कल्पना नहीं ...
मित्थ्या नहीं ...
मनोव्यथा ,सत्य कथा...
अन्तः प्रज्ञा है सबकी ही ...
यह कविता है ..!!
यह कविता है ..!!
लेखा-जोखा हम सब का ...
गंगा,जमुना, सरस्वती जैसे ...
मन बुद्धि और जीवन के अनुभव का संगम ..
यह कविता है ..!!
से उपजी ..
विजय-पराजय गाथा ..
यह कविता है ...!!
पीड़ा है कुछ मेरी भी ...
कुछ इसकी उसकी ..
देखो इसमें मिल जाये कुछ
अपने मतलब का-
तुमको भी ...
अपने मतलब का-
तुमको भी ...
यह कविता है ....!!
लीला है सुखदायी मन की ...
कुछ रागों,अनुरागों की ...
या शबरी , सावित्री , के
जीवन को गाते शब्दों की ...
जीवन को गाते शब्दों की ...
यह कविता है ...
माला है कुछ गुन्धी हुई ..
ताजे -बासे फूलों की ..!!
सौरभ है निशि वासर के -
सरिता सी कल-कल
है चंचल ...
गागर सी -
उमगे है ..
छल-छल...
है चंचल ...
गागर सी -
उमगे है ..
छल-छल...
सागर सी -
गहरी गहरी
मन मोहमयी है .....!!
यह कविता है ....
गहरी गहरी
मन मोहमयी है .....!!
यह कविता है ....
लेखा जोखा हम सब का .....
गंगा ,जमुना ,सरस्वती जैसे -
मन बुद्धि और जीवन के गंगा ,जमुना ,सरस्वती जैसे -
अनुभव का संगम ...
यह कविता है ....!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
मन बुद्धि और जीवन के
ReplyDeleteअनुभव का संगम ...
यह कविता है .
bilkul sahi -kavita sangam hi to hai sab prakar ke bhao ki .bahut sundar .
बेहतरीन कविता.
ReplyDeleteसादर
वाह, बहुत खूब बहुत सुंदर
ReplyDeleteसही कहा| कविता संगम ही तो है|
ReplyDeleteकविता का बहुत सुन्दर चित्रांकन किया है।
ReplyDeleteसच कहा ..बस यही कविता है.
ReplyDeleteसुन्दर.
लेखा जोखा हम सब का .....
ReplyDeleteगंगा ,जमुना ,सरस्वती जैसे -
मन बुद्धि और जीवन के
अनुभव का संगम ...
यह कविता है ....!bahut sahi kaha aapne kavitaa ke baare main.yahi to kavita
hai.bahut achche bhav liye atisunder
rachanaa.badhaai sweekaren.
मन बुद्धि और जीवन के
ReplyDeleteअनुभव का संगम ...
यह कविता है
-तभी इतनी बेहतरीन बन पड़ी है...
लीला है सुखदायी मन की ...
ReplyDeleteकुछ रागों,अनुरागों की ...
या शबरी , सावित्री , के
जीवन को गाते शब्दों की ...
यह कविता है ...waah
जो कविता सबका मन व्यक्त करती है, उसके भावों को व्यक्त करने का सुन्दर प्रयास।
ReplyDeleteAnupama ji kavita ke bhaavon ko bahut sunder tareeke se prastut kiya hai.bahut achcha.
ReplyDeletesaheeee..
ReplyDeletekavita bahut kuchh kah jati hai....kam lafzon me badee baat...yahi to kavita ki visheshta hai....
लेखा जोखा हम सब का .....
ReplyDeleteगंगा ,जमुना ,सरस्वती जैसे -
मन बुद्धि और जीवन के
अनुभव का संगम ...
यह कविता है ...
जी हाँ यही कविता है.... बहुत सुंदर भाव....
Anupama ji,
ReplyDeletevastav men yahee kavita hai, badhai,sundar prastuti ke liye.
बेहतरीन! अच्छी कविता कभी सतही नहीं हो सकती.
ReplyDeleteसरिता सी कल-कल
ReplyDeleteहै चंचल ...
गागर सी -
उमगे है ..
छल-छल...
सागर सी -
गहरी गहरी
मन मोहमयी है .....!!
anupma ji aapki ye kavita dekh to lagta hai ki swayam kavita bhi moh me fans gayee hai.bahut sundar.
saty kaha yahi kavita ka saar hai. sunder abhivyakti.
ReplyDeleteलीला है सुखदायी मन की ...
ReplyDeleteकुछ रागों,अनुरागों की ...
या शबरी , सावित्री , के
जीवन को गाते शब्दों की ...
यह कविता है ...
बहुत खूब ,मार्मिक सृजन ,सराहनीय .......
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा ||
ReplyDeleteबधाई |
मन के उदगार , इस कविता के द्वार . उत्फुल्ल हुआ ह्रदय अपरम्पार .
ReplyDeleteअब जब ज़िंदगी ही कविता है तो उसके आगे कुछ भी कहना कम है न ... बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDelete"सरिता सी कल-कल
ReplyDeleteहै चंचल ...
गागर सी -
उमगे है ..
छल-छल...
सागर सी -
गहरी गहरी
मन मोहमयी है .....!!"
वाह !! बहुत सुन्दर रचना अनुपमा जी |
मेरे ब्लॉग में आपका सादर आमंत्रण है |
http://pradip13m.blogspot.com/
बहुत भावपूर्ण कविता |
ReplyDelete"पीड़ा है कुछ मेरी भी ---कुछ इसकी उसकी --देखो इस में मिल जाए कुछ - अपने मतलब का -तुम को भी "
मन छूती पंक्तियाँ |आशा
कविता को परिभाषित करती ..............भावपूर्ण सुन्दर कविता
ReplyDeleteअद्भुत,अनुपमेय ..और क्या कहूँ?
ReplyDeleteसबके मनोभावों का प्रतिबिम्ब जहां मिल जाए वही सच्ची कविता है ! आत्मीय भावनाओं से परिपूर्ण बहुत ही सुन्दर रचना !
ReplyDeleteमन बुद्धि और जीवन के
ReplyDeleteअनुभव का संगम ...
यह कविता है ...behad khoobsurti se likha hai.....
कुछ रागों,अनुरागों की ...
ReplyDeleteया शबरी , सावित्री , के
जीवन को गाते शब्दों की ...
यह कविता है .
bus yehi kavita jo kitni hi badi gathaon ko kuch shabdon mein likh dene mein bhi saksham hoti hai...
aapne bahut sunder chtran kiya hai!!aabhar
very nice blog chhotawriters.blogspot.com
ReplyDeleteलगता है पानी बहुत बरसा है उधर . नदी में बाढ़ सी आयी हुई है . सारे तटबंध तोड़ कर बह चली है , अब तो कविता . बहुत सुन्दर प्रवाह से भरी रचना .
ReplyDeleteसुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति..कविता का स्वरूप बताती ख़ूबसूरत कविता
ReplyDeleteकविता के अंदाज़ को कविता के माध्यम से ही लिख दिया आपने ... बहुत खूब लिखा है ..
ReplyDeleteसुंदर भाव प्रवण रचना.
ReplyDeleteकल्पना नहीं ...मित्थ्या नहीं ...
ReplyDeleteमनोव्यथा ,सत्य कथा...अन्तः प्रज्ञा है सबकी ही ...
यह कविता है ..!!
कविता के मूल को पहचान कर उसको सुंदर शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत कर आपने जैसे कविता को जीवंत कर दिया है...
आद अनुपमा जी,
ReplyDeleteकविता की अनुपम परिभाषा कहती है आपकी कविता...
साथ ही आपकी गहरी आध्यात्मिक अभिव्यक्ति बाँध लेती है... सुकून मिलता है आपकी रचनाओं को पढ़कर...
निरंतरता बनाए रकने के लिए ब्लॉग का अनुशरण कर लिया है...
मेरा उत्साह वर्धन करने के लिए आभार...
सिलसिला बनाए रखने का अनुरोध...
सादर....
saty vachan jee.
ReplyDeleteआप सभी का आभार ...आपकी टिप्पणियों से ही प्रफुल्लित मन कुछ और नए रास्ते खोजने लगता है ...कुछ नया लिखने की चाह उपजने ..पनपने ..लगती है ..!!अपना स्नेह ..अपना आशीर्वाद बनाये रखियेगा ....
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता पढ़ने को मिली, आपका आभार।
ReplyDeleteपीड़ा है कुछ मेरी भी ...
ReplyDeleteकुछ इसकी उसकी ..
देखो इसमें मिल जाये कुछ
अपने मतलब का-
तुमको भी ...
यह कविता है ....!!
वाह अनुपमा दी क्या कविता है !
आप कुछ लिखें और उसमे संगीत ना हो ऐसा हो ही नहि सकता ..प्रभु कि असीम कृपा है आप पर दीदी !
जल-सजलता है छलकती शब्द बन कर.
ReplyDeleteतब कहीं बहते सलिल सी ,
मुक्त-छंदा , मृदु - मरंदा ,
अमृत - कविता बह निकलती ..
(http://www.facebook.com/The.Eternal.Poetry)
कविता के रूपायन पर ----
आपकी अतिशय मृदु एवं रमणीय रचना