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20 February, 2012

गुलाबी सा गुलाब ....!!


जीते हुए जीवन ...
सहजता से...सजकता से ..सुघड़ता से ..
जीवन की कठिनाईयों पर ...कामना पर  ...
प्रबलता से ....सबलता से ..सरलता से ..
विजय पाना ...
गुलाब के फूल की तरह ...
घिर कर काँटों से ..
धूप में ..छाँव में इस तरह  खिलना...
कोमलता को ही आत्मसात करना ...
संस्कारों की उर्वरक पाकर ...
मंद मंद मुस्काना ... ......
काँटों से ऊपर उठ जाना ...
सुखद अनुभूति ही देना ...
हे गुलाब ...
आसान नहीं है ... कठिन है ,
तुम्हारी तरह ...मन का ..
गुलाबी सा गुलाब बन जाना ...!!

40 comments:

  1. गुलाब बहुत ही प्रेरक पादप है। कांटों के बीच मुसकराना, सबको सुगंधि देना और ज़रूरत पड़ने पर व्याधियों से भी छुटकारा दिलाना। इस काव्य में आपने गुलाब के महत्व पर अच्छा प्रकाश डाला है।

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  2. कोमलता को आत्मसात करना
    संस्कारों की उर्वरक पाकर
    मंद मंद मुस्काना

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  3. सच में कठिन है .....लेकिन सकारात्मक बने रहें तो जीवन गुलाब बन सकता है ....सभी को अपनी और आकर्षित करने वाला .....!

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  4. सुन्दर प्रस्तुति !
    आप सभी को महापर्व शिवरात्रि की मंगलमय कामनाये !

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  5. ॐ नमः शिवाय !! महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये.

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  6. कठिनाइयों के बीच भी मंद मंद मुस्काना , जीवन को गले लगाना ..... बहुत सुंदर भाव लिए रचना

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  7. khil kar mahaknaa
    sab ko khush karnaa vaakai aasaan nahee hai

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  8. आसान नहीं है, सबका जीवन गुलाब की तरह गुाबी हो जाए।
    बहुत अच्छी कविता।

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  9. यकीनन आसान नहीं है ..
    बहुत सुन्दर

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  10. कामना तो यही है, पर कितना कठिन हो जाता है गुलाब होना..

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  11. बहुत कुछ सीखा जा सकता है गुलाब से.

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  12. जीवन के प्रति सकारात्मक संदेश देती सुंदर रचना !
    आभार!

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  13. अनुपम..बहुत सुन्दर..शिव रात्रि पर हार्दिक बधाई..

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  14. कितनी सुन्दर रचना... वाह!
    सादर साधुवाद.

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  15. गुलाब कितना कुछ सिखाता है...आसान नहीं है पर सीखना ही तो जीवन है !

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  16. वाकई कठिन है..विपरीत परिस्थियों में मुस्कुराना..गुलाबी गुलाब होना..

    सुन्दर रचना अनुपमा जी.

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  17. हे गुलाब ...
    आसान नहीं है ... कठिन है ,
    तुम्हारी तरह ...मन का ..
    गुलाबी सा गुलाब बन जाना ...!!

    तपबल से क्या कुछ नहीं हो सकता.
    सीखते रहने की तत्परता चाहिये.

    अखण्ड मण्डलाकारं व्यापतं येन चराचरम्
    तत्पदं दर्शितं येन,तस्मै श्री गुरवे नम:

    गुरु रूप में वह सर्वत्र विराजमान है हमें सिखाने के लिए.

    अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार,अनुपमा जी.

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  18. शिवरात्री की शुभकामनाएँ.
    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.

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  19. सुन्दर....

    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

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  20. गुलाब का गुलाबी एहसास उस परमात्मा की उपस्थिति का आभास कराता है.. और सदा यह प्रेरणा देता है कि जीवन में सिर्फ दुखों के कांटे नहीं हैं, बल्कि उनके बीच सुख का गुलाब भी है.. बहुत ही सुन्दर कविता!!

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  21. बहुत अच्छी प्रस्तुति, सुंदर रचना.....
    शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!

    MY NEW POST ...सम्बोधन...

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  22. बहुत खूब .. वैसे काँटों में रह के ही जीवन में भी निखार आता है ...

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  23. गुलाब ... काँटों में भी सौन्दर्य , खुशबू - सम्पूर्ण विशेषता

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  24. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    ओम् नमः शिवाय!
    महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ!

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  25. आसान नहीं है ... कठिन है ,
    तुम्हारी तरह ...मन का ..
    गुलाबी सा गुलाब बन जाना ...!!

    vakai mein......

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  26. आभार अतुल जी ...चर्चा मंच पर मेरी कृति को स्थान दिया ....!!

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  27. मेरे पसंदीदा गुलाब की तस्वीर सी ही गुलाबी कविता पढ़कर मन भी गुलाबी हो रहा है !
    सुन्दर !

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  28. कठिन तो है गुलाबी गुलाब होना पर उठती हुई सुगंध सबसे पहले हमें ही मदमाता है . सुन्दर लिखा है आपने अनुपमा जी..

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  29. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  30. गुलाब से सीखो ज़िंदगी को जीना ॥काँटों में भी मुसकुराता है ...

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  31. बहुत सुन्दर सृजन , बधाई.

    मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर आप सादर आमंत्रित हैं.

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  32. आप इतनी कोमलता से लिखती है कि दिल बाग बाग हो जाता है.. मन का गुलाब गुलाबी हो जाता है...सच ..आपका लिखा मुझे बहुत ही भाता है...सादर

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  33. हे गुलाब ...
    आसान नहीं है ... कठिन है ,
    तुम्हारी तरह ...मन का ..
    गुलाबी सा गुलाब बन जाना ...!!……………जीवन दर्शन छुपा है इसमे।

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  34. आह्लादकारी और सीख़ देती पंक्तियाँ . आभार

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  35. यह सच है कि गुलाब सा गुलाबी होना कठिन है काँटों के बीच. सुंदर सृजन.

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  36. ह्रदय से आभार आप सभी का ...!!

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