नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

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06 April, 2011

प्रतीक्षारत मन ........!

पुनश्च जन्म लेती हैं -
कुछ आशाएं ......!
जहाँ जीवित हैं -
भाव भंगिमाएं ....
भावनाएं.......!

नैनो में आस -
मेरी प्रतीक्षा शेष .....!
अभी बाकी है ....
मीन के ह्रदय में भी -
प्यास अभी बाकी है ....

तुम्हारी ही खोज में -
समुद्र की लहरें  -
लहर लहर मारें .....
आशा मेरी सवारें  -
लातीं  मुझे किनारे -

पर.........
मिट  जाते हैं तुम्हारे 
कदमों के निशां......
होता तो  है आभास ..
तुम्हारे अस्तित्व का......
विद्यमान  है प्रभास .......!!


दृढ़ प्रतीति है मेरी   -
द्वार  तुम्हारे -
हे प्रभु .....
देर तो है ......
अंधेर नहीं .......!

किन्तु फिर भी -
रह जाती  है..........
मेरी प्रतीक्षा शेष .....!
और मैं ........
पुनश्च डूब जाती हूँ ..
समुद्र की गहराइयों में .........!!!!!!!!

22 comments:

  1. मीन के ह्रदय में भी -
    प्यास अभी बाकी है ....

    बहुत ही गहरी प्रस्तुति, सब सुविधाओं के बीच भी लगता है कि बहुत कुछ नहीं है।

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  2. रह जाती है..........
    मेरी प्रतीक्षा शेष .....!
    और मैं ........
    पुनश्च डूब जाती हूँ ..
    समुद्र की गहराइयों में .........!!!!!!!

    pyari si rachna! kuchh dhundhti hui...!

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  3. Tu kisi aur ke liye hoga samander-e-ishq...
    hum to rooz tere sahil se piyase guzar jatay hain..!!

    Renu

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  4. मीन के ह्रदय में भी -
    प्यास अभी बाकी है ....

    जल के अन्दर मीन के ह्रदय की प्यास !- कौन समझ पाता है , शानदार भावना

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  5. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (7-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  6. मीन के ह्रदय में भी -
    प्यास अभी बाकी है ...

    बहुत सुन्दर भावों कोपिरोया है शब्दों में

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  7. पानी में मीन प्यासी रे मुझे सोचत आवे हांसी रे...

    बेहद खूबसूरत रचना है आपकी...बधाई स्वीकारें..

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  8. नमस्कार वंदना जी ,
    बहुत बहुत धन्यवाद मेरी रचना को चर्चा -मंच पर लेने के लिए |जो कुछ प्रभु ने दिया है क्या उससे मन संतुष्ट हो जाता है ...?जो है उससे और अच्छा करने की इच्छा मन में बनी ही रहती है |हमारे चारों ओर फैले प्रभास में इश्वर का आभास तो होता है पर फिर भी इश्वर की खोज में --या यूँ कहें -कुछ अच्छा करने की चाह में भटकता है मन ......
    punah dhanyavad meri rachna ko charcha manch par lene ke liye .

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  9. पर.........
    मिट जाते हैं तुम्हारे कदमों के निशां....

    यह क़दमों के निशां कुछ सीख तो दे जाते हैं ..बहुत गहरे भावों से भरी प्रस्तुति ...आपका आभार

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  10. प्रकृति , भक्ति , संस्कृति , संगीत और अब दर्शन . सब भावों को बहुत सरलता से व्यक्त कर लेती है आपकी कवितायेँ .

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  11. पर.........
    मिट जाते हैं तुम्हारे
    कदमों के निशां......
    होता तो है आभास ..
    तुम्हारे अस्तित्व का......
    विद्यमान है प्रभास .......!!

    bahut sunder.........

    jab tak koi aankho se door na ho uske vidyaman hone na hone ka mahatwa pata nahi chalta..........

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  12. दृढ़ प्रतीति है मेरी -
    द्वार तुम्हारे -
    हे प्रभु .....
    देर तो है ......
    अंधेर नहीं .......!

    किन्तु फिर भी -
    रह जाती है..........
    मेरी प्रतीक्षा शेष .....!
    और मैं ........
    पुनश्च डूब जाती हूँ ..
    समुद्र की गहराइयों में ..

    अनुपमा जी ...यही विश्वाश जीने का संबल है और यही विश्वाश अनवरत प्रतीक्षा करने के लिए आवश्यक उर्जा भी देता है
    आपकी प्रतीक्षा और आपका विश्वाश दोनो ही स्तुत्य हैं !

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  13. कल "शनिवासरीय चर्चा" में आपके ब्लाग की "स्पेशल काव्यमयी चर्चा" की जा रही है...आप आये और अपने सुंदर पोस्टों की सुंदर काव्यमयी चर्चा देखे और अपने सुझावों से अवगत कराये......at http://charchamanch.blogspot.com/
    (09.04.2011)

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  14. नैनो में आस -
    अभी बाकी है ....
    मीन के ह्रदय में भी -
    प्यास अभी बाकी है ....

    तुम्हारी ही खोज में -
    समुद्र की लहरें -
    लहर लहर मारें .....
    आशा मेरी सवारें -
    लातीं मुझे किनारे -
    अनुपमा जी बहुत ही सुंदर और प्यारी सी कविता के लिए आपको बधाई और शुभकामनाएं |

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  15. नैनो में आस -
    अभी बाकी है ....
    मीन के ह्रदय में भी -
    प्यास अभी बाकी है ....

    तुम्हारी ही खोज में -
    समुद्र की लहरें -
    लहर लहर मारें .....
    आशा मेरी सवारें -
    लातीं मुझे किनारे -
    अनुपमा जी बहुत ही सुंदर और प्यारी सी कविता के लिए आपको बधाई और शुभकामनाएं |

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  16. दृढ़ प्रतीति है मेरी -
    द्वार तुम्हारे -
    हे प्रभु .....
    देर तो है ......
    अंधेर नहीं .......!

    यही आशा है जो जीने के लिये प्रेरित करती है और हौसला बढाती है ! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !

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  17. Samunder se gaheree your yet another poem....'BRILLIANT' Anupama

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  18. उस पूर्ण को पाने की प्रतीक्षा का ही नाम जीवन है।
    आध्यात्मिक भावों से ओत-प्रोत सुंदर कविता।

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  19. बेहद खूबसूरत रचना है आपकी...बधाई

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!