धन घड़ी आई...पिया के आवन की पतियाँ लायी ....!!
अपनी सभ्यता और संस्कृति से जुड़े ,हम जैसे लोगों के लिए तीज का त्यौहार अपार हर्ष, आनंद ,उत्साह लेकर आता है ...!!शुभ सन्देश..शुभ घड़ी लाता है ...!!
कल २-अगस्त को हरियाली तीज है ... आप सभी को हरियाली -तीज की अनेक अग्रिम .. शुभकामनाएं ..!!सपरिवार सहर्ष हरियाली तीज मनाएं ...घेवर खाएं ..!!
कल २-अगस्त को हरियाली तीज है ... आप सभी को हरियाली -तीज की अनेक अग्रिम .. शुभकामनाएं ..!!सपरिवार सहर्ष हरियाली तीज मनाएं ...घेवर खाएं ..!!
आज फिर एक खुशनुमा रचना है वर्षा पर.......
कड़-कड़ कड़कडाती...
मृदंग सा बजाती....
दूर से आ रही है ..उड़ के आ रही है .. |
दूर से आ रही है ..
उड़ के आ रही है ..
सन न न साँय-साँय डोले ...
मनवा के भेद खोले ..
पवन संग ..
देखो ..देखो ....
झम-झम झमझमाती मतवारी वर्षा....!!
सन न न साँय-साँय डोले ...
मनवा के भेद खोले ..
पवन संग ..
देखो ..देखो ....
झम-झम झमझमाती मतवारी वर्षा....!!
..............!!!
मुझे ..तुम्हें भिगाने ...
नृत्य करने लगा है मन ....
छुपा हुआ बचपन....
छुपा हुआ बचपन....
गोल-गोल घूमता ..
भींजता तन-मन...
...जाने-अनजाने ...!!
झूम कर मल्हार ..लगा है गाने ...!!
घड़-घड़ घड़ घडाते ...
चहुँ दिस छाये ..
कृष्णा से नीले अम्बर से ..
कृष्णा से नीले अम्बर से ..
बरसे ऐसी धार
धरा पर ..
धरा पर ..
Painting by Pragya Singh. |
अधरों पर मुस्कान जगाये ..
रिमझिम पड़ रही प्रेम फुहार ...
सजनवा अमुवा पे झूला दो डार ...
तीज को आयो है त्यौहार...मोरा जिया गया हार .
झूला-झूले ...
सावन के गीत गाये ..
धन्य री मतवारी वर्षा ...
ये कैसा ...अनुराग जगाये ...
चहुँ दिस ..बरस ..बरस ...
सुबह सुबह शब्दों की बरस रही सुरताल का आनन्द उठा रहा हूँ, आभार।
ReplyDeleteअनुपमा जी
ReplyDeleteसुन्दर रचना के लिए आभार सहित , आपको भी हरियाली तीज की शुभकामनाएं
shabdon ki komal barsat ki boondon se man harshit ho gaya.badhai
ReplyDeleteये कैसा ...
ReplyDeleteअनुराग जगाये ...
चहुँ दिस ..बरस ..
रस बरसाए .. ..!!
आपने सच में ही शब्दों का संगीत बजा,भावों की रिमझिम झड़ी लगा दिल को रस से सराबोर कर दिया है अनुपमा जी.
अनुपम अनुराग का उदय कर रही है आपकी शानदार प्रस्तुति.बहुत बहुत आभार.
मन को आनन्दित कर गयी रचना ..... मनमोहक भाव
ReplyDeleteदिल को छूती रचना...
ReplyDeleteहरियाली तीज की आपको भी बहुत बहुत शुभकामनायें /तीज पर लिखी गई सावन की फुआर मैं डूबी बहुत प्यारी रचना /बधाई स्वीकारें /
ReplyDeletewaah......sargam si barsaat , bheeg uthe gaat gaat ang ang , mahka chhum chhanan
ReplyDeleteAnupama jee , bahut achchha likhati hain aap . aanandlok lagta hai.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रणय गीत!
ReplyDeleteआपको भी हरियाली तीज की बहुत बहुत शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteकविता बहुत अच्छी लगी।
सादर
सावन मे मस्त रंग उकेर दिये हैं………बहुत खूब्।
ReplyDeleteसुन्दर रचना ..... आपको भी हरियाली तीज की शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुंदर, क्या कहने
ReplyDeleteहरियाली राधा मन भाये ..
अधरों पर मुस्कान जगाये ..
रिमझिम पड़ रही प्रेम फुहार ...
सजनवा अमुवा पे झूला दो डार ...
तीज को आयो है त्यौहार...
क्या कल हरितालिका तीज है ???
ReplyDeleteजहाँ तक मुझे याद है सावन के बाद कभी माँ ये व्रत करती है..
खैर बहुत सुन्दर लिखा है..:) आपको व्रत की शुभकामनाएं...
नहीं शेखर जी ये हरियाली तीज है |हरतालिका तीज अगले माह आएगी ..गणेश चतुर्थी से पहले वाले दिन ....भादों में ...आपको रचना पसंद आई ..आभार..!!
ReplyDeleteवाह अनुपमा जी,
ReplyDeleteयहाँ आफिस में शीशे से बाहर तेज धूप का नज़ारा है लेकिन आपकी रचना पढ़ते बारिश का अहसास होने लगा... कानो में गरज से सुनाई पड़ने लगे...
सचमुच 'शब्द चित्र' है...
सादर...
काव्य में आपने पूरा वर्षा का चित्र खींच दिया है।
ReplyDeleteहरियाली तीज की आपको भी अनंत शुभकामनाएं।
दिल को छूती रचना...
ReplyDeleteवाह बहुत ही सुन्दर
रचा है आप ने
क्या कहने ||
आपको भी हरियाली - तीज की बधाई . बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteआपको भी हरियाली - तीज की शुभकामना . बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह अनुपमजी, बरसात का आनंद आपकी कविता पढ़कर कई गुना हो गया है... तीज की बधाई!
ReplyDeleteये कैसा
ReplyDeleteअनुराग जगाये
चहुँ दिस ..बरस .
रस बरसाए .. !!
वर्षा ऋतू के अभिनन्दन स्वरुप
कही गयी बहुत ही मन मोहक रचना है
बधाई स्वीकारें .
Anupma ji, aapki nirjhar rachana se lagta hai saavan aaya hai nahi to yhan badariya keval dhokha hi de rahi hai . achchhi lagi .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति ..ध्वन्यात्मक शब्दों का प्रयोग उसकी ध्वनि भी सुना रहा हो जैसे .. सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहद भावमयी और खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार. आपको भी हरियाली तीज की बहुत बहुत शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
sunder rachna...
ReplyDeleteसुन्दर रचना के लिए आभार .
ReplyDeleteदिल को छूती रचना..
ReplyDeleteआपको भी हरियाली तीज की बहुत बहुत शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteदेखो ..देखो मतवारी वर्षा....!!
ReplyDeleteतो वर्षा की शुभकामनाएं स्वीकार कीजिए....
beautiful poem
ReplyDeleteअनुपमा जी
ReplyDeleteसुन्दर रचना के लिए आभार......मनमोहक भाव
शब्दों की बारिश...बहुत मनोहारी!!
ReplyDeletebahut hi sunadar drashya hai man bhi hara bhara ho gaya aapke shabdon ki barsaat se :)
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! आपको हरियाली तीज की बधाइयाँ और शुभकामनायें!
ReplyDeleteहरियाली तीज? पहली बार सुना है...तीज त्यौहार से तो अच्छी तरह परिचित हूँ...मुझे बहुत कारणों से ये त्यौहार पसंद है...पेड़किया और ठेकुआ खाने को मिलता है हमें :)
ReplyDeleteवैसे बारिश की ये कविता भी बहुत पसंद आई..आपने कुछ दिनों पहले एक कविता लिखा था बारिश पे...वो भी पसंद आई...मुझे बारिशों की कविता पसंद आती है..
wah ham bhi jhoom liye aapke is geet ke sath.
ReplyDeletebahut sunder prastuti.
संगीतमयी फुहार के बीच मन भीगा . जिस गीत की आत्मा संगीत हो वो आत्मा संतृप्त करने वाली होती है . ह्रदय हर्षित हुआ.
ReplyDeleteare vah aapne to sunder shavdo kee rimjhim se bhigo hee diya....
ReplyDeleteachhe shabd..achhi prastuti...
ReplyDeletehttp://teri-galatfahmi.blogspot.com/
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता .. बारिश की बून्धो के साथ मन को भिगोता हुआ ..
ReplyDeleteआभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
सुभाग्य मेरा ...आपके अशिर्वचनो की वर्षा हुई ...!!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ...त्रुटी क्षमा करें ...स्नेह बनाये रखें.....!!!!
दिल को छूती सुन्दर-सुन्दर रचना...
ReplyDeletePragya Singh घड़-घड़ घड़ घडाते ...
ReplyDeleteचहुँ दिस छाये ..
कृष्णा से नीले अम्बर से ..
बरसे ऐसी धार
धरा पर ..
हरियाली राधा मन भाये ..
अधरों पर मुस्कान जगाये ..
रिमझिम पड़ रही प्रेम फुहार ...
सजनवा अमुवा पे झूला दो डार ...
तीज को आयो है त्यौहार...
best way to express the feel of my painting......really lovely..now i luv my this work more nd more.....thanx a lot..
Thanks Pragya for the beautiful painting ...It gave me some beautiful feelings to complete my poem.
सरस कविता से मन भीग-सा गया।
ReplyDeleteमोरा मन गया हार .
ReplyDeleteमगन अब ....
झूला-झूले ...
सावन के गीत गाये ..
धन्य री मतवारी वर्षा ...
ये कैसा ...
अनुराग जगाये ...
चहुँ दिस ..बरस ..बरस ...
अमिय रस बरसाए .. ..!!
भावबिभोर कर दिया अनुपमा जी.
हरियाली राधा मन भाये ..
ReplyDeleteअधरों पर मुस्कान जगाये ..
रिमझिम पड़ रही प्रेम फुहार ...
सजनवा अमुवा पे झूला दो डार ...
तीज को आयो है त्यौहार...
tyohaar ki dhoom hai mausam bhi bheega -2 hai ,rachna me mithas hai sundar .