आया हूँ मृदु राग लिए मैं -
नव चेतन मन -
अति उन्मादित -
सुमिर करूँ -
प्रभु तेरा निसदिन -
चुन लो गिन- गिन -
खिले गुलाब से -
रहें सदा हम -
जीवन का हर पल संवरे रहें सदा हम -
नमन करूँ बिनती सुन लीजो -
राधा के रसिया सांवरे .......!!
इसी प्रार्थना के साथ आज एक सच्चा उद्धहरण लिखने जा रही हूँ |इश्वर की दिव्य अनुभूति आपके साथ बांटना चाहती हूँ |कुछ समय पहले विदेश में एक संगीत विद्यालय में हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत सिखाने का गौरव मुझे प्राप्त हुआ |मुझसे पूछा गया की क्या मैं एक मानसिक रूप से अविकसित बच्चे की क्लास ले पाऊँगी ?कुछ अच्छा करने का विचार मन में सदा बना रहता है |मैंने तुरंत हामी भर दी |
अगले दिन से शुरू होती है वरुण की कहानी |मेरे क्लास में पहुंचने से पहले ही वो क्लास में पहुच चुका था |कुछ पल मैं विस्मय से उसे निहारती रही |बारह साल का गोराचिट्टा ,साफ़ सुथरा ,सुंदर सा बच्चा ..!देख कर कतई समझ में नहीं आता था कि उसका मस्तिष्क पूरी तरह विकसित नहीं है |जब बात करने लगी तब समझ में आया |कुछ बातें याद रखता कुछ भूल जाता |सरगम याद नहीं रख पाता था पर उसकी धुन हू-ब -हू याद रखता था |गाने के बोल याद नहीं रहते थे पर उसकी धुन में अंश मात्र भी गड़बड़ नहीं होती थी |इतनी तन्मयता से सुनता था और एक बार में ही ऐसी धुन पकड़ लेता था कि घोर आश्चर्य से मेरी आँखें फटी की फटी रह जातीं ...! उसे अपनी कमजोरी का एहसास था इसलिए गाना सीखने से पहले ही उसके बोल लिखवा लेता था |देख कर ही गाता था |रंग याद नहीं रहता -पर तारीख और दिन याद रखता था |मेरे लिए सबसे हर्ष कि बात ये थी कि मेरा नाम कभी नहीं भूलता था |मुझे देखते ही उसका मिस अनुपमा .....!चिल्लाना आज तक मेरे कानो में गूंजता है ...!! पता नहीं किस जनम का रिश्ता था उससे मेरा ....!अदब कायदा इतना जनता था -जैसे पिछले जनम का कोई संत रहा हो ....अच्छा गाने पर तारीफ़ करूँ तो दोनों हाथ जोड़ कर सर झुका कर इस तरह धन्यवाद देता था ...कई बार मेरी आँखें नाम हो जातीं थीं |मेरा वात्सल्य ह्रदय उसे ढेरों ...मनो ...आशीष देता रहता ...!उसका मस्तिष्क बुराई याद ही नहीं रखता था ....!इंसान का बिलकुल पाक ...शुद्धतम रूप क्या हो सकता है ये मैंने देखा ...!!उसके बारे में शायद मैं पूरा ग्रन्थ भी लिख सकती हूँ इतनी स्पष्ट है उसकी छब मेरे मन में |
अब और विस्मयकारी बात पर आती हूँ -वरुण की माँ .!--वरुण की माँ का फ़ोन आया मेरे पास -''मैं आपसे मिलना चाहती हूँ "मैंने तुरंत समय दे दिया |अगले दिन उस महान आत्मा से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ |कामकाजी महिला उच्च पद पर आसीन ...!सुदर ,स्मार्ट और बहुत ही कोमल भाव से सजा मुस्कुराता चेहरा ....!!ज़िन्दगी की परेशानियों की झलक ज़रा सी भी उनके चहरे पर नहीं थी ........!!बल्कि एक अजीब सा उत्साह था .....''मैं वरुण के लिए क्या -क्या कर दूं ''ऐसा ही कुछ कहता हुआ ...!!
वरुण के बारे में हमने बात शुरू की ......उन्होंने मुझे बताया '' एक समय था जब वरुण कुछ भी समझता नहीं था |सिर्फ एक मांस का जीता जागता टुकडा ...!जब डॉक्टर ने बताया की आपका बच्चा मानसिक रूप से पूरा विकसित नहीं है तो हमारे पास उस बात को मानने के अलावा और कोई चारा नहीं था |हमने हार कभी नहीं मानी |कोई रास्ता ज़रूर निकलेगा ऐसी मन में भावना रही |गाने के शौक़ीन हम दोनों पति- पत्नी हैं |पर मैंने ये महसूस किया कि गाना लगाने पर वरुण की हरकत थोड़ी बढ़ जाती थी |धीरे धीरे इस बात पर और विश्वास होता चला गया |फिर क्या था संगीत के सहारे ही उसके मस्तिष्क का धीरे धीरे विकास हुआ |संगीत में उसकी गहन रूचि है |संगीत से जुडी बातें उसे याद रहतीं हैं |मुझे उम्मीद है संगीत के सहारे ही जीवन यापन का कोई न कोई तरीका ज़रूर ढून्ढ लेगा वरुण |पर मुझे गर्व है कि वरुण की मैं माँ हूँ ...!''
वरुण के बारे में हमने बात शुरू की ......उन्होंने मुझे बताया '' एक समय था जब वरुण कुछ भी समझता नहीं था |सिर्फ एक मांस का जीता जागता टुकडा ...!जब डॉक्टर ने बताया की आपका बच्चा मानसिक रूप से पूरा विकसित नहीं है तो हमारे पास उस बात को मानने के अलावा और कोई चारा नहीं था |हमने हार कभी नहीं मानी |कोई रास्ता ज़रूर निकलेगा ऐसी मन में भावना रही |गाने के शौक़ीन हम दोनों पति- पत्नी हैं |पर मैंने ये महसूस किया कि गाना लगाने पर वरुण की हरकत थोड़ी बढ़ जाती थी |धीरे धीरे इस बात पर और विश्वास होता चला गया |फिर क्या था संगीत के सहारे ही उसके मस्तिष्क का धीरे धीरे विकास हुआ |संगीत में उसकी गहन रूचि है |संगीत से जुडी बातें उसे याद रहतीं हैं |मुझे उम्मीद है संगीत के सहारे ही जीवन यापन का कोई न कोई तरीका ज़रूर ढून्ढ लेगा वरुण |पर मुझे गर्व है कि वरुण की मैं माँ हूँ ...!''
ऐसा कहते हुए उनका चेहरा गर्व और आत्मविश्वास से दमक रहा था |मैं स्तब्ध थी ....कैसे नमन करूँ उस माँ को समझ नहीं पा रही थी |कितनी मेहनत उन्होंने अपने बच्चे पर की थी ,उनकी कर्तव्यनिष्ठता उनके चेहरे पर झलक रही थी .मैंने तो चंद शब्दों में ही उनके सालों की मेहनत लिखी है !|मेरा सर श्रद्धा से झुका रहा ......!मैं शायद अपने भाव नहीं लिख सकती इस वक़्त .......
मैंने अनुभव किया - ज्ञान क्या है ...!!ज्ञान का प्रकाश क्या है ...!ज्ञान हर असंभव बदल सकता है ...!!जैसे म्यूजिक थेरापी का प्रयोग कर के वरुण का जीवन बदल गया और बदलता ही जा रहा है ......!!
मैं इश्वर को धन्यवाद देती हूँ की कुछ पल के लिए ही सही .....एक नेक कार्य का मैं हिस्सा तो बनी....!!जीवन की गति मुझे वरुण से दूर ले आई है ....पर उसकी छब आखों से कभी जाती नहीं ....उसकी आवाज़ कानो में गूंजती है ...अगर मेरा ये अनुभव किसी और के काम आ सके तो मैं मान लूंगी किसी न किसी रूप में इश्वर हमारे साथ हैं .....!!!!!
मैं इश्वर को धन्यवाद देती हूँ की कुछ पल के लिए ही सही .....एक नेक कार्य का मैं हिस्सा तो बनी....!!जीवन की गति मुझे वरुण से दूर ले आई है ....पर उसकी छब आखों से कभी जाती नहीं ....उसकी आवाज़ कानो में गूंजती है ...अगर मेरा ये अनुभव किसी और के काम आ सके तो मैं मान लूंगी किसी न किसी रूप में इश्वर हमारे साथ हैं .....!!!!!
मैंने अनुभव किया - ज्ञान क्या है ...!!ज्ञान का प्रकाश क्या है ...!ज्ञान हर असंभव बदल सकता है ...!!जैसे म्यूजिक थेरापी का प्रयोग कर के वरुण का जीवन बदल गया और बदलता ही जा रहा है ......!!
ReplyDeleteअनुपमा जी अति अनुपम है आपका अनुभव.
आपके प्रभु प्रेम और संगीत के प्रेम से ऐसा कोमल हृदय आपको मिला है,जिससे निष्कपट संत बाल हृदय से आपका मिलन व सम्बन्ध हुआ.वरुण की माता भी वन्दनीय हैं जिन्हें वरुण जैसे निष्कपट फूल को सजाने सवारने का मौका भगवान ने दिया.आपका संस्मरण बहुत कुछ सिखाता है.
बहुत बहुत आभार सुन्दर प्रस्तुति के लिए.
मेरे ब्लॉग पर मेरी नई पोस्ट आपका इंतजार कर रही है.
bahut hi achchi rachanaa.varun ke baare main padhker bahut achcha lagaa.bhagwaan usko sangeet ke maadhyam se hi sahi jeevan jeene ki disha de yahi kamanaa hai.uski maa ke viswaas ko bal pradaan kare us maa ko hum bhi naman karaten hain.thanks bhabhiji itani achchi baaten lekh ke dwaraa bataane ke liye.aapka sangeet gyaan aapko aur achche ache karya karane ko prerit kare yahi kamanaa hai.
ReplyDeletezarur... aapki khwahish poori hogi
ReplyDeletevarun se ho sakta hai aapka koi poorv janam ka rista raha ho
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा यह संस्मरण पढ़कर। एक अलग अनुभूति।
ReplyDeleteआशाएं जीवन को दिशा देती हैं..... आँखें नम हो गयी आपका यह अनुभव जानकर ....
ReplyDeleteवाकई संगीत में बहुत ताकत होती है!
ReplyDeleteसंगीत सबका जीवन मधुर करेगा, यह पूर्ण विश्वाल है हमें।
ReplyDeleteइस नेक और मानवीय कार्य के लिए आपको नमन . ..अनुपमा जी ...आशा है आप इसी तरह से व्यक्तियों के जीवन में प्रकाश फैलाते रहेंगे ...आपका आभार
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeletesangeet se aur satsangati se jeevan sanwar sakta hai...
बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteवरुण के लिए शुभकामनायें ... आपकी भावनाओं को नमन ... सुन्दर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।
ReplyDeleteसंगीत से मानसिक रोगियों का इलाज भी हो सकता है यह जानकारी बहुत उपयोगी है, आपका हृदयस्पर्शी संस्मरण भी बहुत अच्छा लगा, आभार !
ReplyDeleteभावमयी प्रस्तुति
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आपका संस्मरण बहुत कुछ सिखाता है.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सुन्दर प्रस्तुति के लिए.
संस्मरण बेहद रोचक है....
ReplyDeleteआभार.
संस्मरण पसंद करने के लिए आपका आभार ...!!
ReplyDeleteSuman Rana says : बहुत ही मार्मिक और सच्चाई से परिपूर्ण है आपका अनुभव अनुपमा !! जिनके हृदय मैं इतना निश्चल प्रेम और वात्सल्य होता है उन्ही को भगवन ऐसे अवसर प्रदान करते हैं , जीवन की राह मैं वरुण के साथ हुआ आपका यह अनुभव हमेशा आपको उसकी याद दिलाएगा , मेरा भी यही विश्वास है कि हम इस जीवन मैं जितने भी लोगो से मिलते हैं उनसे हमारा कुछ-न-कुछ रिश्ता अवश्य होता हैं और ईश्वर हमें उनसे कब और कैसे मिलवा देता हैं ये उसकी इछा पर ही निर्भर है. आप अपने संगीत के माध्यम से कितने लोगो से जुड़ गयी है यह भी उसकी ही कृपा हैं. ईश्वर से यही दुआ है कि आपको नित नए अनुभव होते रहे और नयी प्रेरणा मिलती रहे !!!!!!!!
ReplyDeleteमन भर आया !
ReplyDeleteपता नहीं मुझे कब सिखाओगी ? पता नहीं इस अविकसित बच्चे की सुध कब आएगी ?
मन भर आया !
ReplyDeleteपता नहीं मुझे कब सिखाओगी ? पता नहीं इस अविकसित बच्चे की सुध कब आएगी ?
"मैं इश्वर को धन्यवाद देती हूँ की कुछ पल के लिए ही सही .....एक नेक कार्य का मैं हिस्सा तो बनी....!!"
ReplyDeleteआप संवेदनशील हैं, शुभकामनायें स्वीकार करें !
आखिरी दिन से पहले अगर हम किसी जरूरत मंद के काम आ सकें तो जीना सफल लगता है अन्यथा विश्व में और जीव भी रहते हैं !
मरने की खबर सुनकर अगर कुछ लोग रो पड़ें तो जीवन सार्थक होगया, समझें !
हमारा नाम वे याद रखेंगे !
इस अच्छे संस्मरण हेतु आपको साधुवाद.
ReplyDeleteअनुपमा बहुत ही सुन्दर रचना हैं.संगीत और लेखनी में तुम्हारीं तन्मयता और वरुण के लिये निश्छल स्नेह इसमें दिखाई देता हैं. मेरी शुभकामनाये के वरुण को जीवन में बहुत सारी खुशिया और प्यार मिले.
ReplyDeleteभावपूर्ण संस्मरण...वरुण के लिए शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteअनुपमा जी ! आज कई दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आने का सुअवसर मिला और आपका यह अद्भुत अनन्य संस्मरण पढ़ने का सौभाग्य मिला ! आपका मन कितना कोमल और निश्छल है इसकी झलक भी मिली ! वरुण के लिये ढेर सारी शुभकामनायें हैं ! मुझे पूरा विश्वास है यदि उसे आपका साथ कुछ और मिल जाता तो उसके और जल्दी नॉर्मल होने की संभावनाएं बढ़ जाती !
ReplyDeletebahut abhar Shastri ji ...!
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