Painting by Pragya Singh. |
बेरंग पानी में घुल-मिल गयीं हैं .स्मृतियाँ ...
हिल-मिल जैसे स्मृतियों की वर्षा है ... ..
एक सावन की धारा..
मन में जो बहती है ...
दूर रह कर भी हमें....
आस-पास कर देती है ..
साथ बीते हुए लम्हों का..
यादों की बरसात ले ..
यादों की बरसात ले ..
ये रंग जो बरसता है ..
सावन की फुहार है ...
भीगता मन बार-बार है ..
भीग गया है तन-मन इस तरह ...
घुल-मिल ....
इसी बेरंग पानी में..
अब मिल गया है..
मेरे आंसुओं का रंग भी ...!!
आज ये बेरंग पानी के संग कैसी वर्षा है ...?
वही खिले-खिले रंग ...!!
फिर रीत सा क्यूँ जाता है मन ...?
भीग गया है तन-मन इस तरह ...
घुल-मिल ....
इसी बेरंग पानी में..
अब मिल गया है..
मेरे आंसुओं का रंग भी ...!!
आज ये बेरंग पानी के संग कैसी वर्षा है ...?
कुछ रंग देती है भिगा कर मुझे ..अनायास .. ..!!
और अंसुअन संग धो देती है ...वही खिले-खिले रंग ...!!
बह रही हैं रंगीन स्मृतियाँ जैसे ....
मन स्मृतियों में भी ..ढूँढता है ...तुम्हें ....!!
तुम्हारे बिन घुल से जाते हैं ये रंग...!!
धुंधला सा पड़ता ये चित्र जीवन...
कुछ यहाँ परिकल्पना पर भी पढ़ें....
आभार....
यादों के पीछे भागता मन एकाकी हो जाता है ... कारण स्पष्ट नहीं होता
ReplyDeleteस्मृतियों में भी ..ढूँढता है ...तुम्हें ....!!
ReplyDeleteतुम्हारे बिन घुल से जाते हैं ये रंग...!!
फिर रीत सा क्यूँ हो जाता है मन ...?
मन हो रहा है कि बस पढ़ता जाऊँ !
बेहतरीन!
सादर
स्मृतियों की बात ही कुछ और है.. भावों में खो सा जाना..
ReplyDeleteइसी बेरंग पानी में..
ReplyDeleteअब मिल गया है..
मेरे आंसुओं का रंग भी ...!!
सुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई -- देवी ||
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ! हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteदुबारा पढ़्ने को जी किया.. कुछ कुछ अपनी यादों सा लगा.
ReplyDeleteयादे होती ही ऐसी है... जितना दूर जाप इन यादो से, उतनी ही करीब होती है...अच्छी अभिवयक्ति....
ReplyDeleteमन के भावो का सुन्दर समन्वय्।
ReplyDeleteजिसकी अधिक प्रतीक्षा होती है उसके बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता |अच्छी बाव्पूर्ण रचना |
ReplyDeleteबधाई
आशा
बहुत भावप्रणव रचना!
ReplyDeleteबहुत ही मासूम सवाल है आपका।
ReplyDelete------
कम्प्यूटर से तेज़...!
सुज्ञ कहे सुविचार के....
khubsurat bhaavabhivaykti...
ReplyDeleteदूर रह कर भी हमें....
ReplyDeleteआस-पास कर देती है ..
साथ बीते हुए लम्हों का..
यादों की बरसात ले ..
ये रंग जो बरसता है ..
सावन की फुहार है ...
कितना सच है ये ...इसको पढ़ कर वाकई में वो पुराने दिन याद आ गए ...पर सच है की ..हम दूर रह कर भी यही हैं ...आसपास...और हमारे बीते हुए कल और आने वाला कल वाकई में ..सावन की फुहार है.....जो पीले फूल की तरह हमारे जीवन में महक रहा है....
हमारी पेंटिंग पर आपने इतनी सुंदर कविता लिखी है...इससे हमको और कुछ नया बनाने की प्रेरणा मिलती है ....
वर्षो का इंतज़ार ...यादे भीगे मन की....आंसुओं का साथ ...और ऊपर से ये सावन की बरसात का साथ .....बढ़िया समावेश के साथ ...खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteदूर रह कर भी हमें....
ReplyDeleteआस-पास कर देती है ...
साथ बीते हुए लम्हों का..
यादों की बरसात ले ..
ये रंग जो बरसता है ..
सावन की फुहार है ....
बहुत ही सुंदर पक्तियां हैं ....वाकई में इसको पढ़ कर अपने बीते हुए दिन याद आ गए ...पर सच है ..दूर रहकर भी हम यही है...आसपास ...हमारे बीते हुए कल और आने वाले कल पर यूँ ही रंग बरसता रहेगा ..सावन की फुहार लिए ...इस पीले फूल की तरह हमेशा महकेगा.....
हमारी पेंटिंग पर आपने इतनी सुंदर कविता लिखी है ....आपके लिखने से हमको और कुछ नया बनाने की प्रेरणा मिलती है...
स्मृतियों में भी ..ढूँढता है ...तुम्हें ....!!
ReplyDeleteतुम्हारे बिन घुल से जाते हैं ये रंग...!!
फिर रीत सा क्यूँ जाता है मन ...?
बहुत सुंदर भाव...
सावन स्मृतियों को भी नम कर देता है।
ReplyDeleteवर्षा के सहारे विरह के भाव का मार्मिक चित्रण अत्यंत सुन्दर एवं प्रशंशनीय है.
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत भावाभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसादर...
वाह ...बहुत ही अच्छी शब्द रचना ।
ReplyDeleteइसी बेरंग पानी में..
ReplyDeleteअब मिल गया है..
मेरे आंसुओं का रंग भी ...!!
बरसात में आंसू इसलिए ही छिप जाते है .. बेहतर अभिव्यक्ति .
fir reet sa jaata hai man..vyakul man asafal prteeksha yahi to halat hogi man ki.fir rijhim barasta saavan bhi kahan bhaayega.
ReplyDeleteachchi abhivyakti Anupama ji.
खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
kyunki aisi hi huaa karti hain smritiyaan.....hai naa....??
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteइसी बेरंग पानी में..
ReplyDeleteअब मिल गया है..
मेरे आंसुओं का रंग भी ...!!
बहुत सुंदर..... मन के भावों की संवेदनशील अभिव्यक्ति
बेहतरीन.
ReplyDeleteबढ़िया कविता .आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता ,
ReplyDeleteवर्षा की रूत में यादो का आना सहज ही है ..
बधाई
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
आपकी कविता के एक-एक शब्द मन को छू जाते हैं। स्मृतियाँ कभी भी बेरंग नही होती हैं। ये तो हमारे जीवन की बेशकीमती धरोहर होती हैं। इन्हे रंगना हम सबके मनोभावों पर निर्भर करता है।
ReplyDeleteधन्यवाद।
आपने ठीक कहा प्रेम सरोवर जी ...
ReplyDeleteआज वर्षा के संग
स्मृतियों का रंग मिला है ...
बेरंग पानी में घुल-मिल गयीं हैं .स्मृतियाँ ...
हिल-मिल जैसे स्मृतियों की वर्षा है ... ..
पानी बेरंग है ..जिस रंग रंगों उसी रंग रंग जाता है ..बेरंग पानी में आज स्मृतियों का रंग मिला है ....और वही रंग बरस गए हैं मन पर ...
कविता पसंद करने के लिए आपका ह्रदय से आभार ...
nice post
ReplyDeleteमित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
एस .एन. शुक्ल
स्मृतियों में भी ..ढूँढता है ...तुम्हें ....!!
ReplyDeleteतुम्हारे बिन घुल से जाते हैं ये रंग...!!
फिर रीत सा क्यूँ हो जाता है मन ...?
सुन्दर प्रस्तुति, सादर- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत ख़ूबसूरत, भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी रचना! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteमन के भावों को खूबसूरत शब्दों में पिरोया है ..एक कसक बनी ही रह जाती है ...
ReplyDeleteबेहतरीन!सुन्दर प्रस्तुति ....
ReplyDeleteसावन की बरखा, ठंडी होती चाय और आकाश पटल पर चलती मन की स्मृतियों की तस्वीरें .. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDelete(चाय की बात आप की कविता में नहीं, लेकिन बरखा की बात हो तो मुझे चाय के बिना अधूरी लगती है ..)
आप सभी का आभार ...मेरी रचना को अपनी प्रशंसा के रंग देने के लिए ...!!
ReplyDeleteकृपया यही स्नेह बनाये रखें...!!
अनुपमा जी ...कुछ तो है आपकी रचना में जो बरबस ही मुझे खिंच लाया ..मन को छू गया बहुत कुछ ....
ReplyDeleteमन भींगता है तो सब कुछ भींगा भींगा ही दीखता है।
ReplyDeleteऔर सावन सब कुछ बिंगा क्यों देता है खास कर मन ...?
आपकी कविता पढ़कर प्रसाद जी पंक्ति याद आयी
ReplyDeleteबस गयी एक बस्ती है स्मृतियों की इसी ह्रदय में
नक्षत्र लोक फैला है , जैसे इस नील निलय में
जो घनीभूत पीड़ा थी मस्तक में स्मृति सी छायी
दुर्दिन में आंसू बनकर वाह आज बरसने आयी
भावों की सुन्दरतम प्रस्तुति . आभार
रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.
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