अवगुण त्याग
रे त्याग ...!!
रे त्याग ...!!
अवगुण त्याग
रे त्याग .......!!
गुन गुन..
गुनी संग-संग ...
गुनी संग-संग ...
गुन ले गुन ही -
गुनी-ज्ञानी संग ....
गुनी-ज्ञानी संग ....
भर ले जीवन में ...
अति उमंग ..!!
सुन-सुन..
भोर की बेला सुहानी-
राग तोड़ी
कहे कहानी ..!!
कहे कहानी ..!!
गावत तोड़ी
राग..संग -
सुर तरंग ....
राग..संग -
सुर तरंग ....
मन मृदंग ....!!
रे मन ...
दानी बन ...
प्रेम कर ..
बस प्रेम ही दे ...
मत कृपण बन ...
बस प्रेम ही दे ...
मत कृपण बन ...
उठ जाग समय अब..
महादानी बन ...!!
ज्ञानी बन..
महाज्ञानी बन...!!
महादानी बन ...!!
ज्ञानी बन..
महाज्ञानी बन...!!
बाँट ले रे ज्ञान अपना..
क्षण में बीतेगा ये सपना ..!!
नहीं छीन झपट..
अब मत कपट कर.
छोड़ दे ..अभिमान अपना ....!!
अब मत कपट कर.
छोड़ दे ..अभिमान अपना ....!!
रे मन ..
फैला कर ..
लहराता आँचल ....
मांग ले प्रभु सों..
वो प्रीती ...!!
ओ हठी मन ..
मांग ले प्रभु सों..
वो प्रीती ...!!
ओ हठी मन ..
छांड दे अब ... ..
छांड दे मन ...
द्वेष राग सी..
जो कुरीति .....!!
जो कुरीति .....!!
जब-जब
त्यागे अवगुण ...
नित -नित
गुन ले सतगुन ..
भोगे निर्गुण .....!!
तब तब -
मन पाए
प्रसाद ही प्रसाद ..!!
अद्भुत उन्माद ....!!
उन्मुक्त आल्हाद ...!!
मिल जाये..
जग से -
चिर विराग ......!!
रे मन मोरे ...
अवगुण त्याग रे त्याग ......!!
अवगुण त्याग रे त्याग ..........!!!!!
अवगुण त्याग रे त्याग ..........!!!!!
राग तोड़ी -भोर का ..सुबह के प्रथम प्रहर का...प्रातः चार से सात बजे के बीच गए जाने वाला राग है |
भोगे निर्गुण-यहाँ निर्गुण का अभिप्राय खुदी में ही खुदा ढूँढने से है ...!!
The system of Nirgun Bhakti believes in the worship of an unseen God, who cannot be confined in the realms of a physical form. This form of worship strongly detests the belief that God abides in the heaven above, it rather sees God as an inner guiding force residing inside the body of a devotee. A prominent preacher of Nirgun Bhakti was Saint Kabir, one of the pioneers of the Bhakti movement.
आज स्वतंत्रता दिवस पर-
आप सभी को शुभकामनायें |
सभी बुराइयों से आपका मन
स्वतंत्र हो ऐसी कामना करती हूँ |
स्वतंत्र हो ऐसी कामना करती हूँ |
बहुत सुंदर गीत ....सार्थक विचार लिए आपकी पूर्ण हो यही दुआ है.....हार्दिक शुभकामनायें ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteस्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बहुत सुन्दर रचना , खूबसूरत प्रस्तुति .
ReplyDeleteस्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ
रे मन ...
ReplyDeleteदानी बन ...
प्रेम कर ..
बस प्रेम ही दे ...
मत कृपण बन ...
उठ जाग समय अब..
महादानी बन ...!!
मन को समझना बहुत मुश्किल है ..यह कभी उदार बन जाता है तो कभी अति कृपण बस इसकी अपनी मर्जी है ....इस पर किसी का कोई वश नहीं .....बहुत प्रेरक गीत ....!
मन को छु गया... मन से लिखा सुन्दर गीत....
ReplyDeleteबेहतरीन!
ReplyDeleteस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
HAPPY INDEPENDENCE DAY!
रे मन ...
ReplyDeleteदानी बन ...
प्रेम कर ..
बस प्रेम ही दे ...
मत कृपण बन ...
उठ जाग समय अब..
महादानी बन ...!!
ज्ञानी बन..
महाज्ञानी बन...!!
बाँट ले रे ज्ञान अपना..
क्षण में बीतेगा ये सपना ..!!.. waah
sachchi swatantrata ka raag
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें.
ReplyDeleteसुर तरंग,
ReplyDeleteमन मृदंग।
अहा।
bahut nirmal vicharo se ot-prot. man ko adhyatam ki or le jati sunder prastuti.
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की शुभकानाएं
ReplyDeleteइस अनुपम गीत के लिए बधाई स्वीकारें
नीरज
सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ भावपूर्ण कविता लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
गीत पढ़कर मन हर्षित हुआ . स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें .
ReplyDeleteसुंदर प्रेरक प्रस्तुति. आभार. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
prena deti prstuti....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...स्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteसुन्दर गीत रचा अपने... राग तोडी के सम्बन्ध में बढ़िया जानकारी....
ReplyDeleteराष्ट्र पर्व की सादर बधाईयाँ....
prerak rachna .स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की आपको भी शुभकामनाएँ.....
ReplyDeleteगुन गुन..
गुनी संग-संग ...गुन ले गुन ही -
गुनी-ज्ञानी संग ....
भर ले जीवन में ...अति उमंग ..!!
बहुत ही सुंदर कविता है...इन पंक्तियों को पढ़कर हमको बहुत गर्व महसूस हो रहा है की आप हमारी मित्र हैं .....
खिले कुसुम से
सीख ले रे..
तनिक खिलना ....
बीच काँटों से ..घिरे भी मुस्कुराना... जीवन अनुराग-रंग भरना ...!!
बहुत ही सुंदर चित्रण किया है इस पेंटिंग का आपने ....यही जिंदगी है ....अति सुंदर !!!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeletebahut badiyaa geet yatahra batataa hua saarthak abhibyakti.badhaai aapko.aapko bhi happy independence day.
ReplyDeletemere blog main aajkal aap nahi aa rahi hain .aaiye aur apne comments dijiye.
मन को सार्थक सीख देती सुन्दर रचना ..
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसुन सुन .. भोर कीबेला सुहानी राग तोड़ी
ReplyDeleteकहे कहानी ....गावत तोड़ी
राग संग
सुर्तरंग...मन मृदंग
स्वतंत्रता दिवस पैर एक बहुत सुन्दर ओर सार्थक अभिवक्ती............
बहुत सुन्दर प्रस्तुति! हार्दिक शुभकामनायें ...
ReplyDeleteजब त्यागे अवगुण ...नित -नित गुन ले सतगुन ..भोगे निर्गुण .....!!तब तब -मन पाए प्रसाद ही प्रसाद ..!!अद्भुत उन्माद ....!!उन्मुक्त आल्हाद ...!!मिल जाये..
ReplyDeleteजग से - चिर विराग ......!!
वाह ! सुर और भाव का अनोखा संगम है आपकी इस रचना में... आपको भी बहुत-बहुत बधाई!
बहुत सुंदर गीत ,अच्छा लगा......
ReplyDeleteसत्य, शील, और सदाचार को अपनाने से ही सबका कल्याण होगा.
ReplyDeleteआपको भी स्वतंत्रता दिवस की (विलंबित) शुभकामनाएं.
bahut khubsurat adhyatmik ,spiritual
ReplyDeletejust like meditation...
words therapy
bahut pyara likha hai aapne....
ReplyDeleteरे मन ...आपको पढ़कर आपकी तुलना कबीर- मीरा आदि से किये बगैर नहीं रहती. आज के युग में जो दुर्लभ है.
ReplyDeleteगीत पढ़कर मन हर्षित हुआ..बहुत सुंदर गीत ...
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण रचना |बधाई
ReplyDeleteआशा
मन पाए
ReplyDeleteप्रसाद ही प्रसाद ..!!
अद्भुत उन्माद ....!!
उन्मुक्त आल्हाद ...!!
मिल जाये..
जग से -
चिर विराग ......!!
पा जाये ..
स्वयं से अनुराग ......!!
श्रेष्ठता लिए रचना शीलता को उपकृत करती हुयी ,आपकी अभिव्यक्ति प्रेरणा की वेगमान वायु सद्र्श प्रतीत हो रही है ..... . प्रशंसनीय सृजन , ....शुभ कामनाएं /
बहुत सुन्दर सरल और गहरी समझ देती रचना.
ReplyDeleteसुन्दर गीत .... रॉक तोड़ी का स्पर्श लिए ...
ReplyDeleteअनुपम ... स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं ...
आप के निर्मल निष्कपट भक्तिमय हृदय
ReplyDeleteके उद्गार वैराग्य और भक्ति का अदभुत
संचार कर रहे हैं.मन को शान्ति का अनुपम
अनुभव हो रहा है
.
आपकी मेल का मैं बहुत बहुत
आभारी हूँ,जिसमे दी गई लिंक से मुझे
इस सुन्दर पोस्ट पर आने का
अवसर प्राप्त हुआ.
इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए हृदय से
आभारी हूँ.
भक्ति से ओतप्रोत रचना . देरी हुई पर आपको भी स्वतंत्रता दिवस की बधाई . संगीत और प्रकृति से भरी होती हैं आपकी रचनाएं . जब आयें तरोताजा लगती हैं और मन को स्फूर्त कर देती हैं .
ReplyDeleteprem , daan, aur gyan ka adbhut
ReplyDeletesamanvya......samaj ko disha aur
sandesh deti madhur kavita ke lie
anupamaji bahut2 badhai.
आप सभी का बहुत बहुत आभार ....मेरे भाव समझने के लिए ...!!
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