मैं सरोज तुम अम्बुज मेरे ...
सरू से दूर कमल मुरझाये ...
ईमन यमन राग बिसराए ..
यमन राग मेरी तुमसे है ........
निश्चय ही ........!!!!
मध्यम तीवर सुर लगाऊँ .........
जब लीन मगन मन सुर साधूँ ....
तुममे खो जाऊं ...आरोहन -अवरोहन सम्पूरण ......!!
अब रात्री का प्रथम प्रहर..
इसी प्रार्थना से स्वरोज सुर मंदिर की चौथी कड़ी प्रस्तुत है ..!!
सबसे पहले आभार आप सभी का इस श्रंखला में रूचि लेने हेतु ..!
मनोज जी आपने प्रश्न पूछा था की राग और थाट में क्या अंतर है ..?
आज यहीं से इस आलेख की शुरुआत करती हूँ |आधुनिक काल में यह पद्धति थाट -राग वर्गीकरण के नाम से प्रचलन में आई |जैसा की मैंने आपको बताया था संपूर्ण रगों को ,उनके स्वर प्रयोग के आधार पर ,दस थाटों में विभाजित किया गया है |फिलहाल हम कल्याण थाट की बात कर रहें हैं |कल्याण थाट में कई राग आते हैं ..जैसे -भूपाली,कल्याण,छायानट,केदार,कामोद,गौड़ सारंग,हमीर ...इत्यादि |अब इन्हीं सब रागों से राग कल्याण पर हमने थाट का नाम भी कल्याण कर दिया |तो कल्याण थाट भी है और राग भी |अब भूपाली को लीजिये ...उसका वर्णन करते समय हम कहेंगे थाट- कल्याण ..राग -भूपाली ...|
आज यहीं से इस आलेख की शुरुआत करती हूँ |आधुनिक काल में यह पद्धति थाट -राग वर्गीकरण के नाम से प्रचलन में आई |जैसा की मैंने आपको बताया था संपूर्ण रगों को ,उनके स्वर प्रयोग के आधार पर ,दस थाटों में विभाजित किया गया है |फिलहाल हम कल्याण थाट की बात कर रहें हैं |कल्याण थाट में कई राग आते हैं ..जैसे -भूपाली,कल्याण,छायानट,केदार,कामोद,गौड़ सारंग,हमीर ...इत्यादि |अब इन्हीं सब रागों से राग कल्याण पर हमने थाट का नाम भी कल्याण कर दिया |तो कल्याण थाट भी है और राग भी |अब भूपाली को लीजिये ...उसका वर्णन करते समय हम कहेंगे थाट- कल्याण ..राग -भूपाली ...|
इस प्रकार हर थाट में कोई एक ऐसा राग होता है जो राग भी है और थाट भी |फिर आगे मैं आपको बताउंगी कि हर थाट में कुछ स्वर संगतियाँ समान होती हैं |हर थाट कि कुछ विशेष बातें होतीं हैं जो उसके अंतर्गत आने वाली हर राग में झलकती है|
थाट कल्याण की मुख्य विशेषता है तीव्र मध्यम का प्रयोग....!!
यहाँ मैं आपको पुराना लिंक भी दे रहीं हूँ उसको पढ़ने से भी थाट के बारे में समझ और बढ़ सकेगी ...!!
आगली कड़ी में हम चर्चा करेंगे कल्याण थाट की कुछ अन्य विशेषताओं के बारे में ...!!
ये भी पढ़ें ... परिकल्पना पर ..कुछ उनकी कुछ इनकी...आभार..
संगीत के बारे मे कुछ ग्यान नही आपको पढ कर समझने की कोशिश करती हूँ। धन्यवदा।
ReplyDeleteबहुत ज्ञानवर्धक जानकारी………आभार्।
ReplyDeleteसुन्दर संगीत मयी रचना..
ReplyDeleteसाहित्य और संगीत का समवेत स्वर।
ReplyDeletesangeet ke vishya me behtreen jankari.
ReplyDeleteआज 28 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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बहुत बढिया, अच्छी जानकारी। आमतौर पर इस विषय की जानकारी लोगों को कम होती है।
ReplyDeleteAti uttam post , ati sundar..
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी देती हुई पोस्ट .......आभार
ReplyDeleteek khoobsurat yaatra
ReplyDeleteबहुत प्रभावी...
ReplyDeleteआप संकलनीय जानकारी दे रही हैं...
सादर...
इस बार बहुत कुछ समझ में आया। आगे की प्रतीक्षा है।
ReplyDeleteअच्छी रचना लिखी है आपने!
ReplyDeleteस्वरोज सुर मंदिर श्रृंखला की यह कड़ी भी अति सुन्दर
ReplyDeleteइस सुन्दर संगीतमय यात्रा के लिए आभार,
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
इस सीरीज़ को पढ़ना बहुत रोचक है।
ReplyDeleteसादर
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण पोस्ट! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
you are giving very useful and relevant information.Good to read them.
ReplyDeleteआज की संगीत की पाठशाला भी अत्यंत रुचिकर रही, आभार !
ReplyDeleteबहुत ही रोचक...
ReplyDeleteमनभावन और रोचक संगीत . मन उत्फुल्ल हुआ .
ReplyDeleteसंगीत मयी बेहतरीन कविता.
ReplyDeleteराग और थाट के बारे में संक्षिप्त लेकिन सारगर्भित जानकारी मिली, आभार।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी ...
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें।
सुंदर लेख ! अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा ।
ReplyDeleteअच्छी संगीत मय रचना |बहुत अच्छी लगी |बधाई
ReplyDeleteआशा
आपकी पोस्ट की चर्चा सोमवार १/०८/११ को हिंदी ब्लॉगर वीकली {२} के मंच पर की गई है /आप आयें और अपने विचारों से हमें अवगत कराएँ /हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। कल सोमवार को
ReplyDeleteब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
बहुत आभार प्रेरणा ...मेरी इस पोस्ट को हिंदी ब्लोगर्स के साप्ताहिक मंच पर जगह देने के लिए ...
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