मैं सरोज तुम ताल हो मेरे ...
सरू से दूर कमल मुरझाये ...
ईमन यमन राग बिसराए ..
यमन राग मेरी तुमसे है ........
निश्चय ही ........!!!!
मध्यम तीवर सुर लगाऊँ .........
जब लीन मगन मन सुर साधूँ ....
तुममे खो जाऊं ...आरोहन -अवरोहन सम्पूरण ......!!
अब रात्री का प्रथम प्रहर..
हरी भजन में ध्यान लगाऊँ .....!!
सब से पहले श्री मनोज जी का हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहती हूँ जिन्होंने मुझे प्रेरित किया इस श्रंखला को प्रारंभ करने के लिए |
अब मेरी माँ, जिनका नाम श्रीमती सरोज अवस्थी था ,उनके नाम''सरोज '' में, अपने स्वरों को जोड़ कर ,मैंने अपने इस सुर मंदिर का नाम ''स्वरोज सुर मंदिर ''रखा है |माँ तो अब इस दुनियां में नहीं हैं |विदुषी थीं ...संस्कृत की ज्ञाता थीं |हम लोगों से घिरी रहकर ही वो खिली खिली रहती थीं ...!!बिलकुल इसी श्वेत ,स्निग्ध कमल की तरह ....!!-देखिये न ..उसकी परछाईं भी पानी में कितनी साफ़ दिख रही है ...!!ऐसी ही निश्छल -उज्जवल थीं वो ...!!जो उनसे एक बार भी मिला ...कभी नहीं भूला उन्हें...!!मेरी तो माँ ही थीं ....मैन तो एक पल को भी नहीं भूल पाती उन्हें ...!!
जो कविता मैंने उनपर लिखी है वो उनके पूरे जीवन का निचोड़ ही कहती है ....!!माँ को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ,उन्हें नमन करते हुए मैं इस श्रंखला को प्रारंभ कर रही हूँ |इस श्रंखला में समय समय पर आपको स्वरों से सम्बंधित जानकारी देती रहूंगी |मेरी कोयल को भी धन्यवाद -उससे ऐसा नाता जुड़ा है मेरा .... मैं जहाँ भी जाती हूँ मेरा स्वरोज सुर मंदिर मेरे साथ साथ रहता है हमेशा........! प्रभु की असीम कृपा है |
जो कविता मैंने उनपर लिखी है वो उनके पूरे जीवन का निचोड़ ही कहती है ....!!माँ को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ,उन्हें नमन करते हुए मैं इस श्रंखला को प्रारंभ कर रही हूँ |इस श्रंखला में समय समय पर आपको स्वरों से सम्बंधित जानकारी देती रहूंगी |मेरी कोयल को भी धन्यवाद -उससे ऐसा नाता जुड़ा है मेरा .... मैं जहाँ भी जाती हूँ मेरा स्वरोज सुर मंदिर मेरे साथ साथ रहता है हमेशा........! प्रभु की असीम कृपा है |
संध्या दीपक का समय .....शाम सात बजे ...रात्री का प्रथम प्रहर शुरू होता है ....कानों में मुझे तानपुरे की वो अद्भुत नाद सुनाई देती है ......जो हृदय के तार झंकृत कर देती है और ...सहज ही मन इश्वर से जोड़ देती है |माँ की याद में संध्या दीपक जलाते हुए आज मैं ''राग यमन'' की चर्चा कर रही हूँ |क्योंकि वो इसी समय का राग है |
संगीत की बातें समझाना बहुत सहज नहीं है |ये एक ऐसी विधा है जो जन्म जन्मान्तर तक हमारे पास ही रहती है |और इसको समझाने के लिए भी लम्बा वक्त चाहिए |मैं उम्मीद करती हूँ आप भी इस विधा से धीरे धीरे वाबस्ता हो जायेंगे |प्रथम परिचय के लिए आज इतना ही काफी है |
आपसे विनती है ....कोई भी जानकारी राग यमन पर आप मेरे साथ बाटना चाहें ....स्वागत है |
A TRIBUTE TO MY MOTHER ON ''MOTHERS' DAY ''.
इस शृंखला का शुभारम्भ करने के लिए शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteबहुत अच्छी पेशकश ... यह श्रृंखला पढ़ कर सुरों का थोड़ा ज्ञान शायद हमें भी मिल जाए ...आभार
ReplyDeleteमैं तो स्वयं ही इन रागों का अनुरागी हूँ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी पेशकश......
ReplyDeleteकई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
ReplyDeleteसुन्दर प्रयास..शुभकामनायें!
ReplyDeleteप्रथम तो देवी स्वरूपा माता श्री को शत शत नमन.
ReplyDeleteफिर आपकी सुन्दर कविता को प्रणाम.
'हरी भजन में ध्यान लगाऊं' पढ़ कर मन भक्तिमय हों गया.
संगीत सुनने में बहुत अच्छा लगता है ,परन्तु संगीत का ज्ञान बिलकुल भी नहीं मुझे'
आपने एक अच्छा शुभारम्भ किया है,आप संगीत की ज्ञाता है जानकर बहुत प्रसन्नता मिली.आशा आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.मेरी नई पोस्ट पर आपके सुविचारों की आनंद वृष्टि की अपेक्षा है.
Congrats Anupama for starting this new series. aunty ke chehra me tumari chabi hai.
ReplyDeleteमाँ को नमन !
ReplyDeleteदी , मुझे वहीं से बैठे बैठे थोडा सा सिखा दो न संगीत ! बजता रहता है मेरे सीने में ,पर व्याकरण नहीं आती !
और पहले ही कह चुकी हूँ...आप जो लिखती हो उसमें संगीत सुनायी देता है !
अनुपमा जी, आभार तो मैं प्रकट करना चाहूंगा आपका जो मेरे निवेदन को आपने स्वीकार किया।
ReplyDeleteबचपन से संगीत में रुचि रही पर कभी कुछ सीख नहीं पाया। कोई बताने वाला जो नहीं मिला। पर जब उस पोस्ट में आपने थोड़ी सी चर्चा की थी तो मुझे लगा कि आप से निवेदन कर इसके बारे में जानकारी ली जाए।
कृतार्थ हुआ।
हम लोग जैसे नवसिखुओं के लिए छोटी छोती चीज़ों पर भी प्रकाश डालें। जैसे आरोह क्या है? अवरोह क्या है? स्वर क्या है? आदि आदि।
हमारे लिए तो बस इतना ही हमें मालूम था कि ‘मेरे नैना सावन भादो’ कल्याण थॉट का गीत है बस।
अब थॉट क्या है, और राग क्या है? इनमें अंतर क्या है यह सब ह्में नहीं पता। तो इन विषयों पर भी हमें अवगत कराने की क्रूपा करेंगी।
आपकी माँ के नाम पर स्व-रोज सुर मंदिर श्रंखला शुरू करने के लिए आपको बहुत -बहुत बधाई /आपकी रचना से दो चीजों का सुख मिलता है एक तो अनूठी रचना पढने को मिलती है दूसरा शास्त्रीय संगीत की रागों के बारे मैं पता चलता है/बहुत ही संगीतमय रचना
ReplyDeleteअनुपमा जी, माता जी को नमन और इस पहल में हम आपके साथ हैं ..शुभकामनाएँ
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी पंक्तियाँ हैं.....इस सुंदर श्रंखला को प्रारंभ करने का आभार ...... माँ को नमन
ReplyDeleteइस सुंदर श्रंखला को प्रारंभ करने का आभार| माँ को नमन|
ReplyDeleteहम आपकी कक्षा में पुरे मनोयोग से उपस्थित है . सर्जना से संगीत का सफ़र अद्भुत रहा .
ReplyDeletesundar shuruaat..badhai. kaam ki cheez hai yah.
ReplyDeleteअत्यंत सुन्दर प्रस्तुती! दिल को छू गयी हर एक पंक्तियाँ! माँ को मेरा नमन!
ReplyDeleteसुन्दर! अच्छा लगा जानना, और की प्रतीक्षा रहेगी।
ReplyDeleteराग यमन ... सात शुद्ध स्वरों के राग से शुरुआत .... बहुत लाजवाब ... स्वागत है आपका ...
ReplyDeleteIs shrinkhla ki shuruta ke liye shubhkamna aur Apni Mata ko saccha gift diya aapne aaj ke din...
ReplyDeleteबेहतर हो संगीत के पारिभाषिक शब्दों से भी वाकिफ करवाएं .मसलन ठाट (या थाट)क्या है कोमल ,मध्यम ,तीव्र ,आदि .अथ से शरू करें .आभार .माँ को नमन .'माँ "तो उम्र बहर क्या उसके बाद के हर जन्म का तोहफा होती है ."मदर्स -डे"की मुबारक ऐसे में कहूं भी तो कैसे ?
ReplyDeleteपहली बार इस ब्लाग पर आयी हूँ वो भी इस श्रिंखला के शुभारंभ पर। संगीत मे रुची है लेकिन इतनी जानकारी नही। आपके ब्लाग के माध्यम से आनन्द लेंगे। धन्यवाद।
ReplyDeleteआप सभी की शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ...!!
ReplyDeleteअपना स्नेह एवं आशीवाद बनाये रखियेगा ....!!
माँ की स्मृती में श्रृंखला शुरू करने के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं . इसी बहाने से हम को भी कुछ संगीत की समझ आयेगी . राग से सम्बंधित रचना का लिंक अगर साथ में दें तो यात्रा और रोचक हो शायद .
ReplyDeleteआपकी इस संगीतमय प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई !
ReplyDeleteअनुपमा जी इस श्रंखला को आरम्भ करने के लिये आपको ढेर सारी बधाइयाँ व शुभकामनायें ! संगीत की चर्चा ही मुझे आल्हादित कर जाती है ! स्कूल के दिनों में यह मेरा एक वैकल्पिक विषय था और मन और आत्मा के सबसे करीब आज भी है ! संगीत की हर बात मुझे बहुत अच्छी लगती है ! आपका बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteकल 02/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत आभार यशवंत ....हलचल पर इसे लेने का ...
Deleteहलचल से होती हुई यहाँ पहुंची.....
ReplyDeleteजाने पहले कैसे नहीं पढ़ी आपकी ये पोस्ट......????
बहुत सुन्दर....
आपकी रचना ...आपकी भावनाएं.....
प्यारी माँ की प्यारी बिटिया हो आप...
सस्नेह
अनु