जीते हुए जीवन ...
सहजता से...सजकता से ..सुघड़ता से ..
जीवन की कठिनाईयों पर ...कामना पर ...
प्रबलता से ....सबलता से ..सरलता से ..
विजय पाना ...
गुलाब के फूल की तरह ...
घिर कर काँटों से ..
धूप में ..छाँव में इस तरह खिलना...
कोमलता को ही आत्मसात करना ...
संस्कारों की उर्वरक पाकर ...
मंद मंद मुस्काना ... ......
काँटों से ऊपर उठ जाना ...
सुखद अनुभूति ही देना ...
हे गुलाब ...
आसान नहीं है ... कठिन है ,
तुम्हारी तरह ...मन का ..
गुलाबी सा गुलाब बन जाना ...!!
गुलाब बहुत ही प्रेरक पादप है। कांटों के बीच मुसकराना, सबको सुगंधि देना और ज़रूरत पड़ने पर व्याधियों से भी छुटकारा दिलाना। इस काव्य में आपने गुलाब के महत्व पर अच्छा प्रकाश डाला है।
ReplyDeleteमुग्धकारी!
ReplyDeleteकोमलता को आत्मसात करना
ReplyDeleteसंस्कारों की उर्वरक पाकर
मंद मंद मुस्काना
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
सच में कठिन है .....लेकिन सकारात्मक बने रहें तो जीवन गुलाब बन सकता है ....सभी को अपनी और आकर्षित करने वाला .....!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteआप सभी को महापर्व शिवरात्रि की मंगलमय कामनाये !
ॐ नमः शिवाय !! महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये.
ReplyDeleteकठिनाइयों के बीच भी मंद मंद मुस्काना , जीवन को गले लगाना ..... बहुत सुंदर भाव लिए रचना
ReplyDeletekhil kar mahaknaa
ReplyDeletesab ko khush karnaa vaakai aasaan nahee hai
आसान नहीं है, सबका जीवन गुलाब की तरह गुाबी हो जाए।
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता।
बहुत सुंदर
ReplyDeleteयकीनन आसान नहीं है ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
कामना तो यही है, पर कितना कठिन हो जाता है गुलाब होना..
ReplyDeleteबहुत कुछ सीखा जा सकता है गुलाब से.
ReplyDeleteजीवन के प्रति सकारात्मक संदेश देती सुंदर रचना !
ReplyDeleteआभार!
अनुपम..बहुत सुन्दर..शिव रात्रि पर हार्दिक बधाई..
ReplyDeleteकितनी सुन्दर रचना... वाह!
ReplyDeleteसादर साधुवाद.
गुलाब कितना कुछ सिखाता है...आसान नहीं है पर सीखना ही तो जीवन है !
ReplyDeleteबेहतरीन!
ReplyDeleteसादर
वाकई कठिन है..विपरीत परिस्थियों में मुस्कुराना..गुलाबी गुलाब होना..
ReplyDeleteसुन्दर रचना अनुपमा जी.
हे गुलाब ...
ReplyDeleteआसान नहीं है ... कठिन है ,
तुम्हारी तरह ...मन का ..
गुलाबी सा गुलाब बन जाना ...!!
तपबल से क्या कुछ नहीं हो सकता.
सीखते रहने की तत्परता चाहिये.
अखण्ड मण्डलाकारं व्यापतं येन चराचरम्
तत्पदं दर्शितं येन,तस्मै श्री गुरवे नम:
गुरु रूप में वह सर्वत्र विराजमान है हमें सिखाने के लिए.
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार,अनुपमा जी.
शिवरात्री की शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteसमय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.
सुन्दर....
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
गुलाब का गुलाबी एहसास उस परमात्मा की उपस्थिति का आभास कराता है.. और सदा यह प्रेरणा देता है कि जीवन में सिर्फ दुखों के कांटे नहीं हैं, बल्कि उनके बीच सुख का गुलाब भी है.. बहुत ही सुन्दर कविता!!
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति, सुंदर रचना.....
ReplyDeleteशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!
MY NEW POST ...सम्बोधन...
बहुत खूब .. वैसे काँटों में रह के ही जीवन में भी निखार आता है ...
ReplyDeleteगुलाब ... काँटों में भी सौन्दर्य , खुशबू - सम्पूर्ण विशेषता
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteओम् नमः शिवाय!
महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ!
आसान नहीं है ... कठिन है ,
ReplyDeleteतुम्हारी तरह ...मन का ..
गुलाबी सा गुलाब बन जाना ...!!
vakai mein......
आभार अतुल जी ...चर्चा मंच पर मेरी कृति को स्थान दिया ....!!
ReplyDeleteमेरे पसंदीदा गुलाब की तस्वीर सी ही गुलाबी कविता पढ़कर मन भी गुलाबी हो रहा है !
ReplyDeleteसुन्दर !
कठिन तो है गुलाबी गुलाब होना पर उठती हुई सुगंध सबसे पहले हमें ही मदमाता है . सुन्दर लिखा है आपने अनुपमा जी..
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteगुलाब से सीखो ज़िंदगी को जीना ॥काँटों में भी मुसकुराता है ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन , बधाई.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर आप सादर आमंत्रित हैं.
आप इतनी कोमलता से लिखती है कि दिल बाग बाग हो जाता है.. मन का गुलाब गुलाबी हो जाता है...सच ..आपका लिखा मुझे बहुत ही भाता है...सादर
ReplyDeleteहे गुलाब ...
ReplyDeleteआसान नहीं है ... कठिन है ,
तुम्हारी तरह ...मन का ..
गुलाबी सा गुलाब बन जाना ...!!……………जीवन दर्शन छुपा है इसमे।
आह्लादकारी और सीख़ देती पंक्तियाँ . आभार
ReplyDeleteयह सच है कि गुलाब सा गुलाबी होना कठिन है काँटों के बीच. सुंदर सृजन.
ReplyDeleteह्रदय से आभार आप सभी का ...!!
ReplyDeleteअति सुन्दर
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