सरसों के खेतों में...सरस ....
हरख हरख लहराया हूँ ...
हरियाली टहनी की फुनगी पर झूम कर ....
सुर्ख लाल लाल ...टेसू सा .........!!
छुपा हुआ इन्हीं रंगों में....
कुछ भावों सा ...
कुछ शब्दों सा ......
जीवन का प्रेमी मैं .....बसंत .....
अमुवा की मंजरी पर बौराया हूँ ....!!
बसंती हवा के संग सदा .......
गाता गुन गुनाता ....
आज मैं तुम्हारे द्वार फिर ....
राग बसंत लाया हूँ ...
मदमाती सुरभि की सवारी ...
मैं बसंत ....फिर आया हूँ .....!!
Anupama ji,anupam bhavo se saji dhaji prastuti
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बासंती उद्गार। आपका जीवन बसंतमय हो।
ReplyDeleteबहुत शानदार बसंती रंग में सजी उम्दा प्रस्तुति,,,
ReplyDeleterecent post: बसंती रंग छा गया
वासंती सौन्दर्य से युक्त सुरभित मुखरित सी रचना ! बहुत सुन्दर ! वसंतपंचमी की आपको हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबहुत प्यारी पंक्तियाँ....
ReplyDeleteमनमोहक..
सस्नेह
अनु
चारों और मैं ही छाया हूँ......
ReplyDeleteसुंदर भाव
khilta basant..bahut sunder...
ReplyDeleteबहुत सुंदर ... बसंत का खुद कथन बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteशुभ बसंत ....माँ सरस्वती को नमन
ReplyDeleteवाह.....उत्सव की शुभकामनाएँ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर और बासंती भाव, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत बढ़िया !
ReplyDeleteबगुत सुन्दर.
ReplyDeleteआज मैं तुम्हारे द्वार फिर ....
ReplyDeleteराग बसंत लाया हूँ ...
मदमाती सुरभि की सवारी ...
मैं बसंत ....फिर आया हूँ .....!
..................बेहतरीन रचना देने के लिए आभार
मेघ मल्हार और राग बसंत सी रागिनी सी मीठी मनभावन रचना .आभार आपकी टिपण्णी का .संगीत तो हमारी आत्मा में बसा है हमारे सुख्खन मामा चले गए
ReplyDeleteतीन साल के बालक थे हम वह हमें गंवाते थे खुद तबला बजाते थे -गौरी बुलाये तेरा सांवरिया मनाए तेरा सांवरिया मान भी जा ,तेरे बिना ओ गोरी कैसे बजेगी मोरी बाँसुरिया बुलाये तेरा सांवरिया मान भी जाए ......एक मौखिक परम्परा संगीत की तभी से हमारे साथ है .पता चला सुख्खन मामा को बांसुरी हमारे फादर साहब ने सिखाई .उस्ताद एहमदजान थिरकवा साहब(लखनऊ घराना ) के शिष्य बने हमारे सुख्खन मामा (श्री सुख्खन लाल शर्मा ,म्युज़िक प्रोड्यूसर ,आकाशवाणी ).
बहुत आभार आपका ...
Deleteआपका संगीत से जुड़ाव जान कर बहुत खुशी हुई ...!!
आशीर्वाद बनाए रहिएगा ...!!
बसंत के कितने सारे रंग आपने छलका दिए हैं इस सुंदर कविता में
ReplyDeleteवासंती रंगों में भिगोती वासंती रचना
ReplyDeleteमनमोहक रचना
basant ko bhav poorn tareeke se prastut karti behtareen rachna..
ReplyDeletehttp://kahanikahani27.blogspot.in/
छुपा हुआ इन्हीं रंगों में....
ReplyDeleteकुछ भावों सा ...
कुछ शब्दों सा ......
जीवन का प्रेमी मैं .....बसंत .....
अमुवा की डरिया पर बौराया हूँ ....!!
क्या बात है ....
बहुत खूब ....!!
छुपा हुआ इन्हीं रंगों में...
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उम्दा रचना
सरस्वती पूजन का पर्व मंगलमय हो ...
ReplyDeleteशुभागमन ।
ReplyDeleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteमनमोहक रचना
सरसों का हरा, टेसू का लाल..रंग भरा बसंत..
ReplyDeleteस्वागत है ...
ReplyDeleteआभार सभी गुनी जानो का ....!!
ReplyDeleteवाह ...इतना प्यारा चित्रण ...रोम रोम खिल गया .....
ReplyDeleteSpring is such a beautiful season, full of promise and life. Loved these lines,
ReplyDelete"रोम-रोम हर्षाया
सुभग सलोना सा
कैसा बसंत छाया "