नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

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14 August, 2013

एक सम्पूर्ण जीवन .....!!

दुर्गा रूप ....
शक्ति स्वरुप ...
सबल सक्षम ....
समाज की  व्यवस्था के .........
दुर्गम पथ पर सहर्ष चलती ...
.....मैं हूँ  भारतीय नारी  ....



आसक्ति से अनुरक्ति की ओर ....
अनुरक्ति   से  भक्ति की ओर .....
भक्ति से ही पुरस्कृत होती ...
काँटों में भी ...
मेरा .... खिलता है  मन ...
जीता सहर्ष एक  सम्पूर्ण   जीवन .....!!!!

धुरी परिवार की .....
समाज की .....
देश की ....
सकल ब्रह्माण्ड की ही ....

मैं हूँ भारतीय नारी ....!!

**************************************
आइये आज प्रण करें समाज में नारी को मान देंगे ,सम्मान देंगे ,वो स्थान देंगे जिसकी वो हकदार है ......!!कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में आवाज़ उठाएंगे ......!और  अपनी भारत माता का मान बढ़ाएँगे .....!!
जय हिन्द ...!!


27 comments:

  1. आपने बिलकुल सही कहा , हमें मान सम्मान और वो हक उनको देना चाहिए जिसकी वो हकदार है, नारी शक्ति को नमन

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  2. निश्चय ही सबके सत्य उठें।

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  3. बहुत सुंदर रचना,,,
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
    RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.

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  4. बहुत खूब बहुत खूब। चित्र भी काव्य चित्र भी।

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  5. आपकी यह पोस्ट आज के (१४ अगस्त, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - जय हो मंगलमय हो पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

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    1. हृदय से आभार तुषार राज जी ....इस शुभावसर पर मेरी रचना को ब्लॉग बुलेटिन मे लिया ....!!

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  6. सुंदर चित्र और बढिया प्रस्तुति । हम भी हैं आपके साथ कन्या के साथ ।

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  7. नवीन शुभप्रभात
    स्वतन्त्रता दिवस की
    हार्दिक शुभकामनायें

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  8. नारी हर रूप में पूज्यनीय हैं |

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  9. भारतीय नारी का सम्पूर्ण जीवन परिभाषित हुआ !

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  10. बहुत ही प्रभावी और असर छोडती रचना, हमने तो पहले से ही प्रण किया हुआ है आज दोहरा लेते हैं.

    स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ.

    रामराम.

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  11. बहुत बढ़िया..चित्र और रचना दोनों ही लाजवाब. स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!

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  12. अतिसुन्दर ,स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

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  13. कविता के कथ्य से पूरी तरह सहमत हूँ. सुन्दर आह्वान.

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  14. धुरी परिवार की .....
    समाज की .....
    देश की ....
    सकल ब्रह्माण्ड की ही ..

    गहन .... सब कुछ समेटे भाव

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  15. वाह ... बेहतरीन
    गहनता लिये अनुपम प्रस्‍तुति

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  16. धुरी परिवार की .....
    समाज की .....
    देश की ....
    सकल ब्रह्माण्ड की ही ....

    मैं हूँ भारतीय नारी ....!!


    धुरी परिवार की .....
    समाज की .....
    देश की ....
    सकल ब्रह्माण्ड की ही ....

    मैं हूँ भारतीय नारी ....!!

    धुरी परिवार की .....
    समाज की .....
    देश की ....
    सकल ब्रह्माण्ड की ही ....

    मैं हूँ भारतीय नारी ....!!

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  17. जीजिविषा इसी का नाम है। बिंदास अंदाज़ यही है लोक संस्कृति और अलहड़ पण भी यही है।

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  18. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉग समूह के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {सोमवार} (19-08-2013) को हिंदी ब्लॉग समूह
    पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी {सोमवार} (19-08-2013) को पधारें, सादर .... Darshan jangra


    हिंदी ब्लॉग समूह

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  19. This comment has been removed by the author.

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  20. भारतीय नारी ब्रह्मांड की धुरी है लेकिन पुरुष इसी धुरी को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाता है .... विचारोत्तेजक रचना

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  21. आभार आप सबकी टिप्पणी का....घर गृहस्थी के बीच बड़ी मुश्किल से मिल पाता है समय कि कोई भी स्त्री अपने मन का कुछ काम कर सके ...!!

    .ऐसी ही गृहस्थी की उलझनों के बीच ही खिलता है किसी भी स्त्री का व्यक्तिव...फूल की तरह ....!!
    इसी भाव से लिखी है कविता ....!!

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  22. भारतीय नारी का भवपूर्ण एवं यथार्थ चित्रण किया है आपने। ये पंक्तियाँ स्मरणीय बन गई हैं-आसक्ति से अनुरक्ति की ओर ....
    अनुरक्ति से भक्ति की ओर .....
    भक्ति से ही पुरस्कृत होती ...
    काँटों में भी ...
    मेरा .... खिलता है मन ...
    जीता सहर्ष एक सम्पूर्ण जीवन .....!!!!

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  23. एक दम सही .....सार्थक अभिव्यक्ति

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!