नमष्कार !!आपका स्वागत है ....!!!

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17 February, 2013

ए री ,बसंत आया .....!!!

आभार मीनाक्षी ...
चटकी कलियाँ ......
फूली बेला चमेली ...

बनन में....
बागन में बगरो बसंत ...
बिखरे अनगिन रंग ....
ज्यों रूप अनंग ....

रोम-रोम हर्षाया....
सुभग सलोना सा ...
कैसा बसंत छाया ....
नवल उल्लास अंगना  आया ...


पुष्प गुच्छ लद गए ....
......राग -रंग खिल गए ...
श्वेत 'श्याम- रंग'  नीले नीले ...
बैगनी  गुलाबी .....
'प्रीत-रंग' पीले पीले ....


कुछ टप टप गिरती बूंदों से ....
धरा धुल गई ........खिल गई ...
...साँवली संकुचाई सृष्टि की रंगभरी........
...प्रभामई आभा भई....

सिकुड़े सिमटे शब्दों की ...
प्रेम भरी बाहें फैल गईं ......

असीम अनंत सुख की ....
सुरभि चहुं दिस बिखर गई ...


सजन रूप मन भाया ...
भरमाया .........
ए री  ,बसंत आया .....!!!

45 comments:

  1. बसंत आए या न आए पर आपकी रचना ने बासन्ती कर दिया :)

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  2. बहुत खुबसूरत आपकी पेशगी आपको बशंत ऋतू की हार्दिक बधाई
    मैं आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ आगे निरंतर आता रहूगा
    आप से आशा करता हूँ की आप एक बार मेरे ब्लॉग पर जरुर अपनी हजारी देंगे और
    दिनेश पारीक
    मेरी नई रचना फरियाद
    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ

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  3. सखी वसंत जो आया , मन पुलकित-हर्षित पाया ............

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  4. बहुत ही मनमोहक बासंती कविता, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  5. बसंत आगमन पर बहुत ही सुन्दर गीत....
    अति सुन्दर रचना...
    :-)

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  6. बहुत शानदार बसंत आगमन और उल्लास की उम्दा प्रस्तुति,,,

    recent post: बसंती रंग छा गया

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  7. आपकी उपमा बहुत ही सुन्दर है इसिलए आप अनुपमा हैं |अच्छी कविता |

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  8. बसंत और प्रकृति की मोहक अंगड़ाई

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  9. असीम अनंत सुख की ....
    सुरभि चहुं दिस बिखर गई ...
    ...वाकई बहुत ही सुन्दर आगमन किया है वसंत का .....

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  10. वसंत आगमन पर प्रकृति में आयी खूबसूरती का एहसास कराती सुन्दर रचना
    latest postअनुभूति : प्रेम,विरह,ईर्षा
    atest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !

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  11. कुछ टप टप गिरती बूंदों से ....
    धरा धुल गई .....खिल गई ...
    ----------------------------
    बहुत उम्दा प्रस्तुति ...

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  12. Bahut hi sundar kavita. Anupama ji ,aabhar aapka meri tasveer ko sthan dene ke liye ... Aapke shabdon se usme jaan aa gayi mano ...

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  13. Bahut hi sundar kavita. Anupama ji ,aabhar aapka meri tasveer ko sthan dene ke liye ... Aapke shabdon se usme jaan aa gayi mano ...

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  14. बसन्तमयी रचना से मन बसन्त-बसन्त हुआ।

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  15. बहुत प्यारी कविता....
    इसे देख तो पतझर में भी वसंत आ जाय...

    सादर
    अनु

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  16. सिकुड़े सिमटे शब्दों की ...
    प्रेम भरी बाहें फैल गईं ......

    असीम अनंत सुख की ....
    सुरभि चहुं दिस बिखर गई ...


    सजन रूप मन भाया ...
    भरमाया .........
    ए री ,बसंत आया

    बहुत मनमोहक बासंती कविता.....

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  17. आनुप्रासिक छटा बिखरी हुई है इस वसंत गीत में .सुन्दर मनोहर गीत कुदरत के रंग लिए .मन का सूक्ष्म स्पंदन लिए .

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  18. वाह!
    आपकी यह प्रविष्टि दिनांक 18-02-2013 को चर्चामंच-1159 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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    Replies
    1. बहुत बहुत आभार चन्द्र भूषण जी .....

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  19. क्या खूब बसंत आया !

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  20. रूनझुन-रुनझुन बजता हुआ बसंत..

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  21. वासंती रंग में रंगी सुन्दर प्रस्तुति |
    आशा

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  22. कितना सुंदर गीत है! इसको आपने अपनी आवाज़ भी दी या नहीं..? :-)
    ~सादर!!!

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  23. बहुत सुन्दर.......वक़्त मिले तो जज़्बात पर भी आएं ।

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  24. अनुपमा जी, वसंत आया और न जाने कितने दिलों का महका गया..सुंदर रचना !

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  25. बहुत सुंदर वासंती रचना ...
    दिग-दिगंत छाया बसंत....
    महकें खुशियाँ अनंत
    अनुपमा तुम्हारी कविता ने
    वासंती कर दिया
    साभार....

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  26. वाह आजकल तो इस प्रकार का काव्य दुर्लभ है

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  27. बहुत कोमल भाव लिए है यह खूब सूरत प्रस्तुति .शुक्रिया आपकी सहृदय टिपण्णी का .

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  28. बहुत कोमल भाव लिए है यह खूब सूरत प्रस्तुति .शुक्रिया आपकी सहृदय टिपण्णी का .

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  29. बहुत खूबसूरत ! प्र्कृती के सोंद्रय को बखूबी निखारा है आपने रचना मे, लाजवाब

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  30. मन हरषाया,
    बसन्त आया।

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  31. हृदय से आभार आप सभी का ....

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  32. बहुत प्यारी-सी रचना....

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  33. बहुत सुंदर रचना ...

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  34. सिकुड़े सिमटे शब्दों की ...
    प्रेम भरी बाहें फैल गईं ......

    असीम अनंत सुख की ....
    सुरभि चहुं दिस बिखर गई ...

    बसंती बयार बहाती सुंदर अभिव्यक्ति.

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  35. असीम अनंत सुख की ....
    सुरभि चहुं दिस बिखर गई ...

    सही कहा सुन्दर रचना ...एक बसंत आता है बाहर
    एक जब भीतर आता है तो दशा कुछ ऐसी ही होती है !

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  36. बासंती रंग में रंगी सुन्दर रचना
    सादर !

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  37. वसंत का स्वागत... सुन्दर सहज अनुपम भाव... बधाई.

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  38. ऋतुराज जैसे स्वयमेव उपस्थित हो गए शब्द चित्र में . बहुत सुन्दर .

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  39. भाव का अनुभूति का इसके आगे रूपंतरण और क्या होगा ?प्रकृति नटी का रोम रोम पुलकाया ,ए री सखी सुन ,बसंत आया .प्रकृति का नारीकरण (मानवीकरण ).भाव शान्ति करता है .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .

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  40. असीम अनंत सुख की ....
    सुरभि चहुं दिस बिखर गई ...


    सजन रूप मन भाया ...
    भरमाया .........
    ए री ,बसंत आया .....!!!

    सच ही तो ।

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नमस्कार ...!!पढ़कर अपने विचार ज़रूर दें .....!!