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14 February, 2013

मैं बसंत ....फिर आया हूँ .....!!



पीत  रंग भरा  अनुराग  ...
सरसों के खेतों में...सरस ....
हरख हरख लहराया हूँ ...

हरियाली टहनी   की फुनगी पर झूम कर ....
सुर्ख लाल लाल ...टेसू सा .........!!


छुपा हुआ इन्हीं रंगों में....
कुछ भावों सा ...
कुछ शब्दों सा ......

जीवन का प्रेमी मैं .....बसंत .....
अमुवा की मंजरी   पर बौराया हूँ ....!!



बसंती हवा के संग सदा  .......
गाता गुन गुनाता ....

आज मैं  तुम्हारे द्वार  फिर ....
राग बसंत लाया हूँ ...


मदमाती सुरभि की सवारी ...
मैं  बसंत ....फिर आया हूँ .....!!




30 comments:

  1. Anupama ji,anupam bhavo se saji dhaji prastuti

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  2. बहुत बढ़िया बासंती उद्गार। आपका जीवन बसंतमय हो।

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  3. बहुत शानदार बसंती रंग में सजी उम्दा प्रस्तुति,,,

    recent post: बसंती रंग छा गया

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  4. वासंती सौन्दर्य से युक्त सुरभित मुखरित सी रचना ! बहुत सुन्दर ! वसंतपंचमी की आपको हार्दिक शुभकामनाएं !

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  5. बहुत प्यारी पंक्तियाँ....
    मनमोहक..

    सस्नेह
    अनु

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  6. चारों और मैं ही छाया हूँ......

    सुंदर भाव

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  7. बहुत सुंदर ... बसंत का खुद कथन बहुत अच्छा लगा

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  8. शुभ बसंत ....माँ सरस्वती को नमन

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  9. वाह.....उत्सव की शुभकामनाएँ..

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  10. बहुत सुंदर और बासंती भाव, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  11. आज मैं तुम्हारे द्वार फिर ....
    राग बसंत लाया हूँ ...


    मदमाती सुरभि की सवारी ...
    मैं बसंत ....फिर आया हूँ .....!
    ..................बेहतरीन रचना देने के लिए आभार

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  12. मेघ मल्हार और राग बसंत सी रागिनी सी मीठी मनभावन रचना .आभार आपकी टिपण्णी का .संगीत तो हमारी आत्मा में बसा है हमारे सुख्खन मामा चले गए

    तीन साल के बालक थे हम वह हमें गंवाते थे खुद तबला बजाते थे -गौरी बुलाये तेरा सांवरिया मनाए तेरा सांवरिया मान भी जा ,तेरे बिना ओ गोरी कैसे बजेगी मोरी बाँसुरिया बुलाये तेरा सांवरिया मान भी जाए ......एक मौखिक परम्परा संगीत की तभी से हमारे साथ है .पता चला सुख्खन मामा को बांसुरी हमारे फादर साहब ने सिखाई .उस्ताद एहमदजान थिरकवा साहब(लखनऊ घराना ) के शिष्य बने हमारे सुख्खन मामा (श्री सुख्खन लाल शर्मा ,म्युज़िक प्रोड्यूसर ,आकाशवाणी ).

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    Replies
    1. बहुत आभार आपका ...
      आपका संगीत से जुड़ाव जान कर बहुत खुशी हुई ...!!
      आशीर्वाद बनाए रहिएगा ...!!

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  13. बसंत के कितने सारे रंग आपने छलका दिए हैं इस सुंदर कविता में

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  14. वासंती रंगों में भिगोती वासंती रचना
    मनमोहक रचना

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  15. basant ko bhav poorn tareeke se prastut karti behtareen rachna..

    http://kahanikahani27.blogspot.in/

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  16. छुपा हुआ इन्हीं रंगों में....
    कुछ भावों सा ...
    कुछ शब्दों सा ......

    जीवन का प्रेमी मैं .....बसंत .....
    अमुवा की डरिया पर बौराया हूँ ....!!


    क्या बात है ....

    बहुत खूब ....!!

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  17. छुपा हुआ इन्हीं रंगों में...

    -------------------------

    उम्दा रचना

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  18. सरस्वती पूजन का पर्व मंगलमय हो ...

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  19. बहुत खूब !
    मनमोहक रचना

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  20. सरसों का हरा, टेसू का लाल..रंग भरा बसंत..

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  21. आभार सभी गुनी जानो का ....!!

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  22. वाह ...इतना प्यारा चित्रण ...रोम रोम खिल गया .....

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  23. Spring is such a beautiful season, full of promise and life. Loved these lines,

    "रोम-रोम हर्षाया
    सुभग सलोना सा
    कैसा बसंत छाया "

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