Knowledge Sheet: Simple or Complex?
Life is utterly simple and yet most complex. You have to simultaneously attend to both facets of life. When life appears most complex, turn to the simplicity. Simplicity brings peace. When you are peaceful, attend to the complexity within you. That will make you more skill full. If you are only with simplicity, it makes you lazy and dull. Being only with complexity makes you angry and frustrated. The intelligent ones balance them and rejoice in both. If you look only to simplicity, growth is not there. Looking only at the complexity, there is no life at all. All that you need is a skill full balance. If you recognize both simplicity and complexity of life, you will be skilfully peaceful! Colors are the complexity of life. White is the simplicity. When your heart is pure, your life becomes so colorful.
Vikram: Guruji, you are all white and yet so colorful.
क्या यही बसंत है ...??
रक्त गुलाब सी ....
काँटों के बीच भी ...
अनुरक्त तुम्हारे प्रेम में मैं ...
तुममें सब रंग भरे ....
श्वेत से सब रंग समेटे अपने आप में ....
लुटाते सुरभि इस संसार में.......
सुरभिमय ...बेला (मोगरे ) से ...
महको भीतर मेरे भी ....
जीवन बसंत बनाते ....
शब्दों में भाव भर देते .....
भावों में शब्द भर देते ...
जैसे रूप तुम्हारा ...
हरख हरख ...अलख अब लिखूँ ...
अकथ सुकथ सा अब कुछ कहूँ ...
मेरा पथ सुपथ बनाते ...
प्रभु मेरे .....
क्या यही बसंत है ...?
Life is utterly simple and yet most complex. You have to simultaneously attend to both facets of life. When life appears most complex, turn to the simplicity. Simplicity brings peace. When you are peaceful, attend to the complexity within you. That will make you more skill full. If you are only with simplicity, it makes you lazy and dull. Being only with complexity makes you angry and frustrated. The intelligent ones balance them and rejoice in both. If you look only to simplicity, growth is not there. Looking only at the complexity, there is no life at all. All that you need is a skill full balance. If you recognize both simplicity and complexity of life, you will be skilfully peaceful! Colors are the complexity of life. White is the simplicity. When your heart is pure, your life becomes so colorful.
Vikram: Guruji, you are all white and yet so colorful.
Pramila: Like our knowledge, which is so profound and yet so simple!
ऊपर श्री श्री रविशंकर जी का प्रवचन है ...!!उसी से प्रेरणा पाती ....उसी पर आधारित ये कविता है ...
रक्त गुलाब सी ....
काँटों के बीच भी ...
अनुरक्त तुम्हारे प्रेम में मैं ...
तुममें सब रंग भरे ....
श्वेत से सब रंग समेटे अपने आप में ....
लुटाते सुरभि इस संसार में.......
सुरभिमय ...बेला (मोगरे ) से ...
महको भीतर मेरे भी ....
जीवन बसंत बनाते ....
शब्दों में भाव भर देते .....
भावों में शब्द भर देते ...
जैसे रूप तुम्हारा ...
हरख हरख ...अलख अब लिखूँ ...
अकथ सुकथ सा अब कुछ कहूँ ...
मेरा पथ सुपथ बनाते ...
प्रभु मेरे .....
क्या यही बसंत है ...?
असीम आनंद भाव भरती रचना ...
ReplyDeleteबहुत ही गहरी बात और उसका उतना ही प्रभावी चित्रण
ReplyDeleteअकथ सुकथ सा अब कुछ कहूँ ...
ReplyDeleteमेरा पथ सुपथ बनाते ...
प्रभु मेरे .....
क्या यही बसंत है ...?लाजबाब सुंदर भावअभिव्यक्ति,,,,
Recent Post: कुछ तरस खाइये
आभार आदरेया |
ReplyDeleteशुभकामनायें -
जीवन बसंत बनाते ....
ReplyDeleteशब्दों में भाव भर देते .....
भावों में शब्द भर देते ...
जैसे रूप तुम्हारा ...
हरख हरख ...अलख अब लिखूँ ...
अकथ सुकथ सा अब कुछ कहूँ ...
मेरा पथ सुपथ बनाते ...
प्रभु मेरे .....
क्या यही बसंत है ...?
अनुपमा जी बिलकुल आपके नाम की तरह :) अनुपम भाव संयोजन ....:)
badhiya kavita....
ReplyDeleteअकथ सुकथ सा अब कुछ कहूँ ...
ReplyDeleteमेरा पथ सुपथ बनाते ...
प्रभु मेरे .....
क्या यही बसंत है ...?
उत्कृष्ट प्रस्तुति ... आभार
श्वेत से सब रंग समेटे अपने आप में ....
ReplyDeleteलुटाते सुरभि इस संसार में.......
सुरभिमय ...बेला (मोगरे ) से ...
महको भीतर मेरे भी ....
यही भीतर से महकना वसंत है ।
अनुपम और अद्भुत आनद का संगम बहुत सुन्दर .बधाई
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति हर माने में .
ReplyDeleteसच में यही वसंत है...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteगहरे उतरता शाब्दिक चित्रण..... भावों के तो कहने ही क्या ...
ReplyDeleteउत्तम रचना!!
ReplyDeletePallavi ne sau baat ki ek baat kahi...:)
ReplyDeleteअनुपमा जी बिलकुल आपके नाम की तरह :) अनुपम भाव संयोजन ....:)
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति ...
ReplyDeleteआप भी पधारें
ये रिश्ते ...
दिव्यता की अनुभूति कराती रचना
ReplyDeleteअनुपमा ,बहुत ही सार्थक संयोजन
साभार!!!!!!!!!!!
तुममें सब रंग भरे ....
ReplyDeleteश्वेत से सब रंग समेटे अपने आप में ....
लुटाते सुरभि इस संसार में.......
सुरभिमय ...बेला (मोगरे ) से ...
महको भीतर मेरे भी ....बहुत सुन्दर
new postक्षणिकाएँ
वाह बहुत ही सुन्दर रचना है अनुपमा जी ..
ReplyDeleteबहुत आभार रंजू जी ।
Deleteमेरे ब्लॉग पर आपका हृदय से स्वागत है ....!!
अकथ सुकथ सा अब कुछ कहूँ ...
ReplyDeleteमेरा पथ सुपथ बनाते ...
प्रभु मेरे .....
क्या यही बसंत है ...?
bilkul yahi basant hai
साँस-साँस में चन्दन-सा उतरता हुआ..
ReplyDeleteप्रभु की झलक हो जहाँ वही बसंत है
ReplyDeleteश्री श्री रविशंकर जी के सारपूर्ण प्रवचन का आपने सारा तत्व अपनी रचना में उतार दिया है अनुपमा जी ! संसार के सत्य, शिव और सुन्दर के दिग्दर्शन कराती अनुपम रचना ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteबसंत तो मन की एक स्तिथि है ...जब मन शांत, तृप्त और खुश हो ...तो वसंत ही वसंत है ...गहरा प्रभाव छोड़ती रचना ..सुन्दर... अनुपम ..!!!
ReplyDeleteसुन्दर बसंत..!!!
ReplyDeleteअसल बसंत तो वही है जो असल प्रेम को हमेशा बसंत बनाए रक्खे ... जो उस परम परमात्मा में व्याप्त है ...
ReplyDeletebahut sunder abhivyakti
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति ।
ReplyDeleteA very thought provoking and inspiring poem. We need to have a balance in us.
ReplyDeleteबढ़िया ,,,, सुन्दर रचना !
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteकम ही ऐसी रचनाएं पढने को मिलती हैं।
नोट:
अगर आपको रेल बजट की बारीकियां समझनी है तो देखिए "आधा सच" पर लिंक...
http://aadhasachonline.blogspot.in/2013/02/blog-post_27.html#comment-form
बजट पर मीडिया का रोल जानने के लिए आप " TV स्टेशन" पर जा सकते हैं।
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/03/blog-post.html?showComment=1362207783000#c4364687746505473216
प्रेम पर बसंत की अनुकम्पा सदैव रहे. सुंदर भावाभिव्यक्ति.
ReplyDeleteसभी गुणी पाठकों का हृदय से आभार .....!!
ReplyDeleteगहन भाव लिए सुंदर रचना ....
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