आभार मीनाक्षी ... |
फूली बेला चमेली ...
बनन में....
बागन में बगरो बसंत ...
बिखरे अनगिन रंग ....
ज्यों रूप अनंग ....
रोम-रोम हर्षाया....
सुभग सलोना सा ...
कैसा बसंत छाया ....
पुष्प गुच्छ लद गए ....
......राग -रंग खिल गए ...
श्वेत 'श्याम- रंग' नीले नीले ...
बैगनी गुलाबी .....
'प्रीत-रंग' पीले पीले ....
कुछ टप टप गिरती बूंदों से ....
धरा धुल गई ........खिल गई ...
...साँवली संकुचाई सृष्टि की रंगभरी........
...प्रभामई आभा भई....
सिकुड़े सिमटे शब्दों की ...
प्रेम भरी बाहें फैल गईं ......
असीम अनंत सुख की ....
सुरभि चहुं दिस बिखर गई ...
सजन रूप मन भाया ...
भरमाया .........
ए री ,बसंत आया .....!!!
बसंत आए या न आए पर आपकी रचना ने बासन्ती कर दिया :)
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत आपकी पेशगी आपको बशंत ऋतू की हार्दिक बधाई
ReplyDeleteमैं आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ आगे निरंतर आता रहूगा
आप से आशा करता हूँ की आप एक बार मेरे ब्लॉग पर जरुर अपनी हजारी देंगे और
दिनेश पारीक
मेरी नई रचना फरियाद
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
सखी वसंत जो आया , मन पुलकित-हर्षित पाया ............
ReplyDeleteबहुत ही मनमोहक बासंती कविता, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बसंत आगमन पर बहुत ही सुन्दर गीत....
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना...
:-)
बहुत शानदार बसंत आगमन और उल्लास की उम्दा प्रस्तुति,,,
ReplyDeleterecent post: बसंती रंग छा गया
आपकी उपमा बहुत ही सुन्दर है इसिलए आप अनुपमा हैं |अच्छी कविता |
ReplyDeleteबसंत और प्रकृति की मोहक अंगड़ाई
ReplyDeleteअसीम अनंत सुख की ....
ReplyDeleteसुरभि चहुं दिस बिखर गई ...
...वाकई बहुत ही सुन्दर आगमन किया है वसंत का .....
वसंत आगमन पर प्रकृति में आयी खूबसूरती का एहसास कराती सुन्दर रचना
ReplyDeletelatest postअनुभूति : प्रेम,विरह,ईर्षा
atest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !
कुछ टप टप गिरती बूंदों से ....
ReplyDeleteधरा धुल गई .....खिल गई ...
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बहुत उम्दा प्रस्तुति ...
Bahut hi sundar kavita. Anupama ji ,aabhar aapka meri tasveer ko sthan dene ke liye ... Aapke shabdon se usme jaan aa gayi mano ...
ReplyDeleteBahut hi sundar kavita. Anupama ji ,aabhar aapka meri tasveer ko sthan dene ke liye ... Aapke shabdon se usme jaan aa gayi mano ...
ReplyDeleteबसन्तमयी रचना से मन बसन्त-बसन्त हुआ।
ReplyDeleteबहुत प्यारी कविता....
ReplyDeleteइसे देख तो पतझर में भी वसंत आ जाय...
सादर
अनु
सिकुड़े सिमटे शब्दों की ...
ReplyDeleteप्रेम भरी बाहें फैल गईं ......
असीम अनंत सुख की ....
सुरभि चहुं दिस बिखर गई ...
सजन रूप मन भाया ...
भरमाया .........
ए री ,बसंत आया
बहुत मनमोहक बासंती कविता.....
आनुप्रासिक छटा बिखरी हुई है इस वसंत गीत में .सुन्दर मनोहर गीत कुदरत के रंग लिए .मन का सूक्ष्म स्पंदन लिए .
ReplyDeleteअति सुंदर भाव
ReplyDeletesundar geet
ReplyDeleteक्या खूब बसंत आया !
ReplyDeleteरूनझुन-रुनझुन बजता हुआ बसंत..
ReplyDeleteवासंती रंग में रंगी सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteआशा
कितना सुंदर गीत है! इसको आपने अपनी आवाज़ भी दी या नहीं..? :-)
ReplyDelete~सादर!!!
sundar vasant geet
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.......वक़्त मिले तो जज़्बात पर भी आएं ।
ReplyDeleteअनुपमा जी, वसंत आया और न जाने कितने दिलों का महका गया..सुंदर रचना !
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteबहुत सुंदर वासंती रचना ...
ReplyDeleteदिग-दिगंत छाया बसंत....
महकें खुशियाँ अनंत
अनुपमा तुम्हारी कविता ने
वासंती कर दिया
साभार....
वाह आजकल तो इस प्रकार का काव्य दुर्लभ है
ReplyDeleteबहुत कोमल भाव लिए है यह खूब सूरत प्रस्तुति .शुक्रिया आपकी सहृदय टिपण्णी का .
ReplyDeleteबहुत कोमल भाव लिए है यह खूब सूरत प्रस्तुति .शुक्रिया आपकी सहृदय टिपण्णी का .
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत ! प्र्कृती के सोंद्रय को बखूबी निखारा है आपने रचना मे, लाजवाब
ReplyDeleteमन हरषाया,
ReplyDeleteबसन्त आया।
हृदय से आभार आप सभी का ....
ReplyDeleteबहुत प्यारी-सी रचना....
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ...
ReplyDeleteसिकुड़े सिमटे शब्दों की ...
ReplyDeleteप्रेम भरी बाहें फैल गईं ......
असीम अनंत सुख की ....
सुरभि चहुं दिस बिखर गई ...
बसंती बयार बहाती सुंदर अभिव्यक्ति.
असीम अनंत सुख की ....
ReplyDeleteसुरभि चहुं दिस बिखर गई ...
सही कहा सुन्दर रचना ...एक बसंत आता है बाहर
एक जब भीतर आता है तो दशा कुछ ऐसी ही होती है !
बासंती रंग में रंगी सुन्दर रचना
ReplyDeleteसादर !
वसंत का स्वागत... सुन्दर सहज अनुपम भाव... बधाई.
ReplyDeleteऋतुराज जैसे स्वयमेव उपस्थित हो गए शब्द चित्र में . बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार चन्द्र भूषण जी .....
ReplyDeleteभाव का अनुभूति का इसके आगे रूपंतरण और क्या होगा ?प्रकृति नटी का रोम रोम पुलकाया ,ए री सखी सुन ,बसंत आया .प्रकृति का नारीकरण (मानवीकरण ).भाव शान्ति करता है .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
ReplyDeleteअसीम अनंत सुख की ....
ReplyDeleteसुरभि चहुं दिस बिखर गई ...
सजन रूप मन भाया ...
भरमाया .........
ए री ,बसंत आया .....!!!
सच ही तो ।