आया बसंत मोरी बगिया ... |
फूल ही फूल-
खुशबू ही खुशबू-
बहार ही बहार है--
तन मन प्राण एक हुए-
बूटा बूटा खिल उठा-
मन खिला खिला बौराया...!!
आया बसंत आया-
अमुआ पर बसंत .... |
अमुआ की बौराई..
डार -डार...
कोयल की बौराई-
कुहू कुहू ..
सुरभित समीर के
आलिंगन से ..
भंवरे की गुंजन से ..
.गुंजित हुआ मन ..
खिला खिला बौराया ..
आया बसंत आया !!!!!
chhot sa likha hua par
ReplyDeleteachchha likha hua
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
बहुत उम्दा!
ReplyDeleteबेहतर...
ReplyDeletewaah bahut khoob...
ReplyDeleteअति सुंदर !!!
ReplyDeleteइसको पढ़कर याद आया ....
ऐसो बसंत नहीं बार बार , फागुन के दिन चार रे
आपकी आवाज़ में फिर से गूँज उठी...