बुंदियन बरसे लूँम-झूँम अब ....
जीवन नदिया पूर रहा है ..
धारा मन-बन घूम रहा है ...
हृद की ताल-तलैयों में है ...जीवन नदिया पूर रहा है ..
धारा मन-बन घूम रहा है ...
कल-कल करता निश्छल पानी ..
डम-डम डमरू बोल रहा है ..
मिश्री जैसे घोल रहा है ..
मिश्री जैसे घोल रहा है ..
कहीं शब्द की कविता बनती ..
कभी सुरों की सरिता .. ..
बहता बहता कल-कल करता ...
गुन- गुन सावन गाता ..
नहीं अमंगल भाता मन को ..
शुभ गुण मंगल दाता .....!!
...
शुभ गुण मंगल दाता .....!!
...
धारा जैसा बढ़ता जीवन ... !!
गीत ख़ुशी के मन में रुनझुन ..
धारा बन-बन घूम रही है .....!! |
मधु रस जब-जब तू बरसाता....
फिर सब करमों की है गाथा ..
शिव की गौरा ..पारवती तुम ...
श्रेय्मयी माँ कल्याणी बन ..
संग रहना बन भाग्य विधाता ..!!जीवन नदिया झूम रही है ..
धारा बन-बन घूम रही है .....!!
इसे भी पढ़ें ..परिकल्पना पर ...
कितने दिनों की प्रतीक्षा बाद ...!! http://www.parikalpnaa.com/2011/07/blog-post_13.html
तुम मेरी पहुँच से दूर क्यों हो ..?
http://www.parikalpnaa.com/2011/07/blog-post_20.html
इसे भी पढ़ें ..परिकल्पना पर ...
कितने दिनों की प्रतीक्षा बाद ...!! http://www.parikalpnaa.com/2011/07/blog-post_13.html
तुम मेरी पहुँच से दूर क्यों हो ..?
http://www.parikalpnaa.com/2011/07/blog-post_20.html
धारा जैसा बढ़ता जीवन ... !!
ReplyDeleteगीत ख़ुशी के मन में रुनझुन ..
मन के घुँघरू बजते छुन -छुन ....
मधु रस जब-जब तू बरसाता.
बहुत सुन्दर भाव , सुन्दर प्रस्तुति , बधाई
यही उत्साह निर्झर सा बहता रहे बस।
ReplyDeleteसुन्दर कविता.... सादर...
ReplyDeleteसुन्दर प्रवाह भावों का ||
ReplyDeleteबधाई ||
बेहतरीन.
ReplyDeleteसादर
जीवन रूपी नदिया सावन में ऐसी ही झूमती है ..सावन में शिव का स्मरण सहज है शायद यह सृजन और संहार दोनों का पर्व है इसलिए .
ReplyDeletesunder runjhun chun chun ras barsaati kavita.atisunder.
ReplyDeletebahut sunder runjhun karati hui rimjhim phuaron ke saath jeevan main anand barsaati hui pyaari rachanaa.badhaai aapko.
ReplyDelete''जीवन नदिया ''चुनने के लिए ..संगीता जी बहुत बहुत आभार ...
ReplyDeleteशिव की गौरा ..पारवती तुम ...
ReplyDeleteश्रेय्मयी माँ कल्याणी बन ..
संग रहना बन भाग्य विधाता ..!!
माँ कल्याणी सदा कल्याण करें !! अति सुन्दर भक्ति भावपूर्ण रचना ..शुभकामनाएं !!!
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteलोक गीत सा आनंद दिया आपकी इस कविता ने...बधाई!!
ReplyDeleteमन का निरझर झरना यूँ ही बहता रहे ...सुन्दर अभिव्यक्ति..आभार..
ReplyDeleteसुन्दर भावो की सरिता बह रही है।
ReplyDeleteकहीं शब्द की कविता बनती ..
ReplyDeleteकभी सुरों की सरिता .. ..
बहता बहता कल-कल करता ...
गुन- गुन सावन गाता ..
नहीं अमंगल भाता मन को ..
शुभ गुण मंगल दाता .....!!
बहुत सुंदर भावनाएँ ! सदा ही सबका मंगल हो !
कहीं शब्द की कविता बनती ..
ReplyDeleteकभी सुरों की सरिता .. ..
बहता बहता कल-कल करता ...
गुन- गुन सावन गाता ..
नहीं अमंगल भाता मन को ..
शुभ गुण मंगल दाता .....!!
बहुत सुंदर भाव के साथ लिखी गई रचना।
आभार
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ सुन्दर रचना लिखा है...सावन सा बहता ....
ReplyDeleteजीवन नदिया सी
ReplyDeleteकल-कल बहती सुमधुर पंक्तियाँ
सुर और ताल की अनुपम बंदिश में बँधा
बहुत सुन्दर गीत .... वाह !
गुन- गुन सावन गाता ..
ReplyDeleteनहीं अमंगल भाता मन को ..
शुभ गुण मंगल दाता .....!!
.........बहुत सुंदर भावनाएँ !
आहा..इस वर्षा गीत से मन मुग्ध हो गया...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
काफी अच्छी लगी कविता आपकी. आभार.
ReplyDeleteबहुत सुंदर!
ReplyDeleteपूरी रचना पढ़ दो बार की हिमाचल प्रदेश की यात्रा का स्मरण हो आया वह भी व्यास नदी की कल कल ध्वनि का……अभी पुन: उधर की यात्रा का कार्यक्रम बना है बच्चे के दाखिले के लिये……सुंदर मनभावन रचना……॥
ReplyDeleteचित्र और रचना बहुत खूबसूरत हैं!
ReplyDeleteआपकी इस रचना में लोकगीतों सा स्वाद है। बधाई।
ReplyDelete------
बेहतर लेखन की ‘अनवरत’ प्रस्तुति।
अब आप अल्पना वर्मा से विज्ञान समाचार सुनिए..
Aaya savan yahan jhum ke..aabhar
ReplyDeleteAaya savan yahan jhum ke..aabhar
ReplyDeleteकहीं शब्द की कविता बनती ..
ReplyDeleteकभी सुरों की सरिता .. ..
बहता बहता कल-कल करता ...
गुन- गुन सावन गाता ..
नहीं अमंगल भाता मन को ..
शुभ गुण मंगल दाता ....
सुन्दर भाव ... सुन्दर शब्द संचयन ... सुन्दर प्रस्तुति ... सरिता की तरह प्रवाहित होता हुवा ...
संगीता जी ..बहुत सुंदर शीर्षक के अंतर्गत आपने मेरी कोई कविता चुनी है ...!कल का इंतज़ार कर रही हूँ ...!!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ...!!
मन के भावों की सुंदर प्रस्तुति अच्छी लगी। कभी-कभी मेरे पोस्ट पर भी आने का कष्ट करें।
ReplyDeleteधन्यवाद।
bhaavpurn abhivaykti...
ReplyDeleteजीवन को इतने खुबसूरत भावो से प्रस्तुत करने के लिए बहुत-बहुत आभार....
ReplyDeleteअति सुंदर, बहुत बहुत बधाई,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
जीवन नदिया झूम रही है ..
ReplyDeleteधारा बन-बन घूम रही है .....!!..बहुत सुन्दर भाव , सुन्दर प्रस्तुति
Beautiful :)
ReplyDeleteजीवन नदिया झूम रही है ..
ReplyDeleteधारा बन-बन घूम रही है ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
सुन्दर एहसास के साथ लाजवाब रचना! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गयी! आपकी लेखनी को सलाम!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
जीवन नदिया की इस धार को पसंद करने पर आप सभी का आभार ...
ReplyDeleteजीवन नदिया झूम रही है ..
ReplyDeleteधारा बन-बन घूम रही है .....!!
बहुत अच्छी लगी आपकी ये रचना । शुभकामनाएँ ।
wah re sawan.........:)
ReplyDeleteबेहतरीन...सुन्दर!!
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