हरी-हरी पतियाँ पीस-पीस,
असुंअन जल सींच सींच ,
महीन महीन मेहंदी कर लाये ..
हथेली सजाये ..
हरी-हरी जब
सुर्ख लाल रच जाये ..
ताक ताक फूली न समाए ..
हरी-हरी जब
सुर्ख लाल रच जाये ..
रूस-रूस रंग देखे ...
हियरा अकुलाये शरमाये....
कजरारे नैना राह तके ..
हियरा अकुलाये शरमाये....
कजरारे नैना राह तके ..
घूँघट में मुखड़ा छिपाए ....
मंद-मंद डोले मुस्काए ...
हर आहट पर धड़के जियरा ..
हरी दरस को तरसे जियरा ...
प्रेम पिआरी प्रिय दुलारी ...
सजन सों नेहा लगाए ..
धन घड़ी आई ...
बजे शहनाई ....
सखी ..थर-थर काँपे है जियरा ...
छूटा बाबुल का अंगना ..
क्यूँ बाजे है कंगना ..
सखी ..थर-थर काँपे है जियरा ...
छूटा बाबुल का अंगना ..
क्यूँ बाजे है कंगना ..
चलो रे ...डोली उठाओ कहार ..
पिया मिलन की ऋतू आई ....!!!!!
अहा, शब्द बह रहे थे, प्रेम प्रवाह में...
ReplyDeleteसशक्त अभिव्यक्ति..
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति । मेरे पोस्ट पर आकर मुझे प्रोत्साहित करें । धन्यवाद ।
ReplyDeleteये उम्दा पोस्ट पढ़कर बहुत सुखद लगा!
ReplyDeleteप्रेम दिवस की बधाई हो!
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteपिया तो रीझ ही जायेंगे इस श्रृंगार पर..
सस्नेह.
बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteप्रेम दिवस की हार्दिक बधाई।
सार
बहुत बढ़िया !
ReplyDeleteलाजबाब प्रस्तुति !
ReplyDeleteबहुत अच्च्छा लगा !
आभार!
मिलन की इस रुत में प्रेम ने ली ऐसी अंगराई..बेहद मनभावन..शुभकामनाये..
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteकल 15/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है !
क्या वह प्रेम नहीं था ?
धन्यवाद!
बहुत सुन्दर रचना... वाह!!
ReplyDeleteसादर.
वाह वाह बहुत ही सुन्दर लगा ये गीत |
ReplyDeleteदुलहन के मनोभावों से सजी खूबसूरत अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसुन्दर एहसासों से सजी हुई रचना ...
ReplyDeleteकई बार शब्द कम पड़ते है कुछ कहने के लिए. संगीतात्मकता हर वाक्य से टपक रही है . मन करें मै डूबूँ.
ReplyDeleteप्यार की खुबसूरत अभिवयक्ति.......
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना,सुंदर सुखद प्रस्तुति
ReplyDeleteMY NEW POST ...कामयाबी...
बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
बहुत ही शानदार गीत... प्रेम को व्यक्त करता हुआ..
ReplyDeleteप्रभावित करती गहरी प्रेमपगी अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteसुन्दर प्रेममय गीत !
ReplyDeletepiya milan ki ritu...:))
ReplyDeletewah re.. vasant ritu:))
मनभावन प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत गहरी प्रभावित करती अभिव्यक्ति..सुन्दर..बधाई अनुपमाजी..
ReplyDeleteहर आहट पर धड़के जियरा ..
ReplyDeleteहरी दरस को तरसे जियरा ...
Anupamji bahut hi sundar rachana ....aur grameen shabd ( maheen maheen )ka jikr kya kahane rachana me poorvanchal ki gandh ko sametati hui adbud lagati hai ...sadar badhai.
बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रवाहमयी रचना...
ReplyDeleteBahut hi sundar geet.. bahut hi pyaara pravaah..
ReplyDeletegaate gaate padhne mein badaa hi mazaa aaya :)
palchhin-aditya.blogspot.in
क्या सुन्दर प्रेममयी गीत..वाह ..
ReplyDeleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति।
सुन्दर मनमोहक ,लजीली पोस्ट है आपकी आभार |
ReplyDeletebahut hi sunder rachna..
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति.
ReplyDeleteप्रेम रस से सरोबर ...
ReplyDeleteबेहतरीन प्रेमरस में डूबी सुंदर रचना, बहुत अच्छी प्रस्तुति,.....
ReplyDeleteMY NEW POST ...कामयाबी...
bahut pyara geet, badhai.
ReplyDeleteमेहंदी नहीं वो सपने होते हैं जो सजते हैं दो हाथों में ...
ReplyDeleteप्रेम की सादगी भरी अभिव्यक्ति ...
एक तरफ तेज धड़कन , एक तरफ अंसुअन की धार , ... दुल्हन बनी गोरी की यही स्थिति होती है ...
ReplyDeleteमिलन का आवेग हर शब्द में है
पिया को एक टक देख ही लूं .....इतने जतन से होती है तैयारी ...जब पिया मिलन की ऋतू आई ....बाबुल का अंगना छोड़ना पड़ा ...
ReplyDeleteआभार आप सभी का इस रचना पर अपने भाव दिए ...!!