कभी जब आलोक तज ...
घिर घिर घिरताहृदय तिमिर से
और बहते रहते अश्रु जल .....
किन्तु ..सांझ ढले ...तम से घिरा ...
टप-टप गिरते आंसुओं का ये पल ...
.सूर्यास्त ...या... सूर्योदय .....!! |
मैं चाहूँ न चाहूँ ....
नया सवेरा ..
फिर-फिर आयेगा ही आएगा ....
नन्हें बालक की तरह ..
मेरा मन अज्ञानी बन ...
कई बार प्रारब्ध पर आँसू बहाता है ...!!
फिर ...
कई बार गुनी ज्ञानी बन ...
वही मन ..
सरस्वती सा सरस ...
खोल उर के द्वार ...
प्रज्ञा का भण्डार ....
बांटे सबको प्यार...
धीमे से मुस्कुराता है ....
ऐ मेरे कोमल..निर्मल ..मन ...
सबसे सुंदर मन .... |
कितने रूप दिखाता है ....!!
मुझे ही खोजता हुआ...
मुझमे ही ......
मुझे ..कितना ...कितना ...भटकाता है ...
और ..मुझे कहाँ कहाँ ले जाता है .....!!
क्या आप बता सकते हैं ऊपर वाली तस्वीर सूर्यास्त की है या सूर्योदय की ......?रचना पढ़ कर इस प्रश्न का उत्तर ज़रूर दें ....!!
bahut hi sundar man ke sachitra bhaav bahut shandar rachna.haan upar ka chitra mere hisaab se sooryast ka hai.
ReplyDeleteसांझ ढल रही है ..नया सवेरा लेकर आएगी ..ये उसका वादा है..
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.in
तू मुझे मुझमे ही..
ReplyDeleteकितने रूप दिखाता है ....!!
मुझे ही खोजता हुआ...
मुझमे ही ......
मुझे ..कितना ...कितना ...भटकाता है ...
और ..मुझे कहाँ कहाँ ले जाता है .....!!
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
sundar rachna....suryast ki lalima hai shayd...
ReplyDeleteकुहासे से लदी वादियों में तम को चीरते भगवान मार्तंड की लालिमा मुझे तो मोहित कर रही है . अब हम तो आशावादी है भला डूबते सूरज को कैसे देखे . आपकी कविता भी तो प्रज्ञा का भंडार है . साधुवाद .
ReplyDeleteसांझ ढल रही है..पर सुबह तो फिर आएगी.
ReplyDeleteचित्र और रचना दोनों अद्वितीय....बधाई...
ReplyDeleteनीरज
खूबसूरत रचना...ढलती संध्या की लालीमा लिए भोर की प्रतीक्षा में..
ReplyDeleteमुझे ही खोजता हुआ...
ReplyDeleteमुझमे ही ......
मुझे ..कितना ...कितना ...भटकाता है ...
और ..मुझे कहाँ कहाँ ले जाता है .....!!बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
मन अक्सर सूर्यास्त को ही उदास होता है..निराश भी होता है...
ReplyDeleteऔर ढलता सूरज एक नये सवेरे का सन्देश लिए रहता है..
चित्र सूर्यास्त का ही हुआ..
सुन्दर रचना अनुपमा जी..
बहुत अच्छा लिखा आपने,बढ़िया प्रस्तुति,....सूर्यास्त
ReplyDeleteNEW POST.... ...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
बहुत अच्छा लिखा आपने,बढ़िया प्रस्तुति,....सूर्यास्त
ReplyDeleteNEW POST.... ...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
sundar bhav behtrin abhivyakti .tasveer to shayad sooryoday ki hae!
ReplyDeletebahut hi sunder ...sunder abhivyati
ReplyDeleteअन्तर कठिन है, जीवन में भी दोनों एक ही रंग के होते हैं, अन्तर होता है तो बस थकान का..
ReplyDeleteमन ही मूढ़ , मन ही ज्ञानी - कभी खाली , कभी पूर्ण ... मेरी समझ से सूर्यास्त की तस्वीर है ... मैं चाहूँ न चाहूँ ....
ReplyDeleteनया सवेरा ..
फिर-फिर आयेगा ही आएगा ....
जीते हुए सजग ये जीवन ..
ReplyDeleteतू मुझे मुझमे ही..
कितने रूप दिखाता है ....!!bahut khub.
बेहतरीन
ReplyDeleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteतस्वीर सूर्यास्त की है......
मन कभी ज्ञानी ,कभी अज्ञानी ...सच में कितनी उहापोह है.... सुंदर भाव
ReplyDeleteकभी जब ह्रदय आलोक तज ...
ReplyDeleteघिर घिर घिरता
मन तिमिर से...
मेरे मन और आपकी कविता के हिसाब से चित्र सूर्यास्त का है...
बहुत सुन्दर है पोस्ट.......और आपके सवाल के जवाब में मुझे लगता है ये 'सूर्यास्त' का दृश्य है |
ReplyDeleteथकान है...
ReplyDeleteडूब जाने का सुकून है
क्यूंकि अन्धकार को दिन भर
किया परास्त है
हो न हो ये छवि मेरी दृष्टि में
सूर्यास्त है!
बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति ...
ReplyDeleteमुझे भी लगता है सूर्यास्त का ही दृश्य है
मन की उड़ान कब कस दिशा ले जाती है कोई नहीं कह सकता ...
ReplyDeleteये सूर्यास्त लग रहा है ... कुछ पीलापन लिए है लालिमा ... गोधूली लए ...
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है ! साँझ के अँधेरे को चीर, रात के घनघोर तिमिर को हटा नया सवेरा आशा का आलोक जीवन में फैलाएगा यह प्रत्याशा ढलता सूरज ही मन में जगाता है ! मेरे विचार से यह तस्वीर सूर्यास्त की ही है ! अच्छी पहेली रची आपने ! रचना भी अद्भुत है और तस्वीर भी अनुपम ! बहुत खूब !
ReplyDeleteसुन्दर आकलन किया है।
ReplyDeleteसूर्यास्त और सूर्योदय.......
ReplyDeleteसिर्फ देखने और समझने वाले की सोच का फर्क होता हैं
पोसिटिव सोचने वाला सूर्योदय कहेगा और नेगिटिव सोचने वाला सूर्यास्त ....सोच अपनी अपनी
मन कभी तम में घिरता है और कभी तम को चीर कर रोशनी देखता है ... दोनों का वर्णन बहुत सुन्दर ... मैं तो सूर्योदय ही कहूँगी उस तस्वीर को देख कर ... :):)
ReplyDeleteउत्कृष्ट लेखन के लिए शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteसुमन सिन्हा जी का परिचय देखें यहां ...
आभार आप सभी का ...मेरे मन की ओहापोह पर आपने सक्षम विचार दिए ....
ReplyDelete