सप्त स्वरों के
पंख लगा कर ..
मन को मन की
चाह बना कर ...
तीव्र मध्यम को -
मार्ग विहाग का मार्ग दिखा कर ...
लो उड़ चली मैं ....
उड़-उड़
भर रहा है मन ...
स्वरों में सर्वप्रथम ..
रम-रम
प्रभु का अज्ञेय स्मरण ..
गूँज गूँज
भंवरें का अथाह गुंजन ...
लहर लहर
लहरों का अजेय स्पंदन ..
कल कल कल
नदिया का अमिय वंदन...
या मस्त पवन का
आनंदातिरेक अगाध आलिंगन ..
अब घर आई ..
चतुरंग की चतुराई ...
भज मन भजन की शहनाई ..
बड़े ख़याल सी रुकी रुकी ठहरी ठकुराई ...
छोटे ख़याल सी अल्हड़ चपलाई चंचलताई ....
कजरी की अकुलाई तरुणाई...
आली मोरे अंगना आज ...
पिया गुनवंत आवन को हैं ...
प्रिय के रंग चूनर रंगाई....
आज मोरे मन ने सुरों के रंगों से
रंगोली भी सजाई .....!!
*मार्ग विहाग -राग का नाम है जिसमे तीव्र मध्यम का प्रयोग होता है .
चतुरंग -शास्त्रीय संगीत में गीत का एक प्रकार है .बंदिश के बोल,सरगम,त्रिवट और तराना ....इन सभी का मिश्रण हो तो चतुरंग बनता है और चतुराई से ही गाना पड़ता है |बड़ा ख्याल ठहर ठहर कर गया जाता है ....छोटा ख्याल चंचलता से और कजरी को गाते हुए तरुनाई जैसे ही कुछ भाव होने चाहिए .....!!
आप सभी को संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें.
सूर्य देवता ने अपना मार्ग बदल लिया है ....!!उत्तरायण की ओर अब चल पड़े हैं ...!
आज के दिन तिल गुड़ खाएं और गुड़ की ही तरह मीठा बोलें ....पता नहीं किस रूप में होगी पर ...प्रभु कृपा ज़रूर होगी ....!!ज़रूर होगी .......
पंख लगा कर ..
मन को मन की
चाह बना कर ...
तीव्र मध्यम को -
मार्ग विहाग का मार्ग दिखा कर ...
लो उड़ चली मैं ....
उड़-उड़
भर रहा है मन ...
स्वरों में सर्वप्रथम ..
रम-रम
प्रभु का अज्ञेय स्मरण ..
गूँज गूँज
भंवरें का अथाह गुंजन ...
लहर लहर
लहरों का अजेय स्पंदन ..
कल कल कल
नदिया का अमिय वंदन...
या मस्त पवन का
आनंदातिरेक अगाध आलिंगन ..
अब घर आई ..
चतुरंग की चतुराई ...
भज मन भजन की शहनाई ..
बड़े ख़याल सी रुकी रुकी ठहरी ठकुराई ...
छोटे ख़याल सी अल्हड़ चपलाई चंचलताई ....
कजरी की अकुलाई तरुणाई...
आली मोरे अंगना आज ...
पिया गुनवंत आवन को हैं ...
प्रिय के रंग चूनर रंगाई....
आज मोरे मन ने सुरों के रंगों से
रंगोली भी सजाई .....!!
*मार्ग विहाग -राग का नाम है जिसमे तीव्र मध्यम का प्रयोग होता है .
चतुरंग -शास्त्रीय संगीत में गीत का एक प्रकार है .बंदिश के बोल,सरगम,त्रिवट और तराना ....इन सभी का मिश्रण हो तो चतुरंग बनता है और चतुराई से ही गाना पड़ता है |बड़ा ख्याल ठहर ठहर कर गया जाता है ....छोटा ख्याल चंचलता से और कजरी को गाते हुए तरुनाई जैसे ही कुछ भाव होने चाहिए .....!!
आप सभी को संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें.
सूर्य देवता ने अपना मार्ग बदल लिया है ....!!उत्तरायण की ओर अब चल पड़े हैं ...!
आज के दिन तिल गुड़ खाएं और गुड़ की ही तरह मीठा बोलें ....पता नहीं किस रूप में होगी पर ...प्रभु कृपा ज़रूर होगी ....!!ज़रूर होगी .......
मकर संक्रांति के अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteआशा
bahut badhiya kavita.... makar sankranti kee hardik shubhkaamna !
ReplyDeleteआपको भी मकर संक्रांति की ढेरों शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteशब्द थाप कर रहे जाप,
ReplyDeleteभावों के लय में गुँथे आप,
अद्भुत प्रवाह..
aapko bhi bahut bahut hardik badhai makar sankranti ki
ReplyDeletesundar!
ReplyDeletemakar sankranti ki hardik badhaai.hamesha ki tarah achchi,anupam rachanaa badhaai aapko.
ReplyDeleteसंगीत की ले में बंधी अद्भुत रचना ..
ReplyDeleteमकरसंक्रांति की शुभकामनायें
बहुत ही बढि़या प्रस्तुति ... शुभकामनाओं के साथ बधाई ।
ReplyDeleteआज तो आपने यथानाम तथागुण को पूरी तरह से सिद्ध कर दिया ! इतनी अनुपम संगीतमय प्रस्तुति ने मन मोह लिया ! मकर संक्रांति की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें ! आपके साथ मुझे भी विश्वास है कि चाहे जिस रूप में हो प्रभु की कृपा ज़रूर होगी !
Deleteगुड़ खा लिया है ... न भी खाती तो कहती की तुमने सबकुछ मीठा मीठा लिखा है
ReplyDeleteअच्छी रचना,
ReplyDeleteबहुत सुंदर
खूब-सूरत प्रस्तुति |
Deleteबहुत-बहुत बधाई ||
..अब घर आई ..
ReplyDeleteचतुरंग की चतुराई ...
भज मन भजन की शहनाई ..
बड़े ख़याल सी रुकी रुकी ठहरी ठकुराई ...
छोटे ख़याल सी अल्हड़ चपलाई चंचलताई ....
कजरी की अकुलाई तरुणाई...
आली मोरे अंगना आज ...
पिया गुनवंत आवन को हैं ...
प्रिय के रंग चूनर रंगाई....
आज मोरे मन ने सुरों के रंगों से
रंगोली भी सजाई .....!!
उत्तरायण की हार्दिक बधाई |अति मनभावन रचना है
बेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
संगीत अपनी समझ से परे है हाँ सुनने में आनंद आता है |
ReplyDeleteबहुत खूब ...........लोहड़ी की बधाई स्वीकार करने
ReplyDeleteत्वरितर पर आपका संदेशवाहक @hamarivani हमारीवाणी.कॉम
ReplyDeleteanupama's sukrity.: पिया गुनवंत आवन को हैं ...!! fb.me/1DU7zBw8W कजरी की याद दिलाती हुई , फिर मिर्ज़ापुर घूम आने को जी चाहता है
वाह वाह सुन्दर...अद्वितीय रचना.बहुत ही सुन्दर
ReplyDeletebehad sundar,,
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteलोहड़ी पर्व की बधाई और शुभकामनाएँ!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteपिया गुनवंत आवन को है ...
ReplyDeleteशास्त्रीय राग पर आधारित गीत ने भर भर भिगोया , इसका आनंद लेने के लिए शास्त्रीय संगीत की समझ कहाँ आवश्यक है , यह तो प्रकृति का निर्मल संगीत सा है ...
बेहद खूबसूरत भाव !
पिया गुनवंत आवन को है ...
ReplyDeleteशास्त्रीय राग पर आधारित गीत ने भर भर भिगोया , इसका आनंद लेने के लिए शास्त्रीय संगीत की समझ कहाँ आवश्यक है , यह तो प्रकृति का निर्मल संगीत सा है ...
बेहद खूबसूरत भाव !
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ..
ReplyDeleteमकर सक्रांति की बहुत -बहुत बधाई
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteआपकी वाणी भी मीठी...लेखनी भी मीठी..
मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ.
bahut khuub, makarsankraanti kii shubhakaamanaaye
ReplyDeleteआली मोरे अंगना आज ...
ReplyDeleteपिया गुनवंत आवन को हैं ..बेहतरीन
बहुत सुन्दर...लोहड़ी और मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबहुत ही बढि़या प्रस्तुति ...
ReplyDeleteलोहरी की बहुत -बहुत शुभकामनाए ..और संक्रांति की भी ..
ReplyDeleteयह संगीतमय कविता और कविता का संगीत बहुत देर तक मन में गूंजता रहा। संगीत से जुड़े बिम्ब साकार हो उठे हैं।
ReplyDeleteसंक्रांति पर्व की शुभकामनाएं।
शब्द-शब्द में घुला हुआ मधुर संगीत
ReplyDeleteभाव-भाव में छिपी-छिपी-सी लय
और
बंदिश में माँ सरस्वती का पावन आशीर्वाद ..
ऐसा ही सब कुछ
इस प्रभावशाली रचना में समाया हुआ है ..वाह !
अभिवादन स्वीकारें .
हमें तो ऐसी रचनाओं में ईश्वरीय शक्ति की अनुभूति होती है ! हर एक शब्द मानो शब्द नहीं बल्कि अपने आप में एक अलग रचना है ! बहुत सुन्दर... मन में बस गया !
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट पे पधारें और दिशा निर्देशन दें !
आभार !
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteमकर संक्रांति की शुभकामनायें !
आपकी पंक्तियाँ आनंदातिरेक में डुबोती है . मकर संक्रांति की शुभकामनायें
ReplyDeleteanupma ji
ReplyDeleteitni shandaar prastuti aapki hai ki main shbdon me bayan nahi kar sakti.
waqai kammal ka likha hai aapne.
is prastuti me sangeet ki jo aapne swar-lahriyan lahraai hain ,shabdo ka addhbhut milaap v samanjasy sabhi bahut -bahut atulniy.
hardik badhai
poonam
बहुत खूब...मकर संक्रांति की शुभकामनायें !
ReplyDeleteसंगीत और कविता का अद्भुत सम्मिश्रण है आपकी यह कृति ....हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबेहतरीन, आपको भी शुभकामना।
ReplyDeleteमधुरं! हर्षित करने वाली लहरियां हैं इसमें
ReplyDeleteआभार ...इस रंगोली को आपने पसंद किया ....!!
ReplyDeleteआपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२६) मैं शामिल की गई है /आप मंच पर आइये और अपने अनमोल सन्देश देकर हमारा उत्साह बढाइये /आप हिंदी की सेवा इसी मेहनत और लगन से करते रहें यही कामना है /आभार /लिंक है
ReplyDeletehttp://www.hbfint.blogspot.com/2012/01/26-dargah-shaikh-saleem-chishti.html
भावो का संगीतमय चित्रण बहुत ही अच्छा लग रहा हे !संक्रांति के तुम्हे भी बहुत बहुत बधाई
ReplyDeletebahut hi sangeetmay aur bhavpurn prastuti.
ReplyDeleteमेरी कविता