नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

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10 April, 2011

मेरा दीवानापन ......!!!

दूर...... तक फैली हुई
तन्हाईयाँ ......
बर्फ की चादर में -
लिपटी हुई- सिमटी हुई-
ये खामोशियाँ .....
सर्द हवाओं  सी .......
सर्द एहसास  को हवा देतीं हैं ....!!!!!

फिर ढूँढती हैं 
मेरी नज़रें ...
मेरी साँसे ....
सांस  लेने  का  सबब ....
वो इक  नायाब सुबह का मंज़र ........!!
देख  कर जिसको.....
फिर खिल-खिल  उठे...
बेबाक .......
मेरा दीवानापन .......!!!!!!!!!!!!

अनुपमा त्रिपाठी
 "सुकृति "



28 comments:

  1. फिर ढूँढती हैं
    मेरी नज़रें
    मेरी साँसे
    सांस लेने का सबब
    वो इक नायाब सुबह का मंज़र

    कोमल भावों को अभिव्यक्त करती सुंदर रचना।

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  2. अनुपम शब्द सौन्दर्य और कोमल भावों से सुसज्जित कविता .

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  3. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (11-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  4. nature ki khoobsoorti ka sunder chitran kiya hai

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  5. सांस लेने का सबब
    वो इक नायाब सुबह का मंज़र
    खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति....

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  6. वाह ...यूँ ही बना रहे दीवानापन और सुबह का मंज़र खिलता रहे ..

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  7. फिर ढूँढती हैं
    मेरी नज़रें ...
    मेरी साँसे ....
    सांस लेने का सबब ....
    वो इक नायाब सुबह का मंज़र ........!!
    देख कर जिसको.....
    फिर खिल-खिल उठे...
    बेबाक .......
    मेरा दीवानापन ..गजब की कविता है बहुत ही खूबसूरत बधाई अनु जी

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  8. बातों में नरमी है,अंदाज़ अच्छा है

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  9. फिर ढूँढती हैं
    मेरी नज़रें ...
    मेरी साँसे ....
    सांस लेने का सबब ....
    वो इक नायाब सुबह का मंज़र ........!!
    देख कर जिसको.....
    फिर खिल-खिल उठे...
    बेबाक .......
    मेरा दीवानापन .......!!!!!!!!!!!!

    वाह अनुपमा जी , बहुत कमाल की अभिव्यक्ति । आनंद आ गया ।


    .

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  10. सुन्दर कविता
    प्यारे भाव लिए हुए
    आभार

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  11. सुबह की तरह , एकदम तरोताज़ा करने वाली |

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  12. bahut khoobsurat manzar prastut kiya aapne...ham bhi kho gaye.

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  13. मन का दीवानापन
    सच में
    खूबसूरत शब्दों में सिमट गया है
    अच्छी रचना !

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  14. वो सुबह कभी तो आएगी ...
    मन के भावों का सुंदर चित्रण !

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  15. आदरणीय अनुपमा जी
    नमस्कार !
    खूबसूरत शब्दों में अच्छी रचना !

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  16. दुर्गाष्टमी और रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  17. फिर ढूँढती हैं
    मेरी नज़रें ...
    मेरी साँसे ....
    सांस लेने का सबब ....

    कमाल की पंक्तियाँ .....बेहद सुंदर और प्रभावित करती रचना

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  18. फिर ढूँढती हैं
    मेरी नज़रें ...
    मेरी साँसे ....
    सांस लेने का सबब ....
    वो इक नायाब सुबह का मंज़र ........!!
    देख कर जिसको.....
    फिर खिल-खिल उठे...
    बेबाक .......
    मेरा दीवानापन .......!!!!!!!!!!!!
    bahut hi sundar hai .

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  19. आदरणीया अनुपमा जी
    प्रणाम !
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    .फिर खिल-खिल उठे...
    बेबाक .......मेरा दीवानापन .......!


    बहुत सुंदर है मेरा दीवानापन !


    * श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं ! *
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  20. आप सभी को मेरी ये कोशिश पसंद आई -तहे दिल से शुक्रिया ....
    ये मेरी कविता का सफ़र है ......
    बर्फ की चादर में लिपटी हुई सिमटी हुई खामोशियाँ .......नायाब सुबह का मंज़र मिलते ही -बेबाक दीवानगी में कैसे बदलती हैं .....!!
    आप सभी के प्रोत्साहन से -आपकी टिप्पणियों से ....ये सफ़र और सुहाना होता जा रहा है .....!!!!!

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  21. आदरणीया अनुपमा जी सादर नमस्कार !
    ..
    ये खामोशियाँ .....
    सर्द हवाओं सी .......
    सर्द एहसास को हवा देतीं हैं ....

    कोमलता से ओतप्रोत रचना !
    http://anandkdwivedi.blogspot.com/

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  22. फिर ढूँढती हैं
    मेरी नज़रें ...
    मेरी साँसे ....
    सांस लेने का सबब ....
    वो इक नायाब सुबह का मंज़र ........!!
    देख कर जिसको.....
    फिर खिल-खिल उठे...
    बेबाक .......
    मेरा दीवानापन .......!!!
    कोमल मन की कोमल भावनाएं..!!

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  23. अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!