जाग गया था मन ...
सुन रही थी ..
ढेरों वृहगों का कलरव ....!!
उड़ते हुए नीलगगन में ....
निश्चिन्त निर्द्वंद्व ...
सम्मिश्रित थे ढेरों नाद ....!!
पर पाखी थे समन्वित ..!!
क्रियाशील ....!!
अपने कर्त्तव्य पर क्रियान्वित ..! कहीं ये ही तो नहीं
हमारे पूर्वज ...!
हमारे पूर्वज ...!
दे रहे हैं आशीर्वाद ..
अद्भुत नाद ...
कैसे धीरे धीरे
हर ले रही थी ....
कैसे धीरे धीरे
हर ले रही थी ....
मन की पीड़ा ..
हृद के अवसाद ....!!
और नयन पट को .......
देती थी एक मरीचि ...
जागे सुरुचि..
मिले शुभ ऊर्जा ..
हाँ है ..जीवन में ..
कर्म ही तो पूजा ..!!
अब विचार
आये ना कोई दूजा ..
आये ना कोई दूजा ..
जमुना से जल भर लायें .....
सुरा गऊअन के गुबर सों
अंगनवा लीप ...
गज-मुतियन चौक पुरायें ...!!
सुरा गऊअन के गुबर सों
अंगनवा लीप ...
गज-मुतियन चौक पुरायें ...!!
चलो सखी..
अपनी ही धरा को स्वर्ग बनाएं ...
धरा को स्वर्ग बनाएं ......!!!!!
Dreams know no territories and thoughts know no boundaries.My dream soars high like a skylark ....and I want to see my world .....the place around me as heaven ....!Mere thinking is not enough .Rooted back to my culture ,my home I see that the first step starts from my house .For a lady her ''HOME SWEET HOME ''........where ever she lives ...with all her circumstances ....without comparing it with others ......My best wishes to all women ......!!!!!!!!
Dreams know no territories and thoughts know no boundaries.My dream soars high like a skylark ....and I want to see my world .....the place around me as heaven ....!Mere thinking is not enough .Rooted back to my culture ,my home I see that the first step starts from my house .For a lady her ''HOME SWEET HOME ''........where ever she lives ...with all her circumstances ....without comparing it with others ......My best wishes to all women ......!!!!!!!!
आपको पढ़ना संगीत सुनने के बराबर है अनु दी..खनखनाते हैं कानों में शब्द..! बहुत प्यारी अभिव्यक्ति है .
ReplyDeleteसबका सम्मिलित प्रयास और धरा स्वर्ग हो जायेगी।
ReplyDeleteबहुत ही खुबसुरत और एहसासों से भरी रचना।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ....प्रयास सार्थक होना चाहिए
ReplyDeleteखूब सुरत अहसास आखिर दिल के किसी कोने से निकल ही जाते है--पहली बार आने का मोका मिला है --लगता है सार्थक जाएगा ;;
ReplyDeleteDreams know no territories and thoughts know no boundaries ....my dream soars high like a skylark ...and I want to see my world ...the place around as heaven ....!!Mere thinking is not enough .Rooted back to my culture ,my home ,I see that the first step starts from my house .....!!A lady's HOME SWEET HOME ....where ever she lives ...with all her circumstances ....without comparing it with others .....!!!!!!!MY BEST WISHES TO ALL WOMEN ....!!
ReplyDeleteचलो सखी ..
ReplyDeleteजमुना से जल भर लायें .....
bachpan me kuch isi tarah gaate the n hum ... aapne yaad dila diya aur main taiyaar hun chalne ko
बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण नयी सुबह की जैसी है तुम्हारी अद्भुत कविता, भोर की वेला मैं पक्षिओं के कलरव मैं एक नयी सुबह का स्वागत अगर हम सभी इसी आशा के साथ करे तो जीवन मैं कोई गिला-शिकवा न रहे और सचमुच प्रथ्वी स्वर्ग बन जाए!!!! अति सुंदर रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई!!!!
ReplyDeleteबहुत मनमोहक शब्दचित्र प्रस्तुत किया है आपने.बाबूषा जी ने बिलकुल सही कहा है.
ReplyDeleteसादर
कविता जो संगीत की तरह खनकती है कानों में | जिसका स्वर प्रकृति से बंधा है | सुबह की तरह ताजगी लिए हुए |
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रासंगिक सन्देश ......सुंदर आव्हान
ReplyDelete@संगीता जी- आपके शुभ वचनों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |आपके सुझाव पढ़कर मैंने पुनः कुछ शब्द जोड़े हैं अपनी कविता में |ab mujhe apni kavita behtar lag rahi hai .
ReplyDeleteआगे भी मार्गदर्शन देते रहिएगा |
आपकी कविता नाद है अनुपमा जी..अनहद नाद ....जैसे जैसे भावों के अन्दर प्रवेश करो ...संगीत और गहरा होता जाता है....
ReplyDeleteभाग्यशाली हूँ कि आपको पढ़ पाता हूँ ....सुन पाता हूँ !
खूबसूरत शब्द खूबसूरत चित्र और खूबसूरत भाव...तीनो प्रचुर मात्रा में हैं आपकी इस रचना में...
ReplyDeleteनीरज
बहुत सुन्दर रचना!
ReplyDelete--
आज के चर्चा मंच पर आपकी चर्चा विशेषरूप से लगाई गई है!
कल्पना और भावों का सुंदर संयोजन |इस सुंदर कविता के लिए बधाई और सुभकामनाएँ |
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (5-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
bahut hi pyari rachna me to apki is subhe ki bela me kho si gayi aur bahut aanand aaya.
ReplyDeletegaj mutiyan chauk puraayen ....
ReplyDeletepravaah hi pravaah hai ......
veerubhai .
उड़ते हुए नीलगगन में ....निश्चिन्त निर्द्वंद्व ...[Image]करते हुए आपस में संवाद ....!!सम्मिश्रित थे ढेरों नाद ....!!पर पाखी थे समन्वित ..!!क्रियाशील ....!!अपने कर्त्तव्य पर क्रियान्वित ..! कहीं ये ही तो नहीं
ReplyDeleteहमारे पूर्वज ...!दे रहे हैं आशीर्वाद ..[Image]प्रभु पाद ...!
अद्भुत नाद ..आपकी कल्पनाएँ अनंत हैं.आपके शब्दों का चयन का मैं क्या कहूँ /आपकी रचनाये बे मिसाल हैं /बधाई आपको /चर्चा मंच मैं शामिल होने के लिए भी बधाई /.
सुबह सुबह सकारात्मक सोच से रची सजी इतनी सुन्दर रचना पढ़ कर मन मुदित हो गया ! आपको बहुत बहुत बधाई ! अति सुन्दर !
ReplyDeletesakaratmak soch ka nihitarth ,prashansaniy prayas.
ReplyDeleteजागे सुरुचि..
मिले शुभ ऊर्जा ..
हाँ है ..जीवन में ..
कर्म ही तो पूजा ..!!
अब विचार
आये ना कोई दूजा ..
man ko chhu gaye ji .
shukriya ji .
JAGE SURUCHI, MELE SHUBH URJHA, HA HAIN JEEVEN ME, KARM HE TO PUJA, AB VICHAR AYA NA KYOE DUJA ... BRILLIANT THOUGHT BRILLIANT EXPRESSION.
ReplyDeleteVERY GOOD THOUGHTS IN YOUR COMMENTS ALSO..
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
पावन,मधुर,कोमल भावों का अनुपम संयोजन जो आपके ह्रदय की पवित्रता को दर्शाता है.पहली बार आपके ब्लॉग पर आकार नवीन सी चेतना पाकर मन निहाल हों गया.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आईयेगा,आपका हार्दिक स्वागत है.
सुंदर भाव व शब्दों और मन मोहक चित्रों द्वारा एक स्वर्ग तो आपके ब्लॉग पर उतर ही आता है ! बधाई !
ReplyDeleteanupma ji aap ka sundr susjjit v mohk blog dekhne ka saubhagy prapt huaa
ReplyDeleteaap ne meri rchna pdhne ki kripa kee hardik aabhar
bhartiy snskriti grv krne layk hi hai sadhuvad
kripa bnaye rhiye
dr.ved vyathit
dr.vedvyathit@gmail.com
http://sahityasrajakved.blogspot.com
098884288
चलो सखी ..
ReplyDeleteजमुना से जल भर लायें .....
सुरा गऊअन के गुबर सों
अंगनवा लीप ...
गज-मुतियन चौक पुरायें
किसी गाँव की मिटटी की महक है इस कविता में ....
सुंदर भाव ....
मधुर,कोमल भावों का अनुपम संयोजन.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अनुपमा जी
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी उपस्थिति चाहूँगा
:)) योगेश अमाना =
http://yogeshamana.blogspot.com/
bahut achcha likhi hain....
ReplyDeleteचलो सखी ..
ReplyDeleteजमुना से जल भर लायें .....
सुरा गऊअन के गुबर सों
अंगनवा लीप ...
गज-मुतियन चौक पुरायें
बेहद खूबसूरत भावों को समेटा है आपने इस रचना में ...अनुपम ..।
वाह बहुत सुंदर.
ReplyDeleteI am overwhelmed by the comments and response from all of u ...I felt like giving my personal thanks this time...
ReplyDelete@Babusha-thanks a tonn ...!!
@Pravin ji -I hope so ...!!
@Satyam Shivam ji -thanks a lot .
@Sangeeta ji -hriday se abhar ....!!
@Darshan ji -samay samay par batate rahiyega ..sarthak gaya ki nahin ...thanks
@Rashmi ji -bahut hi achchha laga aapki tippani padh kar .bahut bahut dhanyavad
@Suman -जमुना जल से भरी प्रेम की गगरिया देख रही हो न ...!!
ReplyDeleteतुम कल्पना भी नहीं कर सकती हो मुझे तुम्हारी टिपण्णी पढ़ कर कितना हर्ष हुआ ....!!
@yashwant ji -बहुत बहुत धन्यवाद आपका .
@Atul-thank you so much for all the appreciation and encouragement.
@monica ji -बहुत बहुत धन्यवाद आपका .बहुत बहुत धन्यवाद आपका .स्नेह बनाये रखिये .
@anand ji -बहुत बहुत धन्यवाद आपका .
@neeraj ji -बहुत बहुत धन्यवाद आपका .स्नेह बनाये रखिये .
ReplyDelete@shastri ji - बहुत धन्यवाद आपका .स्नेह बनाये रखिये .
@jai krishna ji आपका .बहुत बहुत धन्यवाद आपका .स्नेह बनाये रखिये .
@vandana ji -बहुत बहुत धन्यवाद आपका .स्नेह बनाये रखिये .
@anamika ji -बहुत बहुत धन्यवाद आपका .स्नेह बनाये रखिये .आपका प्यार हमेशा मिलता रहा है ....!!ह्रदय से आभारी हूँ |
@veerubhai -बहुत बहुत धन्यवाद आपका .स्नेह बनाये रखिये .
ReplyDelete@prerna -बहुत बहुत धन्यवाद .स्नेह बनाये रखिये . प्यार हमेशा मिलता रहा है ....!!ह्रदय से आभारी हूँ |
@sadhana ji -बहुत बहुत धन्यवाद आपका .स्नेह बनाये रखिये .आपका प्यार हमेशा मिलता रहा है ....!!ह्रदय से आभारी हूँ |बहुत अच्छा लगता है आकी टिपण्णी पढ़कर ...!!
@uday veer ji -बहुत बहुत धन्यवाद आपका .स्नेह बनाये रखिये .
sukriti ji
ReplyDeletemain babushhha ji ki baat sme sammlit hun.
sach shabd kya jaise sagar se seep sa moti chun kar lai hain aap.addhbhut lekhni .aur abhivykti to kammal ki hai.jaise-- sone pe suhaga---
bahut hi behatreen jajbaat hain aapke andar jise badi hi khoob surati ke saath aapki kalam ne panno par ukera hai .
bahut bahut badhai
poonam
@meena -Its a delight to read ur comment .I always look forward to it .
ReplyDelete@babli ji -thank u so much ..!!
@Rakesh kumar ji -बहुत बहुत धन्यवाद आपका .स्नेह बनाये रखिये.
@Anita ji -बहुत बहुत धन्यवाद आपका .स्नेह बनाये रखिये .आपका प्यार हमेशा मिलता रहा है ....!!ह्रदय से आभारी हूँ |बहुत अच्छा लगता है आकी टिपण्णी पढ़कर ...!!
@Vedvyathit ji thankyou so much .
ReplyDelete@Harkeerat heer ji -theek pahchana apne ...thank u so much .
Kuwar Kusumesh ji -बहुत बहुत धन्यवाद आपका .स्नेह बनाये रखिये .आपका प्यार हमेशा मिलता रहा है ....!!ह्रदय से आभारी हूँ |बहुत अच्छा लगता है आकी टिपण्णी पढ़कर ...!!
@Yogesh ji -thank you so much.
@mridula ji -बहुत बहुत धन्यवाद आपका .स्नेह बनाये रखिये .
@ Sada ji -Thank you so much .
@Kajai kumar ji -Thank you so much.
ReplyDelete@Poonam ji -Thank you very very much.
@Kajai kumar ji -Thank you so much.
ReplyDelete@Poonam ji -Thank you very very much.
bahut pyaree abhivykti .
ReplyDeleteHumare hee hath me hai ise swarg ya nark banana.......
shubhkamnae
हम आपकी कविता के प्रवाह में स्वर लहरियों के नाद के साथ बहे जा रहे है , जरुरी नहीं की हर बार शब्द ही मिल जाए , हम तो मन ही मन गुने जा रहे है
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