मेरे मीत ....!!
निर्मल मन के-
भावों सी हो.......
अपनी उज्जवल प्रीत .....
भावों सी हो.......
अपनी उज्जवल प्रीत .....
ज्यों थाट बिलावल सा .....
शुद्ध स्वरों सा-
मेरा संगीत .....
मेरा संगीत .....
शुद्ध अनिल सा ..
मलयानिल सा ..
चाहूँ जीवन ....
नित साधे है तन .....
आतुर ये मन ....
आओ चलें
उस ओर जहाँ ......
उस ओर जहाँ ......
मंद पवन
अमंद विचार हों ....
अमंद विचार हों ....
स्वप्निल बयार
की ही बहार हो .....!!
की ही बहार हो .....!!
बरसों के
उज्जवल प्रयास से ..
उज्जवल प्रयास से ..
अपने मन मंदिर में ....
मेरे घर आँगन में ....
वृंदा का वन
बन वृन्दावन ..
बन वृन्दावन ..
मन सावन बन ..
बदरा प्रेम बौछार ही बरसे ...
बदरा प्रेम बौछार ही बरसे ...
तृषा से मन कभी न तरसे ....
आओ चलें उस ओर जहाँ...
श्याम की गैया ...
सोन चिरैया सा ....
स्वप्निल जीवन हो .......!!!!!!!!!!!!
आओ चलें उस ओर जहाँ...
श्याम की गैया ...
सोन चिरैया सा ....
स्वप्निल जीवन हो .......!!!!!!!!!!!!
इस अनुपम सुन्दर अभिव्यक्ति में आपके निर्मल भक्तिपूर्ण हृदय के दर्शन हो रहें हैं,अनुपमा जी.
ReplyDeleteउज्जवल कोमल भाव हैं आपके.
शानदार प्रस्तुति के लिए आभार.
आओ चलें उस ओर जहाँ...
ReplyDeleteश्याम की गैया ...
सोन चिरैया सा ....
स्वप्निल जीवन हो
man moh liya aapki sundar abhivyakti v chitro ne badhai anupma ji.
तृषा से मन कभी न तरसे ....
ReplyDeleteआओ चलें उस ओर जहाँ...
श्याम की गैया ...
सोन चिरैया सा ....
स्वप्निल जीवन हो
मन को सुकूँ देती रचना ... सुन्दर अभिव्यक्ति
आओ चलें उस ओर जहाँ...
ReplyDeleteश्याम की गैया ...
सोन चिरैया सा ....
स्वप्निल जीवन हो .......!!!!!!!!!!!!
बहुत सुंदर भाव..... हृदयस्पर्शी रचना
वृन्दा के वन में, चन्दा नन्दलाल।
ReplyDeleteसंगीत , भक्ति , और प्रकृति का सुन्दर समन्वय हुआ है .
ReplyDeleteek aadhyatmik ehsaas hota hai aur anayaas mann gokul chala jata hai...
ReplyDeleteबदरा प्रेम बौछार ही बरसे
ReplyDeleteभक्त भगवान् की कृपा रूपी बारिश का ही तो इन्तजार करता है ....आपका आभार
सुन्दर प्रस्तुति ||
ReplyDeleteसुन्दर कृति!
ReplyDeleteअनुपम कृति!!
शुद्ध अनिल सा ..
ReplyDeleteमलयानिल सा ..
चाहूँ जीवन ....
नित साधे है तन .....
आतुर ये मन ....
आओ चलें
उस ओर जहाँ ......
मंद पवन
अमंद विचार हों ....
स्वप्निल बयार
की ही बहार हो .....!!
दीदी इतने सपने बांटती हो आप कि मन विचलित हो उठता है ..आँखों में आंसू के साथ साथ सपने तैरने लगते हैं.
i like this post...
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 07-07- 2011 को यहाँ भी है
ReplyDeleteनयी पुरानी हल चल में आज- प्रतीक्षारत नयनो में आशा अथाह है -
khubsurat bhawon bhari rachna...badhai..!
ReplyDeletekabhi hamare blog pe aayen
सुन्दर कल्पना.सुन्दर रचना.
ReplyDeleteभक्ति भाव व प्रेम रस में डूबी सुकृति !
ReplyDeleteक्या बात.. बहुत सुंदर रचना
ReplyDeletebahut hi sundar ..mohak vaah... badhai anupama ji..
ReplyDeleteभक्ति भाव से भरी सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबिलावल ठाट की तरह....
ReplyDeleteवाह...
सुन्दर उपमा....
बिलावल ठाट की तरह ही है आपकी रचना...
सादर...
manmohak rachna ke liye badhaai.
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति , बधाई
ReplyDeleteआओ चलें उस ओर जहाँ...
ReplyDeleteश्याम की गैया ...
सोन चिरैया सा ....
स्वप्निल जीवन हो
kya khub ukera hai aapne apne man ke ander ke jajbato ko.sach me bahut hi komal aur bahut hi sunder bhav...........baadhai.......
आओ चलें उस पार जहां ,
ReplyDeleteश्याम की गैया ,सों चिरैया सा स्वप्निल जीवन हो .सुन्दर कविता भाव प्रधान अनुभूति से संसिक्त .
भक्तिभाव से भरपूर रचना |बधाई
ReplyDeleteआशा
मेरे घर आँगन में ....
ReplyDeleteवृंदा का वन
बन वृन्दावन ..
मन सावन बन ..
बदरा प्रेम बौछार ही बरसे ...
तृषा से मन कभी न तरसे ....
निर्मल भक्तिपूर्ण कोमल प्रेममयी रचना ..कोटि कोटि अभिनन्दन
आओ उस और चलें जहाँ स्वप्निल जीवन हो ...
ReplyDeleteकितने सुन्दर सपने और आपका मधुर आह्वान ...घूम आये हम भी इस स्वप्न नगरी में !
खूबसूरत और निर्मल भाव सुन्दर शब्द चयन !
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें !
चित्र के साथ साथ बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति .......
ReplyDeleteअन्यन्त सुन्दर, मधुरिम!!
ReplyDeleteभक्ति भाव से भरी सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
मन उज्ज्वल कर दे ऐसी प्यारी कविता।
ReplyDeleteआओ चलें उस ओर जहाँ...
ReplyDeleteश्याम की गैया ...
सोन चिरैया सा ....
स्वप्निल जीवन हो ....
bahut madhur madhur si pavitr si anktiyan
bahut suder
rachana
अत्यधिक हर्ष है मुझे ...मेरा ''स्वप्निल जीवन " आप सब ने सराहा ....''सोने की चिड़िया ''तो हमारा देश था ही .... मुझे विश्वास है कि हम अगर अपनी संस्कृती से जुड़े रहें ...तो ये स्वप्निल जीवन भी यथार्थ हो सकता है ...!!
ReplyDeleteआभार आप सभी का इस धारा में मेरे साथ जुड़ने का ...!!
बहुत सुंदर हृदयस्पर्शी रचना ...
ReplyDelete