चंचल चित ..ये मन मोरा .....
क्यूँ जागे सारी रतियाँ ...
न माने मोरी बतियाँ ..
मोर सा ..पियु पियु बोले ..इत -उत डोले ...
कभी तोड़े मुझको मुझसे ...कभी जोड़े मुझको पियु से ...
कभी हँसे -बरखा की बूँद ..संग
खिलखिला -खिला खिला
भीग भीग कर ...
मोर सा नाचे ..झटकार ....पंख पसार ....
पंखों से झरते ...
पंखों से झरते ...
टप-टप गिरते ..
मुतियन , बुन्दियन के हार ..
मुतियन , बुन्दियन के हार ..
कभी रोये दुनिया देख ..
देख दुनिया के रंग हज़ार ...
आज पवन के संग ..
वो चला ,उड़ चला ..
मन..बन उमंग ...
सबरंग ..हररंग बसे मोरे मन मा भीतर ...!!
मन..बन उमंग ...
सबरंग ..हररंग बसे मोरे मन मा भीतर ...!!
अरे - अरे....उड़े -उड़े मन.. बन- बन कबूतर ...!!
बौराया-बौराया ..
आहा सखी मन कबूतर मेरा ..
मोरे मितवा ..का संदेसवा ले आया
..आया .. ..सावन आया ..
हर्ष-उन्माद लाया ...
आहा सखी मन कबूतर मेरा ..
मोरे मितवा ..का संदेसवा ले आया
..आया .. ..सावन आया ..
हर्ष-उन्माद लाया ...
हरा हरा ..चहुँ ओर छाया ...
तीज-त्यौहार लाया ..!!
तीज-त्यौहार लाया ..!!
धानी चुनरिया ओढ़े ..
संग झूले की पींग ..मन ले हिचकोले ...!
पटली जडाऊ नगदार ..
हरी-हरी चूड़ीयन संग
मेहँदी रचे हाथ ..मन पिया संग डोले ...!
नैनं में कजरा ..
होंठों पे कजरी ..
पलकों में सपने ...
मन मीत मन भाया ..
प्रभु नेह ऐसा बरसाया ...
चहुँ दिस उल्लास छाया ...
छाया...लो फिर बैरी सावन आया .........!
राधा मन कैसा हुलसाया ..
कृष्ण संग रास रचाया ..
सखीरी ..मोह भरमाया ...
ऐसा सावन आया ..!!
सावन की बात निराली ||
ReplyDeleteअंदाज मस्त |
बधाई |
नैनं में कजरा ..
ReplyDeleteहोंठों पे कजरी ..
पलकों में सपने ...
मन मीत मन भाया ..
प्रभु नेह ऐसा बरसाया ...
चहुँ दिस उल्लास छाया .
Bahut sundar prastuti, badhai
मन मीत मन भाया ..
ReplyDeleteप्रभु नेह ऐसा बरसाया ...
चहुँ दिस उल्लास छाया ...
छाया...लो फिर बैरी सावन आया .........!
प्रभु नेह की ऐसी बरसात करने वाले आपके चंचल अनुपम मन को मेरा सादर नमन.
प्रेम,भक्ति की अदभुत छटा बिखरती हुई आपकी सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार प्रकट करने के लिए शब्द नहीं हैं मेरे पास.
क्या कहूं इतने सुंदर गीत के बारे में ..!
ReplyDeleteपंखों से झरते ...
टप-टप गिरते ..
मुतियन , बुन्दियन के हार .
जो शब्द चित्र आपने खींचा है उसका आनंद ले रहे हैं।
अगर इसके स्वर भी लगा देतीं (मतलब गा कर) तो इसका प्रभाव चार गुना बढ़ जाता।
rachanaa ke madhyam se aapne sawan ka sajeev chitran prastut kiyaa hai.wakai sawan aa gayaa.bahut sunder abhibyakti.badhaai aapko.
ReplyDeleteसावन में मोर,
ReplyDeleteबारिश का है जोर,
आपकी रचना
बहुत है बेजोड़!
बहुत सुन्दर सावनी भावाभिव्यक्ति....
ReplyDeleteसुन्दर कविता
ReplyDeleteसावन का अच्छा स्वागत है
आभार
सुन्दर कविता के साथ सावन का स्वागत..बढ़िया...
ReplyDeleteनैन में कजरा ..
ReplyDeleteहोंठों पे कजरी ..
पलकों में सपने ...
मन मीत मन भाया ..
प्रभु नेह ऐसा बरसाया ...
चहुँ दिस उल्लास छाया ...
छाया...लो फिर बैरी सावन आया .........!
सावन का इससे अच्छा स्वागत मेरे ख्याल से नहीं हो सकता। बहुत सुंदर
बधाई
आपका गीत पढ़कर तो कबीर की बात याद आ रही है " मन मस्त हुआ अब क्या बोले"
ReplyDeleteक्या बात है,
ReplyDeleteसामयिक रचना
बधाई
मन का मोर,
ReplyDeleteकरे क्यों शोर,
स् स् स् स्,
सावन आया।
सावन का आरंभ और आपकी कविता.... सुन्दर...
ReplyDelete"सावन के बादर कजरारे, पी को मगन मयूर पुकारे |
चहुँ ओर हरियाली बिखरी, धरा प्रफुल्लित सांझ सकारे ||"
सादर....
सावन के आगमन पर हार्दिक बधाई..और इतनी सुन्दर रचना के लिए क्या कहें - बहुत खूब ... सावन की शरुआत आपने करवा ही डाली...उम्दा
ReplyDeleteसावन का माह निराला होता है सुन्दर प्रसतुति आभार मेरे ब्लाँग मे भी पधारे
ReplyDeleteसावन की मदमस्त और अल्हड़ रचना
ReplyDeleteसावन में झम झम करती सी कविता.
ReplyDeleteमन मयूर झूम रहा है पढ़कर . मनोज जी से सहमत . सुनने की इच्छा बलवती हो रही है .
ReplyDeleteक्या मौसम है ....
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें ..
bahut sundar rachna . shubhkamnayen ....
ReplyDeleteसबने सावन का स्वागत किया , आपका अनूठा तरीका है .
ReplyDeleteसावन की बात निराली ||
ReplyDeleteअंदाज मस्त |
बधाई |
बहुत सुन्दर सावनी रचना
ReplyDeleteBahut sundar prastuti...badhai
ReplyDeleteवाह ... बहुत खूब कहा है आपने इस अभिव्यक्ति में ।
ReplyDeleteपंख फैलाये ख़ूबसूरत मोर की तस्वीर के साथ शानदार एवं भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! बेहद पसंद आया!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सावनी भावाभिव्यक्ति....
ReplyDeleteसावन पर लिखी रचना आपसभी ने सराही ...आभार ..
ReplyDeleteमनोज जी ..आशीष जी ..धन्यवाद इस सुझाव के लिए ..कोशिश ज़रूर करूंगी ...!!
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDelete.अद्भुत रचना है ये आपकी...सावन जैसे साकार हो गया हो...बधाई
ReplyDeleteनीरज
सावन में धूम मचाती, सुन्दर कविता
ReplyDeleteमनभावन बोलों को पढ़ कर
ReplyDeleteमन-आँगन सब भीग गया है
बस हर पल आवाज़ यही है
आया सावन आया सावन
बहुत ही मधुर और अनुपम गीत लिखा है
बधाई स्वीकारें .