जीवन यात्रा चल रही है ...
मोम लम्हों सी पिघल रही है ...
ले आई है आज मुझे ..
समुंदर के किनारे ... ...
देख रही हूँ ...
अपना अपना चुनाव लिए ..
कैसे बनता है ...बिगड़ता है ...
कैसे खिलता है जीवन यहाँ ....
शांत ...किन्तु फिर भी ...कुछ आवाजें आती तो हैं ....
अपने आप को खोजता हुआ मन .....
उठती लहरें ....
लहरों की किनारों से टकराती आवाजें ....
बेख़ौफ़ ...अपनी ही धुन में ...
अपनी ही मस्ती में जीवन ...
अपनी अपनी बस्ती से दूर .....
कुछ की अपनी बस्ती...अपनी हस्ती ...
अभी भी साथ चल रही है ...!!
लहराते ऊँचे-ऊँचे नारियल के पेड़ यहाँ ...
ले रहें हैं जीवन का अद्भुत आनंद ...!!
कुछ फिरंगी शराब में डूबे ...
कुछ युगल वासना में डूबे ...
कुछ परिवार सुख संतोष में डूबे ..
जीवन यात्रा चल रही है ...
मोम लम्हों सी पिघल रही है ...
देखती हूँ ...
सस्ती है जीवन की मस्ती यहाँ ...
महँगी है मन की हस्ती यहाँ ...
जीवन का क्या मोल है ...?
या ..........
जीवन अनमोल है ...!!
मोम लम्हों सी पिघल रही है ...
ले आई है आज मुझे ..
समुंदर के किनारे ... ...
देख रही हूँ ...
अपना अपना चुनाव लिए ..
कैसे बनता है ...बिगड़ता है ...
कैसे खिलता है जीवन यहाँ ....
शांत ...किन्तु फिर भी ...कुछ आवाजें आती तो हैं ....
अपने आप को खोजता हुआ मन .....
उठती लहरें ....
लहरों की किनारों से टकराती आवाजें ....
बेख़ौफ़ ...अपनी ही धुन में ...
अपनी ही मस्ती में जीवन ...
अपनी अपनी बस्ती से दूर .....
कुछ की अपनी बस्ती...अपनी हस्ती ...
अभी भी साथ चल रही है ...!!
लहराते ऊँचे-ऊँचे नारियल के पेड़ यहाँ ...
ले रहें हैं जीवन का अद्भुत आनंद ...!!
कुछ फिरंगी शराब में डूबे ...
कुछ युगल वासना में डूबे ...
कुछ परिवार सुख संतोष में डूबे ..
जीवन यात्रा चल रही है ...
मोम लम्हों सी पिघल रही है ...
देखती हूँ ...
सस्ती है जीवन की मस्ती यहाँ ...
महँगी है मन की हस्ती यहाँ ...
जीवन का क्या मोल है ...?
या ..........
जीवन अनमोल है ...!!
लम्हों में ही जी जाती है... अनमोल है यह..., विवेक जाग जाए फिर सार्थक भी हो जाती है!
ReplyDeleteजीवन भरपूर जिया ..तो अनमोल..
ReplyDeleteवरना क्या मोल!!!
सार्थक कविता..
बहुत बढ़िया,बेहतरीन अनुपम अच्छी प्रस्तुति,.....
ReplyDeleteअनुपमा जी,अपने तो मेरे पोस्ट में आना ही बंद कर दिया,...ऐसी भी क्या नारजगी,...
MY NEW POST...काव्यान्जलि...आज के नेता...
सस्ती है जीवन की मस्ती यहाँ ...
ReplyDeleteमहँगी है मन की हस्ती यहाँ ...
जीवन का क्या मोल है ...?
या ..........
जीवन अनमोल है ...!!bahut badiyaa.jeevan ke saar ko byakt kiya hai aapne apni rachana main bahut badhaai aapko.
सुन्दर भाव!!
ReplyDeleteप्रकृति के इस सुन्दर स्वरूप में सब अपने मन के भाव खोज लेते हैं।
ReplyDeleteमहँगी है मन की हस्ती यहाँ ...
ReplyDeleteहमेशा एक जीवन दर्शन और विचार मन में छोड़ जाती है आपकी रचना.... हमेशा की तरह , अति सुंदर
गहरे भाव लिए सुंदर रचना।
ReplyDeleteसस्ती है जीवन की मस्ती यहाँ ...
ReplyDeleteमहँगी है मन की हस्ती यहाँ ...
जीवन का क्या मोल है ...?
या ..........
जीवन अनमोल है ...!!
कितना कुछ कह दिया है आपने .....
बहुत ही प्रभावशाली, सुन्दर रचना...
सस्ती है जीवन की मस्ती यहाँ,
ReplyDeleteमहँगी है मन की हस्ती यहाँ!
सुन्दर रचना!
सादर
वाह! बहुत सुन्दर लगी आपकी यह रचना.
ReplyDeleteजीवन वास्तव में अनमोल है.
आभार.
waah bahut hi sundar.....
ReplyDeleteसस्ती है जीवन की मस्ती यहाँ ...
ReplyDeleteमहँगी है मन की हस्ती यहाँ ...
जीवन का क्या मोल है ...?
या ..........
जीवन अनमोल है ...!!
naa ho chain agar jeevan mein ?
to hai sab bhram yahaan
jeevan anmol hai
rachna me prakarti ke swaroop ka apne bhaavon ke madhyam se bahut sundar chitran kiya hai.
ReplyDeleteजीवन सचमुच अनमोल है, पर ऐसे जीवन को जो नशे में गंवा रहे हैं...उन्हें यह नजर नहीं आता...जो वास्तव में जी रहे हैं उनके लिये ही है जीवन, बाकी तो मरने का उपाय खोज रहे हैं...
ReplyDeleteजो ढूंढता है खुद को , वहां जीवन बाकि है, ... जो अपनी धुन अपने स्वार्थ में है - वहां खोज , न कुछ शेष
ReplyDeleteबेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
अनुपम भाव संयोजन लिए ... उत्कृष्ट रचना ।
ReplyDeleteजीवन का मोल है तभी तो अनमोल है।
ReplyDeleteबढ़िया,बेहतरीन भाव लिए अच्छी प्रस्तुति !
ReplyDeleteक्या अनुपमा जी ..... आप गोवा हो कर आई हैं क्या ? :):)
ReplyDeleteसार्थक चिंतन करती खूबसूरत रचना
सही पहचाना संगीता जी ....
Deleteअपना जीवन अपने हाथ में ही है न ...!सब तरह के लोग दिख रहे थे वहां .....जीवन क्या है ...जीवन का असली रूप क्या है ...हम क्यों जीते हैं ...किसके लिए जीते हैं ...बहुत सारी परतें खुल जाती हैं ...
गोवा भ्रमण का ही नतीजा है यह कविता ....
जिन्दगी के यथार्थ को बताती सार्थक अभिवयक्ति....
ReplyDeleteनजरिया है अपना अपना........कहीं अनमोल है कहीं बेमोल है ।
ReplyDeleteसस्ती है जीवन की मस्ती यहाँ,
ReplyDeleteमहँगी है मन की हस्ती यहाँ!
बहुत ही ऊँचे भाव है
इन पंक्तियों में ,,,
बहुत ही सुन्दर रचना है...:-)
prakriti ke saath jivan ko saakshi bhaave dekhna kabhi kabhi sukhad bhi lagta hai. sundar rachna, badhai.
ReplyDeletebahut hi sundar rachna ----------aapke blog par pahli baar pahunchi hu.
ReplyDeleteसार्थक चिंतन करती खूबसूरत रचना| धन्यवाद।
ReplyDeleteसमुन्दर के किनारे भी आपके मन ने जीवन के भावों को पकड़ा ..सुन्दर रचना
ReplyDeleteक्या बात है,
ReplyDeleteबहुत सुंदर
सस्ती है जीवन की मस्ती यहाँ ...
ReplyDeleteमहँगी है मन की हस्ती यहाँ ...
जीवन का क्या मोल है ...?
या ..........
जीवन अनमोल है ...!!
...
जिसका जो चुनाव हो उस हिसाब से ...महंगे के साथ जाना है तो मोल तो लगेगा ही .... अलबत्ता अनमोल होना है तो मस्ती को ही चुनना होगा !