे... बहुत सुन्दर प्रस्तुति... शुभकामनायें
ReplyDeletebahut badhiya samayik rachana ....
ReplyDeleteबेहद अच्छे जीवंत से भाव
ReplyDeleteतुम हृदय हीन ...
ReplyDeleteमैं न मानूँ ...बहुत सुन्दर भाव..बस बरसने को तैयार सुन ली पुकार..
भावमय करते शब्द ... उत्कृष्ट लेखन ...आभार
ReplyDeleteसुन्दर!
ReplyDeleteअब तो मेघ सजन को बरसना ही होगा...इतनी लगन कौन दिखाता है...
ReplyDeleteहाय...अब तो बरसना ही पड़ेगा :)
ReplyDeleteखुष्क नयन ...
ReplyDeleteबाट तके ....
अब नेह बरसाओ ....
ओ सजन .. ...बरस भी जाओ ...!!
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,,,,उत्कृष्ट लेखन,,,,
MY RECENT POST...:चाय....
बहुत सुन्दर भावमय करती रचना...
ReplyDeleteसुन्दर :-)
ध्वन्यात्मक शब्द और सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteयही हमारी भी विनती है ... अब बरस भी जाओ ...
ReplyDeleteआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है क्रोध की ऊर्जा का रूपांतरण - ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
बहुत आभार शिवम ...!!
Deleteबेहद खूबसूरत...
ReplyDeleteबादल अगर बैरी हुआ है, तो मनाने का अंदाज भी निराला है।
ReplyDeleteबरस बरस मेघा अब तन और मन सूखा जाये ।
ReplyDeleteबहुत प्यारा मनुहार मेघों से बहुत प्यारी रचना मेघों का मन जरूर पिघलेगा
ReplyDeleteअब आप इतने प्यार से और इतने सुंदर शब्दो से बुलाएँ और वो ना आयें ऐसा तो हो ही नहीं सकता अनुपमा जी अब तो आकर बरसना ही होगा दोनों को ;-)
ReplyDeleteतुम हृदय हीन
ReplyDeleteमैं न मानू ....
जहाँ आस्था का सैलाब हो
वहाँ सब समर्पित हो जाते हैं ।
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ।
सजन कैसी है ये लगन ...
ReplyDeleteतृषित मन ...
तिड़क तिड़क ..
तिड़क तिड़क तिड़क , तिड़क तिड़क तिड़क
अदभुत,अनूठी ,अनुपम प्रस्तुति.
कमाल के शब्द और भाव हैं,आपके.
आभार आप सभी का .....!!
ReplyDeleteसुन ली आखिर मनुहार ...बरस ही गए प्रभु ....!!!
बहुत खूब... सुंदर आवाहन...
ReplyDeleteमनुहार सफल होने पर बधाइयाँ भी...
सादर।