तुम बिन हैं ....
सूनी सूनी सी राहें ...
भीगी निगाहें ...
मनः पटल ....
हैं स्मृति की रेखाएं ...
मिट न पाएं....
पलकों मेँ है ......
मोती से अनमोल ...
छुपे रतन ....
गूंजे सदा ही ...
कानो में अनमोल ...
तुम्हारे बोल ...
ढलक जाएँ ...
आंसू रुक न पायें ...
...छलके पीर ...
झरना बहे ... ...
मन बहाए नीर ...
न धरे धीर ....
असह्य पीर ...
निर्झर बहे नीर ...
व्यथा पिघले ...
सजल नेत्र ....
भरी जीवन पीर ....
डबडबाएं........
झरना झरे ....
ज्यों मन व्यथा झरे ...
झर झर सी ...
बंद पलक .....
गहराती है पीड़ा ...
उदास मन ...
मन सागर ....
वेदना असीम है ..
सूखे नयन ...
सूरज डूबे ...
ढेरों रश्मियाँ लिए ....
डूबती आशा...
बर्फ सी ठंडी ....
संवेदनाएं हुईं ....
शिथिल मन .....
अथाह पीड़ा ....
बस मौन ही रहूँ ....
किससे कहूँ ....?
सुनो न तुम .....
मेरी मन बतियाँ ...
नैना बरसें ....
तुम्हारे बिन .....
सूने ये रैन दिन ...
नेहा बरसे ..............
मन सिसके .....
जो तुम चले आओ ...
मन बहले ...
आभार यशोदा हलचल पर ये हाइकु लेने पर .....
ReplyDeleteगहन पीड़ा को व्यक्त करते हाइकु .....
ReplyDeleteवाह....सभी बढ़िया लगे।........कभी आपको गाते हुए सुनना चाहेंगे.....अगर आप दिल्ली में कभी अपना गायन प्रस्तुत करें तो हमे ज़रूर बताएं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर हाइकू, बरसात वाला चित्र तो इनको और भी सुंदर बना रहा है, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
bahut sundar hikoo mn ki peeda ko darshaati ...pta nahi kitne log is trasadi ke shikar ho gaye honge ....
ReplyDeleteपीड़ा...पीड़ा...पीड़ा...
ReplyDeleteमन की पीर बयाँ करते हाइकू .भावसौंदर्य से संसिक्त मीठे राग से .मनभावन बंदिश से .
ReplyDeleteहम सबकी संवेदना समवेत रूप से इस कविता में झलक रही है।
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन इस दुर्दशा के जिम्मेदार हम खुद है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआभार शिवम भाई ....ब्लॉग बुलेटिन में मेरे हाइकु को स्थान दिया ....!!आपका ब्लॉग बुलेटिन सदा उत्कृष्ट और सार्थक लिंक्स लिए रहता है ...!!अपने हाइकु देख कर कुछ शांत सा है मन .....हालकि बड़ी बिपदा की घड़ी है समस्त मुल्क पर ....!!
ReplyDeleteदर्द भरे शब्द .
ReplyDeleteबहन अनुपमा जी आपके इन हाइकु में से किस पर अपनी टिप्पणी लिखूँ? समझ नहीं पा रहा हूँ; क्योंकि हर हाइकु को आपने अनमोल मोती की तरह विविध भावों का पानी पिलाकर रससिक्त कर दिया है । आपने ये हाइकु लिखे नहीं , रचे हैं यानी पूरी भाव-सम्पदा जब दिल में रच- बस जाती है , तभी काव्य सहृदय को आप्लावित करता है । आपका रचनाकर्म आपको उन लोगों की भीड़ से अलग करता है, जो हाइकु के नाम पर कुछ भी उगल देते हैं । विधा का सम्मान अच्छे रचनाकार के कारण होता है। आप इसी तरह मधुर काव्य-धारा बहाती रहें ! मेरी कोटिश: शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteरामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ rdkamboj@gmail.com
सम्पादक- http://www.laghukatha.com/
सह सम्पादक-http://issuu.com/hindichetna
सहयोगी सम्पादक डॉ हरदीप सन्धु जी के साथ)
http://www.hindihaiku.net/
http://trivenni.blogspot.in/
मन की गहराइयों में ले गयी आपकी यह रचना और जोड़ गयी सबके दुखों से. ईश्वर उनलोगों को शक्ति दे जिनपर यह विपदा गुजरी है. जिस क्रम में आपके हाइकू हैं; दर्द का एक प्रवाह सा बन पड़ा है. उत्कृष्ट.
ReplyDeleteकोमल मन की बहती धारा..
ReplyDeleteबहुत सुंदर हाइकू ...
ReplyDeleteअथाह पीड़ा ... आह!
ReplyDeleteमन की पीड़ा शब्दों में ढल संवेदनाओं की धारा बन गयी,मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअनुपमा ...
तुम्हारे बिन .....
ReplyDeleteसूने ये रैन दिन ...
नेहा बरसे ..............
मन सिसके .....
जो तुम चले आओ ...
मन बहले ...
बहुत सुन्दर भावमयी हाइकु
अथाह पीड़ा ....
ReplyDeleteबस मौन ही रहूँ ....
किससे कहूँ ....?
चरों तरफ पीड़ा ही पीड़ा है. अपने इन हायकू के माध्यम से सार्थक सन्देश देने का सुंदर प्रयास.
Behad umdaa ma'm......
ReplyDeleteशब्दों में गुंथी यह पीड़ा मन की गहराई तक उतर गयी ...
ReplyDeleteBehad umdaa Ma'm......
ReplyDeleteसुंदर और सार्थक रचना।
ReplyDeleteबैलून से भी इंटरनेट सेवा देगा गूगल, गूगल की नई योजना - "प्रोजेक्ट लून"।
विश्व शरणार्थी दिवस (World Refugee Day)
घनीभूत व्यथा , पीड़ा छलक रही है हर पंक्ति से . बहुत सुन्दर दी .
ReplyDeleteउदास कर जाती है तबाही की ख़बरें , जीवन को चलते ही जाना है !
ReplyDeleteदर्द की खूबसूरत बयानगी !
बहुत गहन और सुन्दर रचना.बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeletePranay ka adbhud udagar ......bahut hi sundar ....badhai
ReplyDeleteमन सिसके .....
ReplyDeleteजो तुम चले आओ ...
मन बहले ...
बहुत खूबसूरत हाइकु
bahut hi badhiya
ReplyDeleteवाह अनुपमाजी...हर हाइकू की अपनी व्यथा...हर व्यथा बोलती हुई....
ReplyDeleteअंतस की पीड़ा समेटे .. सभी हाइकू अपनी बात स्पष्ट रख रहे हैं ...
ReplyDeleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteबेहतरीन रूपाकृति फॉर्म लिए हैं सभी हाइकु अर्थ में भाव गाम्भीर्य में भी .ॐ शान्ति .शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .
पीडा भी मुखर हुई है
ReplyDeleteनयनों को शब्द मिले हैं
आंसुओं के ।
बहुत कोमल, भावपूर्ण ।
ReplyDeleteअसह्य पीर ...
ReplyDeleteनिर्झर बहे नीर ...
व्यथा पिघले .
बहुत सुंदर हाईकू हैं अनुपमा जी ! हर मन की गहन व्यथा कथा इन चंद शब्दों में कितनी कुशलता से उतार दी आपने ! किस-किस को उद्धृत करूँ ! सभी एक से बढ़ कर एक हैं !
ह्रदय से आभार आप सभी का ...!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर , कोमल भाव लिए मनभावन हाइकु ...
ReplyDeleteमर्म को छूते बहुत ही भावपूर्ण और सुन्दर हाइकु । आपके ब्लॉग के नाम को सार्थक करते हैं ।
ReplyDeleteओह...शानदार!!!!!
ReplyDeleteहर एक हाईकू ला-जवाब है!!
झरना बहे ... ...
ReplyDeleteमन बहाए नीर ...
न धरे धीर
सुन्दर हाइकू। ये वाली ज्यादा ही अच्छी लगी ..
सम्पूर्ण व्यथा कथा कह गयीं हाइकु कवितायेँ!
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