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22 June, 2016

यूँहीं कुछ बोलती है कविता !!

कोई तो  सन्देस है  लाई ,
सीली सी हवा है ,
मौन है क्षण ,
यूँहीं कुछ बोलती है कविता !!

अंबर  छाए घन ,
रस घोलती है कविता ....!!

लड़ियन बूंदन से ,
भरी  अंजुरी  मेरी ,
मन भिगोती है कविता ....!!

आस  उड़ेलती ,
रंग पलाश सी ,
आज  …,
झर झर  बरसती है कविता !!
यूँहीं कुछ बोलती है कविता !!


11 comments:

  1. काफी दिनों बाद आपकी कृति देखने व पढ़ने को मिली
    बेहतरीन कृति..
    सादर

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  2. सचमुच कविता की फुहार मन आंगन को भिगा जाती है कभी अनायास ही..

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  3. यूँहीं कुछ बोलती है कविता

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बृहस्पतिवार (23-06-2016) को "संवत्सर गणना" (चर्चा अंक-2382) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय शास्त्री जी !! चर्चा मंच पर कविता को स्थान मिला कृतज्ञ हूँ !

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  5. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 23 जून 2016 को लिंक की गई है............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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    Replies
    1. कविता का चयन किया ,हार्दिक आभार यशोदा ! स्नेह यूं ही बनाये रखना !!

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  6. बरसती कविता कितनी ही आशाओं को जन्म देती है ...
    सुन्दर रचना है ...

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  7. सुन्दर रचना।

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