कंटक जीवन पथ..
लहू-लुहान होते थे पग..
न था कोई भी रथ ..
पग-पग चलते..
बन-बन घूमे ...
जीवन की कठिनाईयों का-
करते आलिंगन ..
और मुझे दो ऐसी शक्ति ..
जीवन की कठिनाईयों का-
करते आलिंगन ..
असुरों का करते संहार..
दीनो का करते उद्धार ..
दे दो सबको ऐसी भक्ति ..और मुझे दो ऐसी शक्ति ..
जब-जब तुम राम बनो...
मैं तुम्हारी सीता बनूँ..
फिर तुम संग समय रथ पर ...
अब देख रही हूँ ह्रदय विदारक शोर....
वो मार-काट स्वजनों की...
वो कर्ण भेदता क्रंदन चहुँ ओर.......
जब अपनी ही नज़रों से
गिरता इंसान....
गिरता इंसान....
तुम कृष्ण बने ....
और करते थे जग का कल्याण ..
युद्ध के रथ पर-
अर्जुन का संबल बने...
अर्जुन का संबल बने...
ज्ञान मार्ग पर -
प्रखर चमकता चक्र दिखे ...देते थे उपदेश जगत उत्थान का ..
रखते जब-जब ध्यान जीवन-मान का...
रखते जब-जब ध्यान जीवन-मान का...
प्रभु कृपा करो ऐसी ..
रहे तुम्हारा वृहद् हस्त ...
कृपा तुम्हारी ..
ऐसे समय रहूँ तुम्हारे संग.
मैं तुम्हारी बस एक बूँद गीता बनू....!!!!!!
जन्माष्टमी के पर्व की सभी सुधि पाठकों को हार्दिक शुभकामनायें ...
तुम्हारे अपार ज्ञान रुपी सागर में से..
पोर-पोर ज्ञान में डूबी हुई ....
जन्माष्टमी के पर्व की सभी सुधि पाठकों को हार्दिक शुभकामनायें ...
प्रत्येक मनुष्य में प्रभु का वास है ....श्री राम की भक्ति और श्री कृष्ण का ज्ञान ...इन भावों को अपने ही अन्दर जागृत करने के विचार से इस कविता का सृजन हुआ ......अब रखो लाज गिरधारी ऐसी के हम सब मिल-जुल ...प्रेम बाँटते चलें ...ज्ञान बंटते चलें...!!!!!!!!
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयाँ!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर.... happy janmaastmi...
ReplyDeleteसब कुछ समाहित किये है कृष्ण का चरित्र ....जन्माष्टमी के पावन पर्व की हार्दिक बधाइयाँ....
ReplyDeleteजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteबहुत खूब !!
ReplyDeleteजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं !!
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteयुद्ध के रथ पर-
ReplyDeleteअर्जुन का संबल बने...
ज्ञान मार्ग पर -
प्रखर चमकता चक्र दिखे ...
देते थे उपदेश जगत उत्थान का ..
रखते जब-जब ध्यान जीवन-मान का...
ऐसे समय भी रहूँ तुम्हारे संग.
पोर-पोर ज्ञान में डूबी हुई ....
मैं तुम्हारी गीता बनू..
..
दीदी माखनचोर से कोई भक्ति मांगता है कोई प्रेम कोई ऐश्वर्य ...आपने गीता होने का अद्भभुत वर माँगा है ! माधव आपको प्राप्त हों यही शुभकामना है दीदी...उनके जन्म दिन पर आपको बधाई और प्रणाम.
भगवान् श्री कृष्ण जन्माष्टमी की सादर बधाइयां....
ReplyDeleteपोर-पोर ज्ञान में डूबी हुई ....
ReplyDeleteमैं तुम्हारी गीता बनू....!!!!!!
uske baad shesh kya , atirek kya
बहुत ही अद्भुत रचना अनुपमा जी आपकी ही तरह अनुपम, विलक्षण ! बहुत बहुत अच्छी लगी ! श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर अनेकानेक शुभकामनायें !
ReplyDeleteसुँदर भाव . जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteआपने आध्यात्मिक अभिलाषा बड़े सुन्दर ढंग से प्रस्तुत की है
आपको जन्माष्टमी की ढेर सारी बधाइयाँ... शुभकामनायें
ReplyDeleteआपके पोस्ट पर पहली बार आया हूँ। पोस्ट अच्छा लगा आप भी मेरे पोस्ट पर आते रहिएगा ।
ReplyDeleteधन्यवाद।
no doubt....behtreen
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद अपने विचार देने के लिए....कई बार अपने लिखे हुए पर बहुत यकीन नहीं होता ....जब मन के भाव निकल गए पन्नो में ...थोड़ी उथल पुथल मन में रहती ही है ....पता नहीं जो काव्य बन पड़ा है ...वो मन के भाव स्पष्ट कर पाया है या नहीं ....इसलिए आप सभी की टिप्पणी बहुत मायने रखती है ....!!कृपया कविता पसंद हो या न हो अपने विचार ज़रूर दें ....आलोचना तो नयी राह दिखाती है और बहुत कुछ सिखाती है ...!!
ReplyDeleteसीता और गीता के बीच सिमटी भारत की जीवन शैली।
ReplyDeleteमैं तुम्हारी बस एक बूँद गीता बनू....!!!!!!
ReplyDeletebus ek boond gita.....usi se tr jayungi main.....bahaut badhiya rachna
ऐसे समय रहूँ तुम्हारे संग.
ReplyDeleteतुम्हारे अपार ज्ञान रुपी सागर में से..
पोर-पोर ज्ञान में डूबी हुई ....
मैं तुम्हारी बस एक बूँद गीता बनू....!bahut hi sunder hamesha ki tarah sunder shabdon ka chayan liye hue shhandaar abhi byakti.badhaai aapko.
बहुत ही अद्भुत रचना अनुपमा जी...श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयाँ !
ReplyDeleteशब्दों की खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह! अनुपमा जी जितनी तारीफ़ की जाये कम है। बहुत ही सुन्दर। जय श्री कृष्णा...
ReplyDeleteशक्तिदायक प्रभु से बढ़कर कौन!
ReplyDeleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति!
aapke blog ka phir ek baar avlokan karne par mehsoos kiya ki aapki har rachna bahut kuchh kehne me samarth hai,achchhi abhivaykti se apni aur aakarshit karne men saksham hain,badhai
ReplyDeleteआपकी भाव भक्ति पूर्ण प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार,अनुपमा जी.
ReplyDelete......अब रखो लाज गिरधारी ऐसी के हम सब मिल-जुल ...प्रेम बाँटते चलें ...ज्ञान बांटते चलें...!!!!!!!!
वाह! अति उत्तम भाव.