जल्दी जल्दी घर का काम निपटा कर गुनगुनाते हुए अपनी अलमारी खोली .......मैचिंग पर्स ...मैचिंग ज्वेलरी ....मैचिंग लिपस्टिक ...बड़े मन से सखियों से मिलने की तयारी होने लगी |आज बहुत दिनों बाद महिला मंडल की मीटिंग में जाना था |कुछ जोश ही अलग था |सच मानिये लेडीस डे आउट का मज़ा ही कुछ और होता है ...!वो मस्ती ...वो हँसना ...वो ज़ोरदार ठहाके ...गूँज जाता है पूरा हॉल ......!!बहुत मुश्किल से मौके मिलते हैं जब आप चिल्ला चिल्ला कर हंस सकें ....!!बस सीधी सी बात ...खूब हंसने का मन था ......आज इस कहानी में कोई ट्विस्ट ...नहीं चाह रही थी मैं ....!! ज़ोर ज़ोर से हंसने में जो मज़ा है ...वो हलकी सी मुस्कराहट में कहाँ ...? कुछ अजीब सा सुरूर ....छाया हुआ था ..|तैयार होते होते ही दो इंच की मुस्कान चेहरे पर छपी थी |
बल्कि थोड़ा जल्दी ही पहुँच गयी थी |अभी कम ही लोग पहुंचे थे |एक नया सा चेहरा दिखा ,अपनी सखियों का इंतज़ार करती ,कुछ सोचती हुई , मैं उनके पास जा कर बैठ गयी ...!पीले रंग की साड़ी में ...अच्छे से तैयार ....सभ्रांत महिला ...!!वार्तालाप शुरू हो गया |उन्होंने पूछना शुरू किया ....आपका नाम क्या है .....आपके पति का नाम क्या है ....उनकी पोस्टिंग कहाँ है ....आपके कितने बच्चे है ...क्या करते हैं ...कहाँ रहतीं हैं ...यहाँ तक तो बड़ी ही सहज बातें होती रहीं ...धीरे धीरे उनकी बातों की सहजता कम होने लगी ...!जैसे जैसे उनकी बातों की सहजता कम होने लगी वैसे वैसे मेरा आश्चर्य बढ़ने लगा और मेरी असहजता बढ़ने लगी |वो कह रही थीं ...''मैं बहुत पूजा करती हूँ |बहुत ध्यान करती हूँ |भगवान पर बहुत विश्वास है मुझे |भगवान का मुझे विशेष आशीर्वाद प्राप्त है |मैं तो भगवान से बातें भी करती हूँ |रोज़ मेरी कितनी ही बातें होती हैं भगवान से |मैं कुंडली भी देखती हूँ |मुझे इश्वर से ऐसी शक्ति प्राप्त है की मैं देख कर ही बता देती हूँ कि कोई कब मरने वाला है ...... ''और धीरे धीरे खसक कर मेरे और पास आ गयीं ..उन्होंने मेरी तरफ ध्यान से देखना शुरू कर दिया ...!और अब धीरे से मेरा हाथ पकड़ लिया ...!सच मानिए इतना होते ही मैं कुछ काँप सी गयी ................वो मस्ती जो मन पर छाई थी कहाँ काफूर हो गयी पता नहीं ....!!!!मैं पल भर को भी ये जानना नहीं चाहती थी कि मैं कब मरने वाली हूँ ....!अरे कहीं मैं जल्दी मरने वाली हुई तो ...?अभी तो बहुत कुछ करना है ...!!मैं ज़िन्दगी से कितना प्रेम करती हूँ ये मुझे उसी पल मालूम पड़ा ...!!!!अब मैं यहाँ से उठूँ भी तो उठूँ कैसे ....?हाय ...मैं क्या करूँ....कहीं ये मैडम बता ही न दें कि मैं कब मरने वाली हूँ .....!!आज शायद मैंने भी पूजा अच्छे से की थी ....!साक्षात् भगवन ही मेरी रक्षा को प्रकट हुए ...!वो कुछ और बोल पातीं उससे पहले मिसेज़ शर्मा कि आवाज़ कानो में पड़ी ....''अरे अनुपमा .....!!बड़े दिनों बाद दिखीं ....कितनी पतली हो गयी हो ....वॉट अ सरप्राइस .!!''उनके सर प्राइस का पता नहीं पर यहाँ मुझे कुछ और ही सर प्राइस मिलने वाला था ...!! डर के मारे मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था |चेहरे पर पूरे बारह बल्कि ...सवा बारह ...नहीं नहीं साड़े बारह बज रहे थे ....!!मेरी हालत देख कर बोलीं ..........''अरे लगता है कुछ गंभीर बात चल रही थी |मैंने डिस्टर्ब किया क्या ....?''मेरी घिग्घी बंधी हुई थी ....घबराहट में मैंने पर्स खोला .....बड़ी मुश्किल से पर्स में से मेन्टोस निकल कर खायी ....और मेरे दिमाग कि बत्ती जल गयी ...!.....''अरे मिसेज़ शर्मा नमष्कार!आपने जो किया बहुत अच्छा किया |''इतना कह कर मैं वहां से अलग हो गयी |अब रह रह कर मेरा ध्यान .......उन पीली साड़ी वाली महिला पर जाता था | जो सीन मेरे साथ हुआ वही सीन अब रिपीट हो रहा था |मीना मेरी बहुत अच्छी मित्र है |अब वो महिला मीना से ही बात कर रही थीं ....!मीना के चेहरे पर बदले हुए हाव-भाव से मैं समझ गयी अब मीना पर क्या गुज़र रही है |इतने में मेरी नज़र मीना से मिली और इशारे से मैंने उससे कुछ कहा |मीना समझ गयी और तुरंत वहां से हट गयी |थोड़ी देर बाद हमें समझ में आ गया कि ये महिला कुछ अलग ज़रूर है .....!सामान्य तो नहीं हैं ।
ज़िन्दगी ट्विस्ट देने से कहाँ चूकती है ...? ज़िदगी को इतने करीब से देखा ....वो भी मौत की बात करते हुए ....!!आज सभी के चेहरे पर से हंसी गायब थी ....जिस ख़ुशी की तलाश में हम सब यहाँ आये थे वो तो मिली ही नहीं ....!!अब तो सभी के बीच चर्चा का वही विषय था |सभी के चेहरे उतरे थे ...!!
घर लौटते वक़्त शाम हो चुकी थी ।कार में बैठ कर भी मन पीछे ही छूट गया था।गरज गरज कर बादल बरस रहे थे ...और इस बारिश कि टिपिर टिपिर में भी ...कुछ बहुत ही वीरान सा ....उचाट सा मन हो रहा था ....मन बदलने के लिए मैंने ड्राईवर से कहा ,''शोहरत ,गाना तो लगाओ भई ...!''हिंदी फिल्मो कि तरह ...F.M पर गाना बज रहा था ....''दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समायी तूने ...काहे को दुनिया बनाई......................???
उन मैडम से उनका भविष्य जरूर पूछे ..................
ReplyDeleteउन्होंने ज्योंही हाथ पकड़ा... पढ़ते hi मेरे चेहरे पर :) आ गई ... कहाँ गए थे स्लिम होकर तारीफ़ सुनने , और मिली यमराज की घंटी - हहाहाहा
ReplyDeleteवाह अनुपमा जी बहुत बढिया है
Deletebehtreen...
ReplyDeleteअनुपमा जी ..हंसने को विवश थी मैं सारा वृतांत पढ़ कर..
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आपने....
kalamdaan.blogspot.com
:-)
ReplyDeleteरोचक लगा...
ऐसे ही एक साक्षात देवी के दर्शन मुझे भी करवाए थे मेरी एक सखी ने..और हम भी ऐसे ही सरक लिए थे ...अब तक इतनी उपासना की कहाँ है कि ईश्वर दर्शन हो जाएँ...
उफ़! इतना घबरा गईं हैं आप.
ReplyDeleteचिड़िया की चहक को यूँ चुप न कीजियेगा जी.
आपका तांबें का लोटा तो खूब चमकता है,अनुपमा जी.
फिर डर कैसा.
आप मेरे ब्लॉग पर जल्दी आईयेगा.
हनुमान जी के कृपा प्रसाद से सब
डर काफूर हो जायेगा,
अच्छी प्रस्तुति,रोचक सुंदर रचना,बेहतरीन पोस्ट....
ReplyDeletenew post...वाह रे मंहगाई...
दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समायी तूने ...काहे को दुनिया बनाई..
ReplyDeleteisi tarah kaa bahut kuchh dekhne,sahne ke liye
:):) ठहाके लगाने के बजाये घिघ्घी बांध गयी .. रोचक .. पिली साड़ी देख कर यह किस्सा ज़रूर याद आयेगा .
ReplyDeletejab saheliyo se milne jana ho 2 inchi smile chehre par chipak hi jati hai mano fevicol ka jod hai chhutega nahi.
ReplyDeletebehad rochak hae aapka lekh or usase bhi jyaada rochak hae aapka anubhav .
ReplyDelete:) बहुत बढ़िया
ReplyDeleteभगवान बचाये!
ReplyDeleteपता नहीं कब, किसके माध्यम से, कौन सा संदेश आपके प्रेषित कर दिया जाये।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा आपका अंदाज़...
ReplyDeleteजिंदगी के रंग कई... कभी पीला ही सही... :)
ठहरी सी हलचल से यहाँ आकर बरसात में नहा गए जी.
ReplyDeleteबहुत ठण्ड हो रही है.
और आपके चित्र में झमा झम बरसात हो रही है.
अनचाही घटती घटनाएं अवांछित होते हुए भी स्मृति पर एक लकीर जरुर छींच जाती है .. जहाँ तक मेरा अनुभव है जब ऐसी घटना से रु-व् रु होने लगे तत्काल उससे स्वयं को अलग कर लेना ही बेहतर होता है . फिर घटनाएं फिल्म हो जाती है..
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
आपका यह अनुभव और आप पर जो बीती हो ..लेकिन उसे आपने इतनी रोचकता से जो पेश किया पूरा पढ़ने के बाद ही नज़र हटी स्क्रीन से :) आपके लिए ढेर सारी शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteसार्थक आलेख
ReplyDeleteमरना तो एक दिन है ही मजा तो तब था जब आप उन्हें यह कहतीं कि आपने अपने बारे में नहीं पूछा भगवान से, कि हम तो अभी ही तैयार हैं मरने को और आँख मूंद कर अभिनय करतीं...
ReplyDeleteसार्थक आलेख..बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteजीवन का स्वाद तो वही ले सकता है जो अभी मरने को तैयार है......दिमाग की बत्ती सही समय पर जला ली आपने.........तरह तरह के लोग मिलते है इस जहाँ में......सबको झेलना पड़ता है :-)
ReplyDeleteऐसी जगहों बल्कि पार्टियों में कहना ठीक होगा, एक दो खूनी चेहरे आ ही जाते हैं ... जो अनावश्यक ही सबका सुकून और मस्ती भंग कर देते हैं.
ReplyDeleteAchee prastuti ...
ReplyDeleteवाह ...बहुत उम्दा
ReplyDeleteएक ही साँस में पढ़ गई पूरी घटना ...दुबारा पढ़ी...सच में कभी कभी बिना सोचे ऐसा हो जाता है कि जिंदगी अचंभित कर देती है और सोचने को मजबूर ...
bahut sundar,Achee prastuti.
ReplyDeleteआभार ...मेरी मन की दुविधा को ...पढ़ कर समझने के लिए ..बहुत दुःख में भी ख़ुशी के पल ढूँढता है मन ....ये सत्य है ...इसी को सकारात्मकता कहते हैं ...इसीलिए इतनी गंभीर बात कहते हुए भी हंसाने की कोशिश की है....
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