हे नाथ ..!हे द्वारकाधीश ...
करो कृपा ..इतना ही दो आशीष ..!!
कई बार व्यथित हो जाता मन ..
नहीं सोच कहीं कुछ पता मन ..
दुःख में ही क्यूँ घबराता मन ...?
है सांस नहीं पल पता मन ...!!
अपने दुःख से ,
घर भर को मैं परेशान करूँ ...!!
मन आहत , कैसे विश्राम करूँ ..?
दुःख भार स्वयं ही ...
कैसे वहन करूँ ...?
तब ,क्या संभव है ...
नहीं किसी को व्यथित करूँ .....?
क्षय विक्षय से दूर करो ..
बुद्धि विवेक आलोक दो ऐसा ...
स्वाद्ध्याय पर अविचल ..अडिग रहूँ .. ....
न हो संशय स्वजनों पर ....!!
मेरे नैनो पर छाया कैसा आवरण .....
करो क्षोभ हरण ..
हे उज्जवल कान्त ...स्निग्ध प्रशांत ...
हाथ पकड़ उत्थान करो मेरा ...
तब ..दे दो ऐसी सुर लहरी ...सगुन भक्ति ...
तुममें खो जाऊं ...
तुम्हारा ही गान गाऊं.....मान बढाऊं ..
मंजीरा बाज उठे मन का ..
रहूँ मुदित ..प्रमुदित ..जीते हुए ये जीवन ...!!
निर्निमेष ..अनिमेष देख तुम्हें हर पल ही ...
शुभ्र ज्योत्स्ना ..ग्रहण करूँ ..
शुभ्र चेतना का प्रसार हो ...
हो शुभ जीवन ...चरणामृत बरसे .....
अमृतमय आप्लावित रहे ..
...रहे अक्षय मन ...
करो कृपा ..इतना ही दो आशीष ..!!
कई बार व्यथित हो जाता मन ..
नहीं सोच कहीं कुछ पता मन ..
दुःख में ही क्यूँ घबराता मन ...?
है सांस नहीं पल पता मन ...!!
अपने दुःख से ,
घर भर को मैं परेशान करूँ ...!!
मन आहत , कैसे विश्राम करूँ ..?
दुःख भार स्वयं ही ...
कैसे वहन करूँ ...?
तब ,क्या संभव है ...
नहीं किसी को व्यथित करूँ .....?
क्षय विक्षय से दूर करो ..
बुद्धि विवेक आलोक दो ऐसा ...
स्वाद्ध्याय पर अविचल ..अडिग रहूँ .. ....
न हो संशय स्वजनों पर ....!!
मेरे नैनो पर छाया कैसा आवरण .....
करो क्षोभ हरण ..
हे उज्जवल कान्त ...स्निग्ध प्रशांत ...
हाथ पकड़ उत्थान करो मेरा ...
तब ..दे दो ऐसी सुर लहरी ...सगुन भक्ति ...
तुममें खो जाऊं ...
तुम्हारा ही गान गाऊं.....मान बढाऊं ..
मंजीरा बाज उठे मन का ..
रहूँ मुदित ..प्रमुदित ..जीते हुए ये जीवन ...!!
निर्निमेष ..अनिमेष देख तुम्हें हर पल ही ...
शुभ्र ज्योत्स्ना ..ग्रहण करूँ ..
शुभ्र चेतना का प्रसार हो ...
हो शुभ जीवन ...चरणामृत बरसे .....
अमृतमय आप्लावित रहे ..
...रहे अक्षय मन ...
बस 'उस' पर सब छोड़ दीजिये...
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.in
बहुत,बेहतरीन अच्छी प्रस्तुति,सुंदर भावनात्मक रचना के लिए बधाई,.....
ReplyDeleteNEW POST...फुहार...हुस्न की बात...
व्यथित न हो मन तो प्रभु खुद चलकर आयेंगे कैसे ...
ReplyDeleteसुन्दर...
ReplyDeleteमनभावन रचना....
आपकी यह मनोकामना पूर्ण हो
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव से की गयी प्रार्थना .... स्वीकृत हो यही कामना है ...
ReplyDeleteसुंदर प्रार्थना दी !
ReplyDeleteदुःख से आहत मन प्रभु के द्वार जाने भर से ही शांति का अनुभव करता है...किसी ने कहा है-कहो उसी से जो कहे न किसी से, मांगो उसी से जो दे दे खुशी से...और उसके सिवाय कोई हमारा मन पढ़ भी तो नहीं सकता..बहुत सुंदर प्रार्थना !
ReplyDeleteसुंदर भावनात्मक रचना ...मनोकामना पूर्ण हो
ReplyDelete..
good lines.
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रार्थना !
ReplyDeleteक्षय विक्षय से दूर करो ..
ReplyDeleteबुद्धि विवेक आलोक दो ऐसा ...
स्वाद्ध्याय पर अविचल ..अडिग रहूँ .. ....
न हो संशय स्वजनों पर ....!!
Prabhu se ek sakaaratmak kaamnaa !
bahut sundar bhav
ReplyDeletebahut sundar bhav
ReplyDeleteप्रस्तुति अच्छा लगी । मेरे नए पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपकी उपस्थिति पार्थनीय है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत कामना।
ReplyDeleteसादर
सुंदर मन से निकले हर शब्द
ReplyDeleteअंतर्मन को छु लेनेवाले भाव..
बहूत हु सुंदर,प्रार्थना
सुंदर भाव अभिव्यक्ती...
कोमल भावो की
ReplyDeleteबेहतरीन.....
मंजीरा बाज उठे मन का ..
ReplyDeleteरहूँ मुदित ..प्रमुदित ..जीते हुए ये जीवन ...!!
बहुत सुंदर स्तुति......
जैसे शिशु को हवा में, देता पिता उछाल ।
ReplyDeleteफिर भी मुस्काता रहे, विश्वासी शिशु बाल ।
वैसे प्रभु को सौंप के, हो जाएँ आश्वस्त ।
दिशा दशा सुधरें सकल, हों कल मार्ग प्रशस्त ।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in
गहरे भाव।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना।
सुन्दर और भवपूर्ण ईश-प्रार्थना।
ReplyDelete...रहे अक्षय मन ..बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रार्थना ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर और भावना मई प्रस्तुति .भगवान् जरुर स्वीकार करेगा /बधाई आपको इतनी अच्छी रचना के लिए /
ReplyDeleteऔर क्या माँगू हृदय से..
ReplyDeleteman se maangaa agar milegaa zaroor
ReplyDeleteuske yahaan der ho saktee magar andher nahee
भक्तिभाव से संपूरित सुंदर रचना।
ReplyDeleteकितनी सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteसादर.
WAH ......SHIV ARTHAT BHOLE NATH ...SABSE JALDI PRASANN HONE WALE DEO ...JO MANGO WAHI MILEGA ....PADH KR MN BHAV VIHWAL HO UTHA ...SADAR BADHAI
ReplyDeleteविश्वास और आस्था- सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होंगी.
ReplyDeleteजय द्वारकाधीश!!!
स्निग्ध भावों को बिखेरती सुन्दर रचना ह्रदय में उतड रही है..
ReplyDeletemanke sahj bhaavon kovyakt karti rachna aabhar
Deleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
ReplyDeleteयह कविता आपके विशिष्ट कवि-व्यक्तित्व का गहरा अहसास कराती है।
ReplyDeleteजय द्वारकाधीश ... बहुत सुन्दर तरीके से आपने प्रभु से मन की ताकत मांगी है..प्रभु कल्याण करे |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भक्तिमयी प्रार्थना..
ReplyDeleteप्रार्थना कई पीड़ाओं और कष्टों से उबार लेती है. भक्तिभाव से छलकती कविता.
ReplyDeleteकमाल की भाव भक्तिमय प्रस्तुति है आपकी.
ReplyDeleteपढकर मन मग्न हो गया है.
आपकी सुकृति को सादर नमन.
हर दुःख को हरने वाले प्रभू के चरणों में वंदन ... सुन्दर भावमई रचना ...
ReplyDeleteस्वाद्ध्याय पर अविचल ..अडिग रहूँ .. ....
ReplyDeleteबिलकुल मेरे मन की बात!
शुभकामनाएं!
विस्वास और आस्था पर ही दुनिया टिकी है,...
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति,इस सुंदर रचना के लिए बधाई,...
MY NEW POST ...काव्यान्जलि ...होली में...
NEW POST ...फुहार....: फागुन लहराया...
आप का बहुत बहुत धन्यवाद की आप मेरे ब्लॉग पर पधारे और इतने अच्छे सन्देश दिए /आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को हमेशा इसी तरह मिलता रहे यही कामना है /मेरी नई पोस्ट आपकी टिप्पड़ी के इन्तजार में हैं/ जरुर पधारिये /लिंक है /
ReplyDeletehttp://prernaargal.blogspot.in/2012/02/happy-holi.html
मैंने एक और कोशिश की है /अगर आपको पसंद आये तो उत्साह के लिए अपने सन्देश जरुर दीजिये /लिंक है
http://www.prernaargal.blogspot.in/2012/02/aaj-jaane-ki-zid-na-karo-sung-by-prerna.html
आभार ह्रदय से आप सभी का ...!!
ReplyDeleteSpot on with this write-up, I actually feel this site needs a lot more attention.
ReplyDeleteI'll probably be returning to read more, thanks for the information!
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sunder rachna hai anupama g
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